राज्य एवं शहर
तर्रेम मुठभेड़ में हुआ बड़ा खुलासा.. जवान का ऑडियो क्लिप वायरल.. 40-45 नक्सलियों के मारे जाने का दावा.. सुनिए जवान की आवाज


बीजापुर : तर्रेम नक्सली मुठभेड़ की वारदात के दौरान एक जवान का ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। जवान वारदात के दौरान वहां क्या स्थिति थी उसे रिकॉर्ड किया है। जवान ने ऑडियो क्लिप में बताया कि तर्रेम हमले में नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचा है कम से कम 40-45 नक्सलियों के मारे जाने का दावा है।
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जवान ऑडियो में कह रहा है कि वह जिंदा नक्सली को पकड़कर उसकी आड़ में जवान की टुकड़ी को आगे ले जाने में कामयाब रहा। इस दौरान नक्सलियों ने उस पर एक भी फायरिंग नहीं की।
सुनिए जवान की जुबानी
COURTESY : BASTAR TALKIES
बीजापुर में ठीक बाइस बरस बाद नक्सलियों ने बड़ी वारदात को दोहराया है। 8 अक्टूबर 1998 को माओवादियों ने तर्रेम मार्ग पर पुलिस जवानों से भरी मिनी ट्रक और ठीक पीछे चल रही जीप को लैंड माइंस का इस्तेमाल कर उड़ा दिया था। इस हादसे में 18 जवान शहीद हुए थे। यह तत्कालीन राज्य मध्यप्रदेश के वक्त का बड़ा हमला था माओवादियों के भीषण हमलों की शुरुआत के रुप में दर्ज हुआ। बाइस बरस बाद शनिवार 4 अप्रैल 2021 को नक्सलियों ने बीजापुर के टेलकागुड़ा में फिर यहां की धरा को जवानों के लहू से लाल किया है।
तर्रेम में 4 अप्रैल के इस हमले में ये भी पता चला है कि मुठभेड़ में 250 से 300 महिला और पुरुष नक्सली शामिल थे। हिड़मा की बटालियन के अलावा तेलंगाना डिवीजन कमेटी के नक्सली भी थे। मुठभेड़ में शामिल नक्सली कैडर में लड़ने की स्टाइल अत्याधुनिक थी। सिर्फ तेलंगाना के नक्सलियों के पास है अत्याधुनिक तकनीक और हथियार मौजूद हैं।
टेलकागुड़ा मुठभेड़ में 22 जवान शहीद
बीजापुर के तर्रेम में नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हो गए। इस हमले के बाद शहीद जवान भोसाराम के चाचा का बड़ा बयान सामने आया है । तर्रेम हमले से पहले नक्सली हिड़मा पुलिस को फोन कर रहा था। हिड़मा ने अपने इलाके में आने के लिए पुलिस को चुनौती दी थी। शहीद जवान भोसाराम ने अपने चाचा को इसकी जानकारी दी थी।
बता दें नक्सली के इस खूनी खेल में 22 जवानों को शहादत मिली। वहीं एक जवान अब भी नक्सलियों के कब्जे में है। नक्सलियों ने खुद इसकी जानकारी दी है। जवान की पांच साल की बेटी अपने पिता का इंतजार कर रही है। परिजनों ने नक्सलियों से जवान की सकुशल रिहाई की मांग की है। बता दें नक्सलियों ने पहले भी तर्रेंम की धरा को जवानों के लहू से लाल कर चुके हैं। तर्रेम सड़क में 22 वर्ष पहले माओवादियों का वो पहला बड़ा हमला, जिसमें सत्रह जवान शहीद हो चुके हैं। बाइस बरस बाद भी कोई सबक़ नहीं।
तर्रेम का वो इलाक़ा जहां शनिवार को माओवादियों के ट्रेप में फंसे 22 जवानों की शहादत हुई और तीस से अधिक घायल हुए जबकि एक जवान अब भी लापता है, बासागुड़ा थाना से महज 3 किलोमीटर दूर तर्रेम मार्ग पर बाइस वर्ष पांच महिने और 25 दिन पहले भी यहां की धरा जवानों के खून से लाल हो चुकी है। तारीख़ थी 8 अक्टूबर 1998 जबकि माओवादियों ने तर्रेम मार्ग पर पुलिस जवानों से भरी मिनी ट्रक और ठीक पीछे चल रही जीप को लैंड माइंस का इस्तेमाल कर उड़ा दिया था। इस हादसे में 18 जवान शहीद हुए थे। यह तत्कालीन राज्य मध्यप्रदेश के वक्त का बड़ा हमला था माओवादियों के भीषण हमलों की शुरुआत के रुप में दर्ज हुआ। उस वक्त ज़िला दंतेवाड़ा हुआ करता था पुलिस कप्तान टी लांगकुमेर थे, जिनकी इस घटना के बाद खासी आलोचना हुई थीं।
घटना को लेकर जो ब्यौरा मिलता है उसके अनुसार टीम सर्चिंग पर थी। 7 अक्टूबर की रात क़रीब साढ़े बारह बजे रवाना हुई। पुलिस को सूचना थी कि, माओवादी उपर पहाड़ी पर कैंप किए हुए हैं। पुलिस की रणनीति थी कि दो टीमें होंगी एक जो उपर पहुंचेगी और हमला करेगी। अगर नक्सली नीचे भागे तो नीचे वाली टीम के शिकार बनेंगे। एक टीम उपर पहुंची तो माओवादियों के कैंप होने की केवल निशानें मिली। माओवादी नदारद थे।
इधर वो टीम जो पहाड़ी से नीचे थी आख़िरकार वो लौटने के लिए लॉरी और कमांडर जीप पर सवार हो गई। आठ अक्टूबर 1998 को ठीक दस बजकर दस मिनट पर ब्लास्ट हुआ और जवानों से भरी मिनी ट्रक हवा में उड़ गई, क़रीब सौ मीटर पीछे चल रही पुलिस अधिकारियों की कमांडर जीप भी चपेट में आई। इसके ठीक बाद माओवादियों ने फ़ायरिंग शुरू कर दी, जवान करीब 90 मिनट तक पूरी बहादुरी से लड़ते रहे लेकिन 18 जवानों की शहादत के साथ यह घटना बस्तर के इतिहास में दर्ज होने से नहीं रोक सके।
शनिवार को भी हुई घटना इस तर्रेम मार्ग की घटना को दोहराता है। बीजापुर ज़िले में अब तक मौओवादी का सबसे बड़ी घटनाओं में पहली घटना बासागुड़ा थाना के तर्रेम मार्ग पर गश्त से लौटती पार्टी पर बारूदी विस्फोट में 18 जवान शहीद, दूसरा घटना बीजापुर थाने के चेरपाल मार्ग पर एंटी लैंडमाइंस गाड़ी पर विस्फोट से 24 जवान शहीद। तीसरी घटना 2005 में मुरकीनार एसटीएफ बैस कैम्प पर अटेक हमला 22 जवान शहीद। चौथी घटना 14 मार्च 2007 की रात फ़रसेगढ़ थाना के रानिबोदली बैस कैम्प पर अटैक में 55 जवान शहीद। पांचवी घटना मद्देड थाना के कोंगुपल्ली में 2008 अक्टूबर चुनाव रोड ओपनिंग पार्टी पर नक्सली के एम्बुस से 16 जवान शहिद छटवी घटना 03 अप्रैल 2021 में गश्त से लौटते वक्त नक्सलियों के एम्बुस से तर्रेम के टेकलुगुडम में 22 जवान शहिद हुए।



देश-विदेश
CG : विष्णु देव साय BJP प्रदेश अध्यक्ष पद से बेदखल, कांग्रेस ने साधा निशान ; विश्व आदिवासी दिवस पर बधाई देने के जगह, भाजपा ने आदिवासियों का किया तिरस्कार : जावेद खान


दुर्ग-भिलाई : दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जावेद खान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कटाक्ष किया है। जावेद खान ने कहा- जब पुरा देश और प्रदेश विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों को बधाई देने मे लीन था उसी दिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आदिवासियों पर प्रहार करते हुए विष्णु देव साय को छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष पद से बेदखल कर दिया है। जिस से यह प्रतीत होता है कि भाजपा आदिवासियों के प्रति कितनी संवेदनशील है। भाजपा का आदिवासी प्रेम मात्र वोट लेने की कवायद है आज विश्व आदिवासी दिवस के दिन यह आदिवासियों का अपमान किया गया है।
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जावेद खान ने आगे कहा , जल जंगल और जमीन को बचाने की लड़ाई मे आदिवासी अपने प्राण तक की बली दे देते है। कांग्रेस ने आदिवासियों को हमेशा से प्रदेश या देश की राजनीति मे मुख्य धारा में लाने का काम किया है,लेकिन भाजपा ने छत्तीसगढ़ प्रदेश के आदिवासी दिग्गज नेताओं का लगातार तिरस्कार किया है। इसलिए आदिवासी बहुल क्षेत्रों से विधानसभा चुनाव में भाजपा एक तरफा साफ हो गयी थी और आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भाजपा का आदिवासियों पर प्रहार छत्तीसगढ़ के आदिवासी भूलाए नही भूलेगा।


राज्य एवं शहर
विश्व आदिवासी दिवस : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदि विद्रोह सहित 44 महत्वपूर्ण पुस्तकों का किया विमोचन


- आदि विद्रोह में स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी जननायकों की भूमिका का किया गया है वर्णन
- वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरूकता अभियान कैलेण्डर एवं वीडियो संदेश का भी हुआ विमोआदि विद्रोह में स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी जननायकों की भूमिका का किया गया है वर्णन
- वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरूकता अभियान कैलेण्डर एवं वीडियो संदेश का भी हुआ विमोचनचन
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां निवास कार्यालय में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित ’आदि विद्रोह’ एवं 44 अन्य पुस्तिकाओं का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरुकता अभियान के कैलेण्डर, अभियान गीत तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (चारगांव जिला कांकेर) के वीडियो संदेश का भी विमोचन किया।
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कार्यक्रम में इस अवसर पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव तथा श्री शिशुपाल सिंह सोरी, अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री भानुप्रताप सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति के के सचिव श्री डी.डी. सिंह, आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी भी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ के आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रृंखला में एवं विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आदिवासी जनजीवन से संबद्ध विभिन्न आयामों को अभिलेखीकृत करने का कार्य किया गया है, संस्थान द्वारा 44 पुस्तकें प्रकाशित की गई है।
आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जल-जंगल-जमीन शोषण, उत्पीड़न से रक्षा एवं भारतीय स्वतंत्रता के लिए समय-समय पर आदिवासियों द्वारा किये गये विद्रोहों एवं देश की स्वतंत्रता हेतु विभिन्न आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाली वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा को प्रदर्शित करने आदि विद्रोह छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह एवं स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी जननायक पुस्तिका तैयार की गयी है।
इस पुस्तक में 1774 के हलबा विद्रोह से लेकर 1910 के भूमकाल विद्रोह एवं स्वतंत्रता पूर्व तक के विभिन्न आंदोलन जिसमें राज्य के आदिवासी जनजनायकों की भूमिका का वर्णन है। इस कॉफीटेबल बुक का अंग्रेजी संस्करण The Tribal Revolts Tribal Heroes of Freedom Movement and the Tribal Rebellions of Chhattisgarh के नाम से प्रकाशित की गई है।
आदिवासी व्यंजन: राज्य के उत्तरी आदिवासी क्षेत्र जैसे सरगुजा, जशपुर कोरिया, बलरामपुर, सूरजपूर आदि, मध्य आदिवासी क्षेत्र जैसे रायगढ़ कोरबा, बिलासपुर, कबीरधाम, राजनांदगांव, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी एवं दक्षिण आदिवासी क्षेत्र जैसे कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा एवं बीजापुर जिलों में निवासरत जनजातिया में उनके प्राकृतिक पर्यावास में उपलब्ध संसाधनों एवं उनकी जीवनशैली को प्रदर्शित करने वाले विशिष्ट प्रकार के व्यंजन एवं उनकी विधियां अभिलेखीकृत की गई हैं।
छत्तीसगढ़ की आदिम कला: छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर मध्य एवं दक्षिण क्षेत्र के जिलों में निवासरत जनजातीय समुदायों में उनके दैनिक जीवन के उपयोगी वस्तुओं, घरो की दीवारों में उकेरे जाने वाले भित्ती चित्र, विशिष्ट संस्कारों में प्रयुक्त ज्यामितीय आकृतियां आदि सदैव आदिकाल से जनसामान्य के लिए आकर्षण का विषय रही है। इनमें सामान्य रूप से दीवारों व भूमि पर बनाये जाने वाले कलाकृति, बांस व रस्सी से निर्मित शिल्पाकृति एवं महिलाओं के शरीर में गुदवाये जाने वाले गोदनाकृति या डिजाइनों के स्वरूप तथा उनके पारंपरिक ज्ञान को अभिलेखीकृत किया गया है।
छत्तीसगढ़ के जनजातीय तीज-त्यौहार: राज्य के उत्तरी क्षेत्र की पहाड़ी कोरवा जनजाति का कठौरी, सोहराई त्यौहार, उरांव जनजाति का सरहुल, करमा त्यौहार, खैरवार जनजाति का बनगड़ी, जिवतिया त्यौहार आदि, मध्य क्षेत्र की बैगा जनजाति का छेरता, अक्ती त्यौहार, कमार जनजाति का माता पहुंचानी, अक्ती त्यौहार, बिंझवार जनजाति का ज्योतियां, चउरधोनी त्यौहार, राजगोंड जनजाति का उवांस, नवाखाई त्यौहार आदि वहीं राज्य के दक्षिण क्षेत्र या बस्तर संभाग की अबुझमाड़िया जनजाति द्वारा माटी तिहार, करसाड़ त्यौहार, मुरिया जनजाति के कोहकांग, माटी साड त्यौहार, हलबा जनजाति का बीज बाहड़ानी, तीजा चौथ एवं परजा जनजाति का अमुस या हरेली, बाली परब त्यौहार के सदृश्य राज्य को अन्य जनजातियों के भी त्यौहारों का अभिलेखीकरण किया गया है।
मानवशास्त्रीय अध्ययन: राज्य की 09 जनजातियों यथा राजगोंड धुरवा, कंडरा, नागवंशी, धांगड़, सौंता, पारधी, धनवार एवं कोंध जनजाति का मानवशास्त्रीय अध्ययन पुस्तक तैयार की गई। जिसमें जनजातियों की उत्पत्ति, सामाजिक संगठन, राजनैतिक जीवन, धार्मिक जीवन एवं सामाजिक संस्कार आदि का वर्णन किया गया है।
मोनोग्राफ अध्ययन: राज्य की जनजातियों के जीवनशैली से संबंधित 21 बिन्दूओं पर मोनोग्राफ अध्ययन किया गया है। जिसमें गोंड जनजाति में प्रथागत कानून, हलबा जनजाति में प्रथागत कानून, पहाड़ी कोरवा का प्रथागत कानून, कमार जनजाति में प्रथागत कानून, मझवार जनजाति में प्रथागत कानून, खड़िया जनजाति का प्रथागत कानून, उरांव का सरना उत्सव, उरांव जनजाति में सांस्कृतिक परिवर्तन, दंतेवाड़ा की फागुन मडई, नारायणपुर की मावली मडई, घोटपाल मडई, भंगाराम जात्रा, बैगा गोदना, भुजिया गोदना, भुंजिया जनजाति का लाल बंगला, कमार जनजाति में बांस बर्तन निर्माण, कमार जनजाति में हाट बाजार, बैगा जनजाति में हाट बाजार, खैरवार जनजाति में कत्था निर्माण विधि एवं सरगुजा संभाग में हड़िया एवं मंद निर्माण विधि संबंधी प्रकाशन किये गये है।
भाषा बोली: राज्य की जनजातियों में प्रचलित उनकी विशिष्ट बोलियों के संरक्षण के उद्देश्य से सादरी बोली में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका, दोरली बोली में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका, गोंडी बोली में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका, गोंडी बोली दण्डामी माड़िया में शब्द कोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका का निर्माण किया गया है।
प्राइमर्स: राज्य की जनजातीय बोलियों के प्रचार-प्रसार एवं प्राथमिक स्तर के बच्चों को उनकी मातृभाषा में अक्षर ज्ञान प्रदाय करने हेतु प्रायमर्स प्रकाशन का कार्य किया गया है। इस कड़ी में गोंडी बोली में गिनती चार्ट, गोंडी बोली में वर्णमाला चार्ट, बैगानी बोली में वर्णमाला चार्ट, बैगानी बोली में गिनती चार्ट एवं बैगानी बोली में बारहखड़ी चार्ट आदि शामिल है। इसके अलावा अन्य पुस्तकों में राजगोंड, धुरवा, कंडरा, नागवंशी, धांगड, सौंता, पारधी, धनवार, कोंध पर पुस्तकें प्रकाशित की गई।


राजनीति
बिग ब्रेकिंग : छत्तीसगढ़ भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बने अरुण साव ; राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सौंपी जिम्मेदारी


रायपुर : छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर सामने आ रही है। बीजेपी (BJP) ने सूबे में प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है, विष्णुदेव साय के जगह अब नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सांसद अरुण साव को दी गई है।
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अरुण साव विद्यार्थी संगठन एबीवीपी (ABVP) के प्रदेश मंत्री रह चुके हैं। वे हाईकोर्ट के उपमहाधिवक्ता भी रहे हैं, इस दौरान उन्होंने कहा है कि वे पूरी ईमानदारी से पार्टी के लिए काम करेंगे और छत्तीसगढ़ में फिर से भाजपा की सरकार बनाने के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे अटल जी के सपनों को छत्तीसगढ़ साकार करेंगे।


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