दुर्ग : छत्तीसगढ़ के दुर्ग को कुंए का शहर भी कहा जाता है. इसके पीछे की वजह ये है कि दुर्ग शहर में प्राचीन काल में बनाए गए 100 से ज्यादा कुंए आज भी मौजूद है. लेकिन उनकी देखरेख के अभाव में प्राचीन काल में बनाया गया कुंए आज विलुप्ति की कगार में है.
दुर्ग जिले में गंदगी से पट चुके और मृतप्राय कुंओं व तालाबों की सफाई एक सेमी रोबोटिक मशीन से कराई जाएगी. दुर्ग कलेक्टर ने इसकी मंजूरी दे दी है. कलेक्टर निर्देश पर सबसे पहले इंदिरा मार्केट का पट चुका कुंआ साफ किया गया है.
इस कुंआ को मैनुअल साफ करना बड़ी चुनौती थी. निगम के अधिकारियों और इंजीनियर्स ने कुएं में जहरीली गैस होने की आशंका जताते हुए इसे रोबोटिक्स मशीन से साफ करने की सलाह दी थी.
ऐसे में दुर्ग नगर निगम के महापौर धीरज बाकलीवाल और दुर्ग शहर विधायक अरुण वोरा ने इन कुंओ को फिर से विकसित करने का अभियान चलाया है. इसी के तहत दुर्ग के इंदिरा मार्केट में स्थित प्राचीन कुंआ जो 100 साल से ज्यादा पुराना है उसे साफ किया गया है.
बताया जाता है कि पहले इस कुएं की स्थिति ऐसी थी कि लोग इस कुएं के पास आना भी पसंद नहीं करते थे. पूरे कुएं में कचरा भरा हुआ था. ऐसे में प्रशासन की ओर से इंजीनियरिंग का छात्र आदित्य शराफ ने इस कुएं को फिर से जीवित करने के लिए आधुनिक तरीके से सेमी रोबोट के जरिए इस कुएं की सफाई करवाई.
इस कुंए से कई टन मलबा और कचरा बाहर निकाला और प्राकृतिक तरीके से कुए को विकसित किया. अब मार्केट के लोग इसी कुंए के पानी का यूज करते हैं.
आदित्य बताते हैं कि जब वो कुएं की सफाई कर रहे थे तो उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कुए के सफाई के लिए एक रोबोट भी बनाया और उस रोबोट के जरिए मानव रहित तरीके से कुएं को गहराई तक साफ सफाई किया गया. आज उस कुए की पानी इतना साफ हो गया है कि लोग इस कुएं का पानी पी रहे हैं.
कुंए को साफ करने के बाद उसके सौंदर्यीकरण के लिये आकर्षक लाईट और फव्वारा लगाया गया है. इसके साथ ही कुंए के पानी के प्रतिदिन उपयोग के लिये कॉमप्लेक्स मे 1000 लीटर की टंकी लगाई गई है.
वहीं अब नगर निगम भी भवन निर्माण और पौधो के सिंचाई कार्य हेतु हाइड्रेंट पाइप के माध्यम से इसके पानी का इस्तमाल कर पायेंगे. इंदिरा मार्केट व्यापारी संघ का इस परियोजना में भरपूर सहयोग रहा.
कुए की सफाई के दौरान 50 फीट नीचे एक सुरंग नुमा छेद भी मिला है. इससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि दुर्ग शहर के सभी कुएं इस सुरंग में छेद से आपस में जुड़े हुए हैं. कुए का पानी का लैब में टेस्टिंग भी कराया गया. जिसमें ये पाया गया कि मिनिरल वाटर के मुकाबले इस कुएं का पानी बहुत बेहतर है.
15 कुंआ और 30 तालाबों की होगी सफाई
दुर्ग निगम कमिश्नर ने बताया कि इंदिरा मार्केट का कुंआ पहला है. सेमी रोबोटिक मशीन से सफाई के लिए 15 कुंओं और 30 तालाबों का चिह्नांकन किया गया है. जिसमें साफ सफाई की जाएगी ताकि बेहतरीन वाटर रिचार्ज किया जा सके.
कुंओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास है प्राचीन
कुंओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास है काफी प्राचीन है। भारत में पहले शहर नदियों के किनारे बसते थे ताकि जलस्रोतों की किसी तरह की दिक्कत नहीं हो. ईसा की तीसरी सदी पूर्व जब मौर्य काल में बड़े पैमाने पर नगरों का विकास हुआ तो कुंओं की अधिक जरूरत महसूस हुई. इससे भारत में रिंग वेल कुंओं का विकास हुआ. अभी आरंग के रीवा में जो खुदाई चल रही है उसमें रिंग वेल प्राप्त हुए हैं. इस तरह छत्तीसगढ़ में भी उसी परंपरा को अपनाया गया.