Thursday, March 30, 2023

CG : ढाई करोड़ की लागत से बना CSVTU का ड्रोन देगा सेटेलाइट से बेहतर परिणाम, एक घंटे में हजार हेक्टेयर भूमि का बना सकता है डिजिटल मैप


दुर्ग-भिलाई : छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई ने विशेष रूप से डिजाइन कराया गया एक ड्रोन खरीदा है। यह देश का पहला ऐसा ड्रोन है जो मात्र एक घंटे में 1000 हेक्टेयर भूमि का डिजिटल मैप तैयार करने की क्षमता रखता है। फिर चाहे वो शहरी क्षेत्र हो ग्रामीण हो या फिर जंगल। इसे पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल) से मुंबई की कंपनी अर्जवम वेन प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर ढाई करोड़ की लागत से बनवाया गया है।

विश्वविद्यालय के कुलपति एमके वर्मा ने बताया कि इसे पुणे के साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्क इंस्टीट्यूट से विशेष डिमांड में तैयार करवाया गया है। ड्रोन का संचालन वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के एचओडी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष सिन्हा खुद देखेंगे। वह इससे न सिर्फ अपने स्टूडेंट्स को सर्वे और मैपिंग के बारे में पढ़ा सकेंगे, बल्कि बाढ़, ओला वृष्टि, पाइप लाइन, ड्राईंग डिजाइन और नरवा गरुवा घुरवा बारी जैसे अहम प्रोजेक्ट का सर्वे किया जा सकेगा।

इन विभागों के लिए मील का पत्थर साबित होगा ड्रोन

डॉ. मनीष सिन्हा ने बताया कि इस ड्रोन से एक सेकेंड में 5 या उससे अधिक 3डी इमेज लिए जा सकते हैं। इतना ही नहीं इसकी एक्यूरेसी सेटेलाइट इमेज से भी बेहतर है। सेटेलाइट इमेज से तस्वीर लेने पर सब्जेक्ट की एक्यूरेसी में 50 सेंटीमीटर का फर्क होता है। वहीं ड्रोन की इमेज में मात्र 5 सेंटीमीटर का फर्क होगा।

विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध इस तकनीकी संसाधन से शासन के सिंचाई विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, वन विभाग, खनिज संसाधन विकास विभाग, पर्यटन विभाग, राजस्व विभाग, राजमार्ग विभाग, लोक निर्माण विभाग, कृषि विभाग, ऊर्जा विभाग, हाउसिंग बोर्ड आदि से संबंधित सभी प्रकार के जन कल्याणकारी परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु कम समय व कम लागत में सर्वेक्षण, ड्राइंग व डिजाइन के कार्य किए जा सकते हैं।

पीपीपी मॉडल में यह हुआ है समझौता

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने मुंबई की कंपनी के साथ मिलकर इस ड्रोन को पीपीपी मॉडल के तहत खरीदा है। समझौते के मुताबिक ड्रोन की पूरी कीमत प्राइवेट कंपनी ने दी है। जब ड्रोन से किसी भी प्रोजेक्ट का सर्वे या डिजाइन तैयार किया जाएगा तो उससे जो आमदनी होगी उसका 70 प्रतिशत हिस्सा प्राइवेट कंपनी और 30 प्रतिशत हिस्सा विश्वविद्यालय के पास जाएगा।

यदि विश्वविद्यालय ने 10 साल के अंदर प्राइवेट कंपनी को लागत की पूरी रकम लौटा देता है तो जितनी भी आमदनी होगी उसका पूरा हिस्सा विश्वविद्यालय के पास जाएगा और ड्रोन भी उनका हो जाएगा। उस पर प्राइवेट कंपनी का अधिकार नहीं रहेगा।

हाईटेक ड्रोन से इन बड़े प्रोजेक्ट का हो चुका है सर्वे

इस हाईटेक ड्रोन की मदद से विश्वविद्यालय ने अब तक कई बड़े प्रोजेक्ट का सर्वे किया है। ड्रोन के जरिए ही बिलासपुर जिले में छत्तीसगढ़ की पहली भूमिगत पाइप सिंचाई सुविधा का सर्वे किया गया है। इसके साथ ही पाटन ब्लॉक में बरवा रेस्टॉरेशन योजना का डिजाइन बनाया गया है। धमतरी और बालोद जिले में जल जीवन मिशन के तहत गांवों में पेयजल वितरण का कार्य भी किया जा रहा है।

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