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777 Charlie Review : कलयुग के ‘धर्मराज’ की रुला देने वाली कहानी ; श्वान और इंसान के बीच अनोखा रिश्ता समझाएगा ये फिल्म ; देखिए ट्रेलर


Entertainment Desk : जानवरों और इंसानों के रिश्तों पर फिल्में बनाने में दक्षिण भारतीय फिल्म कंपनी देवर फिल्म्स का बोलबाला रहा है। एम एम ए चिनप्पा देवर की इस कंपनी ने तमिल में ढेरों फिल्में बनाने के बाद ‘हाथी मेरे साथी’, ‘जानवर और इंसान’, ‘गाय और गौरी’ और ‘मेरा रक्षक’ जैसी हिंदी फिल्में भी बनाई। के सी बोकाडिया की फिल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ इंसान और कुत्ते के रिश्ते पर बनी अपने जमाने की सुपरहिट फिल्म रही है। अब कन्नड़ सिनेमा के मशहूर फिल्ममेकर रक्षित शेट्टी ऐसी ही एक फिल्म लेकर आए हैं, ‘777 चार्ली’।
फिल्म के निर्देशक एवं लेखक किरणराज के ने CNT का इंस्टाग्राम पोस्ट लाइक किया
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रक्षित शेट्टी का नाम हाल के दिनों में उनकी फिल्म ‘किरिक पार्टी’ को लेकर काफी चर्चा में रहा है। ये फिल्म पहले कार्तिक आर्यन और जैकलीन फर्नांडीज के साथ हिंदी में बनने की बात चली। फिर इसके लिए विकी कौशल और रश्मिका मंदाना का नाम भी चर्चा में रहा। रक्षित शेट्टी फिल्मकारों की उस जमात से है जो इंजीनियरिंग पढ़कर सिनेमा में आई है। जाहिर है ऐसे लोगों का सिनेमा समावेशी होता है और फिल्म ‘777 चार्ली’ भी कुत्तों से जुड़े एक ऐसे बड़े मुद्दे को उठाती है, जिसपर आम तौर पर इंसानों का ध्यान नहीं जाता।
देखिए ट्रेलर :
पालतू से प्यार की भावुक कहानी
फिल्म ‘777 चार्ली’ एक इमोशनल कहानी है। ये यात्रा है एक इंसान की अपने पालतू को उसकी खुशियां दिलाने की। कहानी का नायक कुछ कुछ ‘कबीर सिंह’ जैसा है। फैक्ट्री, घर, बीयर, इडली, सिगरेट…बस यही उसकी जिंदगी है। चेहरे पर कोई भाव नहीं। गली से निकल जाए तो बच्चे भी डरते हैं। किसी के घर से निकल भागा एक कुत्ता उसकी देहरी पर आकर ठिठक जाता है। भगाने पर भी नहीं भागता और फिर परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि दोनों को साथ रहना होता है। शुरुआती इंतजाम ये कुछ दिनों का ही है लेकिन फिर दोनों में प्यार हो जाता है। अपने मालिक की आदतें बदल देने वाले इस कुत्ते को नाम मिलता है ‘777 चार्ली’। वह अपने मालिक को बचाता है। और, बदले में उसे मिलता है..! बाकी कहानी यहां बता देने से आपका फिल्म देखने का मजा किरकिरा हो सकता है।
महाभारत के धर्मराज : जब एक कुत्ते के लिए युधिष्ठिर ने छोड़ दिया स्वर्गलोक का सुख
महाभारत युद्ध के उपरांत लगभग 36 साल बाद यदुवंशियों का नाश हुआ। जब अर्जुन ने ये समाचार युधिष्ठिर को दिया तो उन्हें बहुत दुख हुआ। महर्षि वेदव्यास के कहने पर पांचों पांडवों ने राज-पाट का सुख छोड़कर सशरीर स्वर्ग जाने का फैसला किया। युधिष्ठिर ने जाने से पहले धृतराष्ट्र के पुत्र और दुर्योधन के भाई युयुत्सु का राज्याभिषेक किया और उसे हस्तिनापुर का राजा बनाया। फिर वे अपने चारों भाईयों को साथ लेकर हिमालय की ओर चल पड़े। सबसे पहले द्रौपदी ने बद्रीनाथ से आगे हिमालय की बर्फ में प्राण त्याग दिए। आगे बढ़ते-बढ़ते नकुल, सहदेव, भीम और अर्जुन भी ब्रह्मलोक प्रयाण कर गए।
धर्मराज युधिष्ठिर एक कुत्ते के साथ स्वर्गलोक की ओर बढ़े जा रहे थे। आखिर चलते-चलते वह स्वर्ग के द्वार तक जा पहुंचे। द्वारपाल ने धर्मराज युधिष्ठिर के लिए दरवाजा खोल दिया। धर्मराज ने कुत्ते को आदेश दिया, पहले तुम अंदर जाओ।’’
‘‘नीच कुत्ता स्वर्गलोक में कैसे जा सकता है। पहरेदारों ने उसे यह कह कर अंदर जाने से रोक दिया।’’
धर्मराज ने कहा, ‘‘इस निरीह प्राणी ने पृथ्वी लोक से यहां तक मेरा साथ दिया है। मैं इसे अकेला छोड़कर स्वर्गलोक नहीं जाऊंगा।’’
स्वर्गलोक के प्रमुख पहरेदार ने कहा, ‘‘यदि आप अपने तमाम पुण्यों के फल इस कुत्ते को दे दें तो यह स्वर्गलोक जा सकता है।’’
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, ‘‘मैं अपने सारे पुण्यों के फल अपना साथ देने वाले इस निरीह प्राणी को देने में अपना जीवन सार्थक मानता हूं।’’
यह सुनते ही स्वर्गलोक के देवता धर्मराज युधिष्ठिर की जय-जयकार कर उठे। उन्हें सशरीर स्वर्गलोक में प्रवेश मिला।
रक्षित शेट्टी का समावेशी सिनेमा
रक्षित शेट्टी की बनाई फिल्म ‘777 चार्ली’ उन सभी लोगों को देखनी चाहिए जो इन दिनों देश के शहरों मे तेजी से बढ़ रही कुत्तों की तादाद से परेशान है। प्रशासनिक विभागों से निकलकर ये मामले अब अदालतों तक जा रहे हैं। फिल्म उन लोगों की आंखें खासकर खोलती है जो कुत्तों से नफरत करते हैं। ख़ैर, बात फिल्म ‘777 चार्ली’ की करते हैं। फिल्म के हीरो हैं रक्षित शेट्टी की। वह फिल्म के निर्माता भी हैं। कभी रश्मिका मंदाना से दिल लगाने वाले रक्षित ने ये फिल्म बहुत दिल से बनाई है। उनकी अदाकारी और कैमरे का पहली बार सामना कर रहे कुत्ते चार्ली की जुगलबंदी कमाल की है। फिल्म के बाकी कलाकारों में संगीता श्रृंगेरी ने कमाल का काम किया है। हिंदी सिनेमा बनाने वालों की नजर उन पर पड़ी तो जल्द ही वह किसी हिंदी फिल्म में दिख सकती हैं।
फिल्म ‘777 चार्ली’ की चाल फिल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ से काफी अलग है। फिल्म का संगीत इसकी कमजोरी है क्योंकि जिस भावनात्मक रिश्ते की बात फिल्म करती है, वैसे भावुक गीत रच पाने में फिल्म की म्यूजिक टीम विफल रही है। फिल्म थोड़ी लंबी भी है लेकिन फिल्म के निर्देशक ने जो कुछ भी फिल्म में रखा है, वह बोर नहीं करता, हां आपको बीच बीच में फोन चेक कर लेने का मौका जरूर देता है। सिनेमा में परदे से नजर हटाने का मौका देना बड़ी चूक मानी जाती है। फिल्म की तकनीकी टीम में काबिले तारीफ काम है इसके सिनेमैटोग्राफर अरविंद एस कश्यप का। अरविंद ने पूरी फिल्म को कैनवस पर बदलती पेटिंग सरीखा लुक दिया है। वह किरदारों के साथ साथ आसपास के वातावरण को भी खूबसूरती से कैमरे में कैद करते हैं। खासतौर से फिल्म के मुख्य किरदार जब सफर पर निकलते हैं और जब हिमालय पर पहुंचते हैं तो अरविंद के कैमरे का कमाल देखते ही बनता है।
और, फिल्म की कमान जिन हाथों में है उन किरनराज के का करियर ये फिल्म पूरी तरह बदल देने वाली है। फिल्म ‘किरिक पार्टी’ में किरनराज फिल्म की निर्देशन टीम का हिस्सा थे। वहीं उनकी रक्षित शेट्टी से दोस्ती हुई और रक्षित ने उन्हें फिल्म ‘777 चार्ली’ के निर्देशन का जिम्मा सौंपा। फिल्म देखकर लगता नहीं है कि ये किरनराज की बतौर निर्देशक सिर्फ दूसरी फिल्म है। उनका शॉट डिवीजन, कैमरा प्लेसिंग और मूवमेंट कमाल का है। कलाकारों को उन्होंने अपने भाव लाने की पूऱी छूट भी दी है। हां, इस चक्कर में फिल्म शुरू में थोड़ा सुस्त रहती है लेकिन पटरी पर आने के बाद फिर फिल्म आखिर तक रुकती नहीं है।
अगर आपने अरसे से पूरे परिवार के साथ कोई फिल्म नहीं देखी है तो फिल्म ‘777 चार्ली’ इस वीकएंड पर संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन का वादा करती है। फिल्म को देखने के लिए थोड़ा धैर्य शुरू में चाहिए। बस एक बार आपका कहानी से, इसके किरदारों से तारतम्य बन गया तो ये फिल्म आपको रुलाएगी भी खूब और चेहरे पर मुस्कान भी कई बार लाएगी।
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CM भूपेश जन्माष्टमी के दिन रायपुर के “कृष्ण-कुंज” में पौधरोपण की शुरूआत करेंगे ; CG में 162 स्थानों में होगा सांस्कृतिक महत्त्व के पौधो का रोपण


रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जन्माष्टमी के अवसर पर राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में विकसित किए जा रहे कृष्ण-कुंज में सांस्कृतिक एवं जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण की शुरूआत करेंगे।
बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में ’कृष्ण कुंज’ विकसित किए जा रहे हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के एवं जीवनोपयोगी आम, इमली, बेर, गंगा इमली, जामुन, गंगा बेर, शहतूत, तेंदू ,चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, गुलर, पलास, अमरूद, सीताफल, बेल, आंवला के वृक्षों का रोपण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को ’कृष्ण-कुंज’ विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आबंटन करने के निर्देश दिए हैं। अब तक राज्य के 162 स्थलों को ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हांकित कर लिया गया है। वृक्षारोपण की तैयारी भी बड़ी उत्साह के साथ की जा रही है।
इस कृष्ण जन्माष्टमी से पूरे राज्य में ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हित स्थल पर वृक्षों का रोपण प्रारंभ किया जाएगा। कृष्ण कुंज को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए सभी निकायों में एकरूपता प्रदर्शित करने हेतु वन विभाग द्वारा बाउंड्रीवाल गेट पर लोगो का डिजाईन एक समान तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के उद्देश्यों को लेकर कहा है कि, “वृक्षारोपण को जन-जन से जोड़ने, अपने सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उन्हें विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका नाम ‘कृष्ण-कुंज’ रखा गया है। विगत वर्षों में शहरीकरण की वजह से हो रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से इन पेड़ों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। आने वाली पीढ़ियों को इन पेड़ों के महत्व से जोड़ने के लिए ‘कृष्ण-कुंज’ की पहल की जा रही है।
रायपुर जिले के 10 नगरीय निकाय कुर्रा, खरोरा, बिरगांव, अटारी, तेलीबांधा, आरंग, चंदखुरी, कुरुद समोदा, उरला में कृष्ण-कुंज के लिए स्थल चयनित किया गया है। गरियाबंद जिले के 3 महासमुंद के 6, गौरेला पेंड्रा जिले के 2 कोरिया जिले के 7, कोंडागांव जिले के 3,दंतेवाड़ा जिले के 4, बीजापुर जिले, सुकमा, नारायणपुर के 1-1 स्थलों के साथ कुल 162 चयनित स्थलों में जन्माष्टमी पर पौधों का रोपण किया जायेगा।
सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ का हर एक पर्व प्रकृति और आदिम संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इनके संरक्षण के लिए ही यहां के तीज-त्यौहारों को आम लोगों से जोड़ा गया और अब ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के माध्यम से इन सांस्कृतिक महत्व के पेड़ों को सहेजने की अनुकरणीय पहल हो रही है। जो आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर कल की ओर ले जाएगी और एक नए छत्तीसगढ़ के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएगी।


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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश : हम भारतीयों ने संदेह जताने वालों को गलत साबित किया


नई दिल्ली : भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित किया है। इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं है, बल्कि, समृद्ध भी हुईं। लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में दुनिया की मदद करने का श्रेय भारत को दिया जा सकता है। बतौर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देश के नाम यह पहला संबोधन है।
मुर्मू ने कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं। दुनिया ने हाल के वर्षों में नए भारत को विकसित होते देखा है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद। अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया।
आजादी का महोत्सव भारत की जनता को समर्पित
राष्ट्रपति ने कहा, 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। आज़ादी का अमृत महोत्सव मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू हुआ। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है।
भारत में आज जीवन-मूल्यों को दी जा रही प्रमुखता
भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।


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छत्तीसगढ़ के 3 पुलिस अफसरों को केंद्रीय गृह मंत्रालय देगा मेडल ; देखिए सूची


नई दिल्ली, रायपुर : छत्तीसगढ़ के 3 पुलिस अफसरों को केंद्र सरकार द्वारा मेडल दिया जाएगा। शुक्रवार को इसे लेकर एक सूची जारी की गई। इसमें राज्य के 3 अफसरों का नाम शामिल है। एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल, इंस्पेक्टर दिनेश यादव और सब इस्पेक्टर दिव्या शर्मा को इस मेडल के लिए चयनित किया गया है।
देखिए सूची :
ये मेडल अफसरों को बेहतर इंवस्टिगेशन के लिए दिया जाता है। राजेंद्र जायसवाल ने कई क्रिमिनल केसेस के साथ टेरर फंडिंग के एक में काम किया, दिव्या शर्मा ने बच्चियों के प्रति हो रहे अपराधों में बेहतर जांच की। दिनेश यादव को भी समय पर जांच पूरी करने की वजह से ये मेडल दिया जा रहा है।


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