इससे पहले नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी कर जवान को अगवा करने की जानकारी दी थी. साथ ही नक्सलियों ने सरकार से मध्यस्थता के बातचीत की भी शर्त रखी है.
रायपुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के साथ हुई सुरक्षाबलों की मुठभेड़ से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. नक्सलियों ने पहले एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया कि सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास उनके कब्जे में हैं. कमांडो राकेश्वर को छोड़ने के लिए नक्सलियों ने अपनी शर्त रखी है और कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम का ऐलान करे. उनकी शर्तें माने जाने पर वे सीआरपीएफ कमांडो छोड देंगे.
इस बीच नक्सलियों ने अगवा सीआरपीएफ कमांडो राकेश्वर सिंह की तस्वीर जारी कर एक बार फिर उनके पूरी तरह सुरक्षित होने का दावा किया है. अपनी चिट्ठी में नक्सलियों ने मुठभेड़ में शहीद जवानों से 14 हथियार और 2000 से ज्यादा कारतूस लूटने की बात भी स्वीकार की है. नक्सलियों ने ये भी बताया है कि बीजापुर मुठभेड़ में उनके चार साथी मारे गए. प्रेस नोट नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने जारी किया है.
2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे राकेश्वर
राकेश्वर 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. तीन महीने पहले ही छत्तीसगढ़ में उनकी पोस्टिंग हुई थी. बीजापुर मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने राकेश्वर मन्हास को अगवा कर लिया है. उनकी 7 साल पहले शादी हुई थी और एक 5 साल की बेटी है. मां कुंती देवी और पत्नी मीनू ने केंद्र और राज्य सरकार से राकेश्वर को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाने की मांग की है. उनके पिता जगतार सिंह भी सीआरपीएफ में थे. उनका निधन हो चुका है. छोटा भाई सुमित कुमार प्राइवेट सेक्टर में काम करता है. बहन सरिता की शादी हो चुकी है.
इससे पहले मंगलवार को सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि इस हमले में निश्चित तौर पर 28 नक्सली मारे गए हैं और ये संख्या ज्यादा भी हो सकती है. शनिवार को सुरक्षा बलों की मुठभेड़ नक्सलियों की बटालियन नंबर एक से हुई थी. इस बटालियन ने बस्तर क्षेत्र में बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है जिसका नेतृत्व नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा करता है. नक्सलियों के साथ बीजापुर मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ डीआरजी, बस्तरिया बटालियन, छत्तीसगढ़ पुलिस और सीआरपीएफ के 22 जवान शहीद हो गए, जबकि 31 जवान घायल हुए हैं.
उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों को लंबे समय से नक्सली कमांडर हिड़मा की तलाश है. क्षेत्र में हिड़मा की उपस्थिति की जानकारी के बाद ही बड़ी संख्या में जवानों को अभियान पर भेजा गया था. 45 साल का हिड़मा जोनागुड़ा से लगभग 6 किलोमीटर दूर पूवर्ती गांव का निवासी है. हिड़मा के सिर पर 40 लाख रुपये का इनाम है और पुलिस के पास हिड़मा की जो तस्वीरें हैं वे पुरानी हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिड़मा के नेतृत्व वाला बटालियन नंबर एक क्षेत्र में नक्सलियों का एकमात्र बटालियन है जो आधुनिक हथियारों से लैस है.