Friday, April 19, 2024

Assam Assembly Election : छत्तीसगढ़ छोड़ भूपेश बघेल ने संभाली असम की कमान, बीजेपी पर भारी पड़ेगी उनकी बूथ लेवल स्ट्रैट्जी!

असम में हो रहे विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संभाल रहे हैं। पिछले कई दिनों से राज्य में कैंप कर रहे बघेल के साथ उनके मंत्री, विधायक और करीब 100 पार्टी नेताओं की टीम भी यहां जमी हुई है। कांग्रेस यह उम्मीद कर रही है कि बघेल असम में अपनी बूथ-लेवल स्ट्रैट्जी से बीजेपी को मात देने में सफल होंगे जिसके दम पर उन्होंने 2018 में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की 15 साल से चल रही सरकार को उखाड़ फेंकने में सफल रहे थे।

  • असम में कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे हैं छत्तीसगढ़ के सीएम
  • भूपेश बघेल के साथ 100 से ज्यादा कांग्रेस नेता छत्तीसगढ़ से असम पहुंचे
  • छत्तीसगढ़ की तरह असम में भी बूथ लेवल स्ट्रैट्जी को अमलीजामा पहनाने में लगे बघेल

गुवाहाटी : 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में असम अकेला ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की मृत्यु के बाद राज्य में कांग्रेस का कोई सर्वमान्य नेता नहीं है और इसकी भरपाई के लिए पार्टी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुना है। बघेल खुद तो पिछले कई दिनों से राज्य के अलग-अलग इलाकों में प्रचार कर ही रहे हैं, उनकी कैबिनेट के मंत्रियों को भी अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया गया है।

क्यों चुना गया बघेल को
1890 और 1900 के आसपास छत्तीसगढ़ से बड़ी तादाद में लोग असम आए थे जो यहीं बस गए। इनमें से अधिकांश चाय बागानों में काम करते हैं। राज्य की 126 में से करीब 40 विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव है। कांग्रेस इनके बीच बघेल की लोकप्रियता को भुनाना चाहती है। बघेल को जिम्मेदारी देने का दूसरा बड़ा कारण छत्तीसगढ़ में उनका बूथ मैनेजमेंट है। 2018 में जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब बघेल ने बूथ-केंद्रित रणनीति बनाई थी और 15 साल से राज कर रही बीजेपी की रमन सिंह सरकार को उखाड़ फेंकने में सफल रहे थे। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी यह रणनीति असम में भी कारगर साबित होगी।

क्या कर रहे हैं बघेल
भूपेश बघेल के साथ उनकी सरकार के कई मंत्री, विधायक और कांग्रेस संगठन के नेता बीते दो महीनों से असम में कैंप कर रहे हैं। विधायक विकास उपाध्याय लगातार तीन महीनों से यहां हैं तो मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग और राजेश तिवारी डेढ़ महीनों से पूरे राज्य के दौरे कर रहे हैं। चाय बागान के मजदूरों की भाषा बोलने वाले मंत्री अमरजीत भगत को ऊपरी असम वाले इलाके में तैनात किया गया है। चुनावों से पहले हर बूथ के लिए अलग रणनीति तैयार करने के साथ वे स्थानीय कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। हर इलाके के लिए रणनीति में स्थानीय मुद्दों का ध्यान रखा जा रहा है जैसे बघेल ने 2018 में छत्तीसगढ़ में किया था। कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग के पहले चरण में छत्तीसगढ़ से आई 55 नेताओं की टीम करीब 115 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच चुकी है।

बघेल की रणनीति- कांग्रेस का हाथ, सबके साथ
कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के लिए 6 पार्टियों का गठबंधन तैयार किया है जिसमें बदरूद्दीन अजमल के नेतृत्व वाला ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट भी शामिल है। राज्य में करीब एक-तिहाई आबादी मुसलमानों की है और 33 विधानसभा सीटों पर उनकी भूमिका निर्णायक है। सत्तारूढ बीजेपी की रणनीति हिंदुओं का एकमुश्त वोट हासिल करने की है। इसके जवाब में कांग्रेस की बूथ-लेवल कमेटियों में हर समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है।

असंतोष को भुना पाएगी कांग्रेस?
2016 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी, लेकिन पिछले पांच वर्षों में परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं। कांग्रेस के पास तरुण गोगोई की कमी पूरी करने वाला नेता नहीं है, लेकिन बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों के असंतोष से उसे अपने लिए उम्मीद दिख रही है। बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आई बीजेपी को नागरिकता संशोधन विधेयक का सबसे ज्यादा विरोध यहीं झेलना पड़ा। स्थानीय लोगों के साथ प्रवासी बांग्लादेशियों के लिए भी यह बड़ा मुद्दा है।

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