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देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन : मां की ममता, लोगों की दुआएं… 104 घंटे के बाद 80 फीट के बोरवेल से बाहर आया राहुल


जांजगीर-चांपा : छत्तीसगढ़ से इस वक्त सबसे बड़ी खबर सामने आ रही हैं। जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे राहुल साहू को रेस्क्यू कर लिया गया हैं।
मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel की सतत मॉनिटरिंग में @NDRFHQ, #एसडीआरएफ, @CG_Police, भारतीय सेना और @JanjgirDist ने संयुक्त रूप से कर्तव्यनिष्ठा का पालन करते हुए राहुल को बोरवेल से निकालने का दुष्कर कार्य कर दिखाया। यह ऑपरेशन पूरे देश के लिए मिसाल है। छत्तीसगढ़ ने इतिहास रचा है। pic.twitter.com/l5mOuXrL9b
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) June 14, 2022
करीब 104 घंटो के बाद मासूम को टनल के द्वारा बाहर निकाला गया। मेडिकल चेकअप के बाद एंबुलेंस से राहुल साहू को अस्पताल के लिए रवाना किया गया है। इस तरह का ये देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताया जा रहा है।
माना कि चुनौती बड़ी थी
हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थीरास्ते अगर चट्टानी थे
तो इरादे हमारे फौलादी थेसभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है।
वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है। pic.twitter.com/auL9ZMoBP7
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 14, 2022
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के गड्ढे में गिरे मासूम को 104 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाल लिया गया। मासूम 80 फीट की गहराई वाले गड्ढे में गिरा और 65 फीट में फंस गया था। बच्चे को निकालने सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, बिजली विभाग सहित कुल 500 की टीम लगी हुई थी। बोर के समानांतर पहले गड्ढा खोदा गया, उसके बाद 20 फीट सुरंग बनाकर राहुल का रेस्क्यू किया गया। पत्थर की वजह से सुरंग बनाने में रेस्क्यू टीम को भारी मशक्कत करनी पड़ी।
हमारा बच्चा बहुत बहादुर है।
उसके साथ गढ्ढे में 104 घंटे तक एक सांप और मेढक उसके साथी थे।
आज पूरा छत्तीसगढ़ उत्सव मना रहा है, जल्द अस्पताल से पूरी तरह ठीक होकर लौटे, हम सब कामना करते हैं।
इस ऑपरेशन में शामिल सभी टीम को पुनः बधाई एवं धन्यवाद। pic.twitter.com/JejmhL7PBj
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 14, 2022
बिलासपुर से छोटी ड्रील मशीन मंगाकर टनल बनाया गया। राहुल को बोरवेल से निकालने के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बिलासपुर अपोलो अस्पताल भेजा गया है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन है, जो 103 घंटे से अधिक समय तक चला।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के गड्ढे में गिरे मासूम को 104 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाल लिया गया। मासूम 80 फीट की गहराई वाले गड्ढे में गिरा और 65 फीट में फंस गया था। बच्चे को निकालने सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, बिजली विभाग सहित कुल 500 की टीम लगी हुई थी। बोर के समानांतर पहले गड्ढा खोदा गया, उसके बाद 20 फीट सुरंग बनाकर राहुल का रेस्क्यू किया गया। पत्थर की वजह से सुरंग बनाने में रेस्क्यू टीम को भारी मशक्कत करनी पड़ी। बिलासपुर से छोटी ड्रील मशीन मंगाकर टनल बनाया गया। राहुल को बोरवेल से निकालने के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बिलासपुर अपोलो अस्पताल भेजा गया है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन है, जो 103 घंटे से अधिक समय तक चला।
बता दें कि जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा के पिहरीद गांव में 11 साल का राहुल साहू 10 जून को खेलते-खेलते घर के पीछे की तरफ चला गया। राहुल के पिता रामकुमार उर्फ लाला साहू ने घर की बाड़ी में बोर खुदवाया था। वह बोर फेल हो गया था, जिसे खुला छोड़ दिया गया था। इसी बोरवेल के गड्ढे में राहुल गिर गया। परिजन जब बाड़ी की तरफ गए तो बच्चे की रोने की आवाज आई, जिसे सुनकर परिजनों को घटना की जानकारी हुई। पुलिस को सूचना दी गई। घटना की जानकारी मिलते ही कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल, एसडीएम रेना जमील, एएसपी अनिल सोनी, तहसीलदार सहित जिला व पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। पहले बच्चे को रस्सी को रस्सी के सहारे निकालने का प्रयास किया गया, कोई सफलता नहीं मिलने पर दुर्ग-भिलाई, रायपुर, बिलासपुर सहित दूसरे राज्यों ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश से रेस्क्यू टीम को बुलाया गया। 5 दिनों की मेहनत आखिर रंग लाई और राहुल को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की पूरी टीम तैनात
राहुल को गड्ढे से निकालने के बाद जांजगीर-चांपा से बिलासपुर रेफर किया गया है। सीएम भूपेश बघेल ने राहुल को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बिलासपुर के अपोला अस्पताल लाने के निर्देश दिए थे, ताकि उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा राहुल को मिल सके। पिहरीद गांव से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। गांव में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम मौजूद है। एम्बुलेंस में डॉक्टरों की ड्यूटी लगाया है। वहीं रास्ते में पड़ने वाले अस्पतालों में भी डॉक्टरों को तैनात किया गया है। वहीं बिलासपुर के अपोलो अस्पताल से डॉक्टर लगातार संपर्क कर रहे हैं। रेस्क्यू और बिलासपुर आने को लेकर लगातार जानकारी ले रहे हैं। जांजगीर से बिलासपुर के रास्ते में भीड़ वाले रास्तों पर पुलिस जवान भी तैनात किए गए हैं।
सीएम भूपेश लगातार लेते रहे जानकारी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश की रेस्क्यू टीम को बुलाया गया था। गुजरात की रोबोटिक्स टीम द्वारा रविवार को बच्चे को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद खुदाई का काम फिर शुरू किया गया। सीएम ने राहुल के माता-पिता से बात की थी। दूसरे दिन उसी दादी से वीडियो कॉल पर कहा कि आप बिलकुल चिंता न करें हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि राहुल का शीघ्र रेस्क्यू हो जाए और वह जल्द ही हम लोगों के बीच सकुशल आए। सीएम भूपेश बघेल लगातार कलेक्टर से रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी लेते रहे। सीएम ने कहा कि चट्टानों से भी मज़बूत इस मासूम बालक के साहस को सलाम है। उसकी हिम्मत से ही यह रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो पाया।
पाइप के सहारे ऑक्सीजन व रस्सी से बांधकर दिया फल
बच्चे को पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन दिया जा रहा था। पहले 6 जेसीबी व 4 चैन माउनटेन से बोरवेल के गड्ढे के समानांतर गड्ढा किया गया। हैवी ड्रील मशीन से पत्थर को तोड़ा गया। बोरवेल में फंसे बच्चे तक जूस व फल पहुंचाया जाता रहा।
कैमरे से बच्चे की निगरानी होती रही, जिससे बच्चे के मूवमेंट की जानकारी मिलती रही। बच्चे को रेस्क्यू करने ओडिशा के कटक, गुजरात के सूरत से रोबोटिक्स टीम व आंध्र प्रदेश से एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया था। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसईसीएल की एक्सपर्ट टीम राहुल को निकलने में जुटी रही।
सेना, NDRF, SDRF सहित रेस्क्यू ऑपरेशन में 500 लोग
राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन में जांजगीर कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल के साथ 4 आईएएस, 2 आईपीएस, 1 एएसपी, 2 डिप्टी कलेक्टर, 5 तहसीलदार, 4 डीएसपी, 8 इंस्पेक्टर सहित रायगढ़, दुर्ग, बिलासपुर से भी बचाव दल की टीम लगी रही।
पुलिस के करीब 120 जवानों को सुरक्षा ड्यूटी में तैनात किया गया था। इसके अलावा 32 एनडीआरएफ, 15 एसडीआरएफ और सेना के जवान दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते रहे। कुल 500 के करीब अधिकारियों-कर्मचारियों की फौज गांव में 4 दिनों से डेरा डाले हुई थी। आपात चिकित्सा, फायर ब्रिगेड, बिजली विभाग का अमला गांव में ही मौजूद रहा। वहीं खुदाई में 4 पोकलेन, 6 जेसीबी, 3 फायर ब्रिगेड, हाइड्रा, स्टोन ब्रेकर, 10 ट्रैक्टर, होरिजेंटल ट्रंक मेकर, ड्रील मशीनें लगाई गई थी। रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ऑपरेशन ए, बी, सी बनाकर काम किया गया।
राहुल की सलामती के लिए पूजा-पाठ और दुआएं
हादसे के बाद से ही राहुल की मां और उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। हर कोई यह उम्मीद लगाए बैठा है कि जल्दी से राहुल को बाहर निकाल लिया जाए। पूरे गांव के लोग भी रात और दिन उसी जगह पर टिके रहते थे, जहां पर बच्चा गिरा था। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है। राहुल का एक और भाई है, जो उनसे दो साल छोटा है। राहुल का छोटा भाई रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान गड्ढे पर आकर राहुल को खाना खाने के लिए आवाज देता था। बच्चा राहुल स्पेशल चाइल्ड (मूक बधिर) है। वह केवल इशारों में बात करता है। राहुल की कुशलता के लिए प्रदेशभर में पूजा-पाठ के साथ दुआएं भी मांगी जाती रही। मां की ममता, सबकी दुआएं और रेक्स्यू टीम की मेहनत से राहुल जिंदगी की जंग जीत गया।
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन
कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि राहुल को बचाने पूरा प्रशासनिक अमला दिन-रात लगा रहा। राहुल अभी सुरक्षित है। बीच-बीच में थोड़ी दिक्कत आई, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। ईश्वर की कृपा से सब मुश्किलें आसान होती गई। राहुल को खाने-पीने की चीजें समय पर दिया जाता रहा। परिजन से भी आवाज के माध्यम से बात कराई जाती रही, ताकि उसका मनोबल बना रहे। विशेष कैमरे में उसकी हलचल पर निगरानी रखी जा रही थी। मंगलवार को राहुल ने दोपहर तक कुछ नहीं खाया था। इधर पत्थरों की वजह से टनल बनाने में मुश्किलें आती रही। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसईसीएल व जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में यह पूरा रेस्क्यू अभियान चलाया गया। सभी ने गजब की मेहनत की है। पूरी टीम को बधाई…।
5 दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन में यह हुआ
● राहुल 10 जून की दोपहर 2 बजे के आसपास गायब हुआ। उसका कुछ पता नहीं चल रहा था।
● बच्चे को ढूंढने के दौरान राहुल के माता-पिता को बोरवेल से रोने की आवाज आई।
● डायल 112 को सूचना दी गई। पुलिस से प्रशासनिक अमले को इसकी जानकारी मिली।
● शुक्रवार शाम 5 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। रस्सी के सहारे निकालने की कोशिश की गई।
● कलेक्टर-एसपी की मौजूदगी में जेसीबी से खुदाई का काम शुरू किया गया। ओडिशा के कटक से एनडीआरएफ व बिलासपुर से एसडीआरएफ की टीम पहुंची।
● देर रात तक सेना के जवान भी मौके पर पहुंच गए थे। पोकलेन व जेसीबी से खुदाई का काम युद्ध स्तर पर लता रहा।
● 11 जून को रोबोट इंजीनियर महेश अहीर को बुलाया गया।
● मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल के माता-पिता से फोन पर बात कर हौसला दिलाया।
● शनिवार को ही रस्सी से बच्चे को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
● 12 जून को बच्चे को रोबोट से निकालने का प्रयास किया गया। यह भी असफल हो गया।
● रविवार को माइनिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया और उसके बाद टनल बनाने का काम शुरू किया गया।
● खुदाई के दौरान चट्टान बीच में आ गया, जिसे तोड़ा गया।
● बड़ी मशीन से ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया। बिलासपुर से छोटी ड्रील मशीन मंगाई गई, जिससे सुरंग बनाया गया।
● 13 तारीख को लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। पत्थर को तोड़ने में दिक्कत हुई। 20 फीट के टनल और उसके बाद छोटी सुरंग बनाने में 48 घंटे लग गए। पत्थरों की वजह से सुरंग बनाने में काफी दिक्कत हुई।
● सोमवार-मंगलवार की मध्य रात राहुल के बाहर आने की बातें कही जाती रही, लेकिन चट्टानों ने राह मुश्किल कर दी। रेस्क्यू टीम ने हिम्मत नहीं हारी और मंगलवार दिनभर रेक्स्यू अभियान चलता रहा।
● 14 तारीख को भी ड्रील मशीन के सहारे सुरंग बनाने का काम चलता रहा। पत्थरों को हैंड ड्रील मशीन से काटा गया और देर रात राहुल का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया गया।
● राहुल लगभग 65 फीट की गहराई पर है और टनल 60 से 62 फीट तक बनाया गया है। रेस्क्यू टीम को राहुल देख रहा था और रेस्क्यू टीम राहुल को…।
● राहुल को बोरवेल से निकालने के बाद जांजगीर-चांपा से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया गया।
● छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन है। यह रेस्क्यू 103 घंटे तक चला।



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CM भूपेश जन्माष्टमी के दिन रायपुर के “कृष्ण-कुंज” में पौधरोपण की शुरूआत करेंगे ; CG में 162 स्थानों में होगा सांस्कृतिक महत्त्व के पौधो का रोपण


रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जन्माष्टमी के अवसर पर राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में विकसित किए जा रहे कृष्ण-कुंज में सांस्कृतिक एवं जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण की शुरूआत करेंगे।
बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में ’कृष्ण कुंज’ विकसित किए जा रहे हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के एवं जीवनोपयोगी आम, इमली, बेर, गंगा इमली, जामुन, गंगा बेर, शहतूत, तेंदू ,चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, गुलर, पलास, अमरूद, सीताफल, बेल, आंवला के वृक्षों का रोपण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को ’कृष्ण-कुंज’ विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आबंटन करने के निर्देश दिए हैं। अब तक राज्य के 162 स्थलों को ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हांकित कर लिया गया है। वृक्षारोपण की तैयारी भी बड़ी उत्साह के साथ की जा रही है।
इस कृष्ण जन्माष्टमी से पूरे राज्य में ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हित स्थल पर वृक्षों का रोपण प्रारंभ किया जाएगा। कृष्ण कुंज को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए सभी निकायों में एकरूपता प्रदर्शित करने हेतु वन विभाग द्वारा बाउंड्रीवाल गेट पर लोगो का डिजाईन एक समान तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के उद्देश्यों को लेकर कहा है कि, “वृक्षारोपण को जन-जन से जोड़ने, अपने सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उन्हें विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका नाम ‘कृष्ण-कुंज’ रखा गया है। विगत वर्षों में शहरीकरण की वजह से हो रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से इन पेड़ों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। आने वाली पीढ़ियों को इन पेड़ों के महत्व से जोड़ने के लिए ‘कृष्ण-कुंज’ की पहल की जा रही है।
रायपुर जिले के 10 नगरीय निकाय कुर्रा, खरोरा, बिरगांव, अटारी, तेलीबांधा, आरंग, चंदखुरी, कुरुद समोदा, उरला में कृष्ण-कुंज के लिए स्थल चयनित किया गया है। गरियाबंद जिले के 3 महासमुंद के 6, गौरेला पेंड्रा जिले के 2 कोरिया जिले के 7, कोंडागांव जिले के 3,दंतेवाड़ा जिले के 4, बीजापुर जिले, सुकमा, नारायणपुर के 1-1 स्थलों के साथ कुल 162 चयनित स्थलों में जन्माष्टमी पर पौधों का रोपण किया जायेगा।
सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ का हर एक पर्व प्रकृति और आदिम संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इनके संरक्षण के लिए ही यहां के तीज-त्यौहारों को आम लोगों से जोड़ा गया और अब ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के माध्यम से इन सांस्कृतिक महत्व के पेड़ों को सहेजने की अनुकरणीय पहल हो रही है। जो आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर कल की ओर ले जाएगी और एक नए छत्तीसगढ़ के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएगी।


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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश : हम भारतीयों ने संदेह जताने वालों को गलत साबित किया


नई दिल्ली : भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित किया है। इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं है, बल्कि, समृद्ध भी हुईं। लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में दुनिया की मदद करने का श्रेय भारत को दिया जा सकता है। बतौर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देश के नाम यह पहला संबोधन है।
मुर्मू ने कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं। दुनिया ने हाल के वर्षों में नए भारत को विकसित होते देखा है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद। अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया।
आजादी का महोत्सव भारत की जनता को समर्पित
राष्ट्रपति ने कहा, 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। आज़ादी का अमृत महोत्सव मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू हुआ। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है।
भारत में आज जीवन-मूल्यों को दी जा रही प्रमुखता
भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।


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छत्तीसगढ़ के 3 पुलिस अफसरों को केंद्रीय गृह मंत्रालय देगा मेडल ; देखिए सूची


नई दिल्ली, रायपुर : छत्तीसगढ़ के 3 पुलिस अफसरों को केंद्र सरकार द्वारा मेडल दिया जाएगा। शुक्रवार को इसे लेकर एक सूची जारी की गई। इसमें राज्य के 3 अफसरों का नाम शामिल है। एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल, इंस्पेक्टर दिनेश यादव और सब इस्पेक्टर दिव्या शर्मा को इस मेडल के लिए चयनित किया गया है।
देखिए सूची :
ये मेडल अफसरों को बेहतर इंवस्टिगेशन के लिए दिया जाता है। राजेंद्र जायसवाल ने कई क्रिमिनल केसेस के साथ टेरर फंडिंग के एक में काम किया, दिव्या शर्मा ने बच्चियों के प्रति हो रहे अपराधों में बेहतर जांच की। दिनेश यादव को भी समय पर जांच पूरी करने की वजह से ये मेडल दिया जा रहा है।


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