रायपुर : छत्तीसगढ़ में मदनपुर क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण 300 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर रायपुर पहुंचे. जहां सीएम भूपेश बघेल ने उनसे मुलाकात की. ग्रामीणों को सीएम ने भरोसा दिलाया कि उनके क्षेत्र में नियम विरुद्ध कार्य नहीं किया जाएगा. ग्राणीणों का कहना है कि राज्य सरकार हसदेव अरण्य वन क्षेत्र के इलाके में 5वीं अनुसूची और पेसा कानून की अनदेखी कर रही है, यानी कोल ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए ग्राम सभाओं की सहमती को दरकिनार किया जा रहा है.
नंगे पांव 300 किलोमीटर का सफर
हजारों की संख्या में ग्राणीण नंगे पांव 300 किलोमीटर का सफर तक करके राजधानी पहुंचे. सीएम से उन्होंने जल, जंगल जमीन को बचाने के लिए, अपने समृद्ध वन संपदा को सुरक्षित रखने के लिए, अपनी भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान को जिंदा रखने के लिए गुहार लगाई. ग्रामीणों का कहना है कि इनकी जमीन, जहां इनके घर और खेत हैं, उसके नीचे कोयला है. कोल ब्लॉक कई राज्यों के सरकारी बिजली कंपनियों को आवंटित किए गए हैं. एमडीओ के माध्यम से इन कोल ब्लॉक को विकसित करने का काम निजी कंपनियों को दिया गया है. कोल ब्लॉक जिस इलाके में है वह 5वीं अनुसूचि के अंतर्गत आता है. यहां पेसा कानून लागू है. यानी ग्राम सभा की अनुमति के बगैर जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सकता है. इसके बाद भी खनन कंपनियों के मुलाजिम लगातार गांव में सर्वे का काम कर रहे हैं. इस सर्वे से डरे ग्रामीण अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पैदल चलकर रायपुर पहुंचे.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की महिम रंग लाई
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि हसदेव अरण्य वन क्षेत्र को बचाने की लड़ाई अकेले उनकी नहीं है, जिनकी जमीनें जा रही हैं. यह पूरा इलाका 1700 वर्ग किलोमीटर में फैला है.क्षेत्र में कई दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं. हाथी और भालू जैसे वन्य जिवों का प्राकृतिक रहवास भी है. हसदेव और मांड नदी के जल ग्रहण का क्षेत्र है. इसी इलाके में 22 कोल ब्लॉक चिन्हित हैं. केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग की ईजाजत दे दी है. तब जबकि विश्व कोयला आधारित बिजलीघरों की बजाय सौर उर्जा जैसे वैकल्पिक माध्यमों की ओर बढ़ रहा है. इस क्षेत्र में चोटिया 1, चोटिया टू, परसा ईस्ट, केतेबासन में खनन का काम चल रहा है. इस वन क्षेत्र में 5500 मिलियन टन कोयला संग्रहित है.
छत्तीसगढ़ में प्रताड़ित हो रही आदिवासी- बीजेपी
वहीं मामले में बीजेपी सरकार को आदिवासी विरोधी बता रही है. बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का मानना है कि एक तरफ ये आदिवासी नृत्य-महोत्सव का निमंत्रण देने देश भर में जा रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में इन आदिवासियों को पैदल चलना पड़ रहा है.