1 दिसंबर से कुष्ठ रोगियों को ढूंढने स्वास्थ्य विभाग डोर-टू-डोर सर्वे कर रहा है। 17 दिनों में जिले 16.3 लाख जनसंख्या में 1365 संभावित कुष्ठ रोगी मिले हैं। लेकिन कंफर्म मरीजों की संख्या मात्र 75 बताई जा रही है। इसमें 26 गंभीर और 49 सामान्य कुष्ठ रोगी है। जबकि इससे पहले के दो सर्वे में जिले की कुल जनसंख्या 19.6 लाख में से 643 कुष्ठ रोगियों की पहचान की गई है। उस आंकड़े के अनुसार वर्तमान सर्वे का आंकड़े सवालों के घेरे में आ गया है।
पड़ताल करने पर जानकारी मिली कि पूर्व के सर्वे में संभावित कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए 5 रिटायर्ड (एनएमएस) नॉन मेडिकल सुपरवाइजर के अलावा 32 (एनएमए) नान मेडिकल असिस्टेंट सेवा दे रहे थे। 40 वर्ष से ज्यादा अनुभव होने के नाते वे कुष्ठ रोगियों को आसानी से पहचान लेते थे। 20 एनएमए के रिटायरमेंट और रिटायर्ड एनएमएस को इस बार नहीं लेने के कारण कुष्ठ रोग की पहचान करने वाले अनुभवी कर्मियों की संख्या मात्र 12 रह गई है। ट्रेनिंग लेने वाले कुछ कर्मियों को लगाया गया है, लेकिन अनुभव नहीं होने के कारण कनफर्म मरीजों की संख्या कम हो गई है।
कुष्ठ रोगियों के साथ टीबी रोग के मरीज भी ढूंढ रहे
कुष्ठ रोगियों को ढूंढने के साथ ही टीबी रोगियों को भी ढूंढा जा रहा है। दोनों बीमारी एक ही फेमिली के बैक्टीरिया से होती है, इसलिए दोनों का सर्वे एक साथ किया जा रहा है। दोनों बीमारी बेहद संक्रामक मानी जाती है, इसलिए इसके सभी मरीजों को ढूंढ़कर दवा शुरू कराने का लक्ष्य है। ताकि मरीजों को बीमारी से मुक्ति मिलने के साथ ही उनके छिपे रह जाने से संक्रमण एक से होकर दूसरे और तीसरे तक न पहुंचे। इसलिए अभियान चलाया जा रहा।
एक्सपर्ट मिला, इसलिए मरीजों की संख्या कम
“1 दिसंबर से डोर-टू-डोर सर्वे कर हम कुष्ठ और टीबी रोगियों को ढूंढ रहे हैं। कुष्ठ रोगियों की पहचान कराना टीबी की तुलना में थोड़ा कठिन होता है। उसके लिए एक्सपर्ट कर्मी रखने अब आश्वासन मिला है। इसलिए 1300 से ज्यादा संभावित कुष्ठ रोगी ढूंढने के बाद भी कंफर्म मरीजों की संख्या कम हो गई है।”