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लघु वनोपजों की खरीदी में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अव्वल


- तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री में 1090% का इजाफा
- लघु वनोपजों से संवर रहा है छत्तीसगढ़ के वनवासियों का जीवन
- मुख्यमंत्री के प्रयासों से हो रही है अधिकतम लघु वनोपजों की खरीदी
- छत्तीसगढ़ हर्बल के माध्यम से छत्तीसगढ़ की बन रही है विश्वव्यापी पहचान
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य ने एक नया कीर्तिमान कायम करते हुए बीते तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री में 1090 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री 1 करोड़ 26 लाख रूपए थी जो वर्ष 2018-19 में 8.7 फीसदी बढ़कर 1 करोड़ 37 लाख रूपए तक पहुंची थी। वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पादों की बिक्री 1 करोड़ 25 लाख रूपए की रही। वर्ष 2020-21 में विगत आंकड़ों से 70 फीसदी की वृद्धि के साथ छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पाद की बिक्री 2 करोड़ 15 लाख रूपए रही। वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पादों की बिक्री के लिए 7 करोड़ रूपए का लक्ष्य रखा गया तथा वित्तीय वर्ष के शुरूआती 9 माह में ही लक्ष्य के विरूद्ध 4 करोड़ 34 लाख रूपए के उत्पादों की बिक्री की जा चुकी है। यह 2017-18 के विरूद्ध 455 फीसदी ज्यादा है। इसी तरह से छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए छत्तीसगढ़ हर्बल उत्पादों की बिक्री के लिए 15 करोड़ रूपए का लक्ष्य रखा है और यह लक्ष्य साल 2017-18 की तुलना में 1090 फीसदी अधिक है ।
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छत्तीसगढ़ राज्य सन 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य बना था, तब छत्तीसगढ़ को कोई जानता भी नहीं था परन्तु धीरे धीरे छत्तीसगढ़ अब हर क्षेत्र में आगे आते जा रहा है। उन्ही में से एक क्षेत्र है लघु वनोपज संग्रहण का क्षेत्र जिसमे छत्तीसगढ़ ने अपना पहला स्थान बरकरार रखा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण और छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है।

छत्तीसगढ़ हर्बल्स, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार और विकास) सहकारी संघ (CGMFPFeD) की एक इकाई हैंl राज्य में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधन, जंगलो में और उसके आसपास रहने वाले व्यक्तियों, विशेषकर आदिवासियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार और विकास) सहकारी संघ यह प्रयास कर रहा है कि मूल्यवान संसाधनों को छत्तीसगढ़ के स्थायी मॉडल में सुरक्षित और एकत्र किया जाए। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में 52 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीद की जा रही है, जबकि तीन वर्ष पहले यहां सिर्फ 7 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर होती थी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग के सकारात्मक दृष्टिकोंण की वजह से छत्तीसगढ़ हर्बल्स के प्रोडक्ट आन लाइन माध्यम से पूरे भारत में बिक रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार और विकास) सहकारी संघ( CGMFPFeD) वनवासियों से 52 लघु वनोपज खरीदता है और 150 से अधिक मूल्य वर्धित उत्पादों का उत्पादन कर रहा है। संघ ने उत्पादों की खुदरा बिक्री के लिए राज्य के सभी प्रमुख जिलों में 30 संजीवनी केंद्र स्थापित किए हैं। वर्ष 2021-2022 के दौरान, छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए संघ ने विभिन्न नई रणनीतियों को अपनाया और नई बिक्री तकनीकों को लागू किया।
छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों की बिक्री के लिए सर्वप्रथम वितरण नेटवर्क प्रबंधन तैयार किया गया और इसके लिए एक निजी फर्म को काम दिया गया जिससे वितरण के लिए नए क्षेत्र खुले। मार्च 2021 में छत्तीसगढ़ हर्बल्स के अधिकृत वितरक के रूप में अवनि आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड को नियुक्त किया गया । संजीवनी आउटलेट के प्रभावी प्रबंधन और उत्पादों की मजबूत आपूर्ति श्रृंखला से उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है तथा संरचित विज्ञापन और प्रचार-प्रसार से संजीवनी केन्द्रो और हर्बल उत्पादों की दृश्यता बढ़ी है l प्रचार के लिए विभिन्न विपणन सामग्रियों का उपयोग किया गया तथा समय-समय पर समाचार पत्र, होर्डिंग्स, सूचना पत्रक आदि का उपयोग किया गया l
छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों को डीलर, सब-डीलर और रिटेलर्स के माध्यम से ओपन रिटेल मार्केट नेटवर्क में प्रवेश मिला है और इससे उत्पादों को बाजार और ग्राहकों तक पहुंचना आसान हो गया। इसके लिए छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख जिलों में डीलरों की नियुक्ति की गई। इसके लिए वितरक द्वारा 9 माह में 15 डीलर नियुक्त किए गए। इसके अलावा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय स्तर की प्रदर्शनियों में छत्तीसगढ़ हर्बल्स की उपस्थिति ने विश्व स्तर पर उत्पादों की पहुंच का विस्तार किया है। छत्तीसगढ़ हर्बल्स ने दुबई में अंतर्राष्ट्रीय गल्फ फूड फेस्टिवल, दिल्ली में इंटरनेशनल इंडसफूड इवेंट, दिल्ली में ट्राइबल फेस्टिवल, भोपाल में इंटरनेशनल हर्बल फेयर, छत्तीसगढ़ दिवाली हाट मेला, राज्योत्सव और मॉल में प्रदर्शनियों में भाग लिया जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ हर्बल्स को एक ब्रांड के रूप में स्थायित्व मिला है।
अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में छत्तीसगढ़ हर्बल्स के प्रवेश ने इसके उत्पादों की उपलब्धता देश भर में सुनिश्चित की है। छत्तीसगढ़ हर्बल्स को देश के लगभग हर राज्य से ऑर्डर मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों को ग्रामीण ई-स्टोर के सीएससी नेटवर्क (CSC Grameen e store) के साथ जोड़ने से इसकी उपस्थिति ग्रामीण बाजार में भी सुनिश्चित हुयी है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ के अपने जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स श्री धन्वन्तरी में भी छत्तीसगढ़ हर्बल्स की उपलभ्धता सुनिश्चित की जा रही है और उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग से यह ग्राहकों के लिए आकर्षक बनाया गया है। ग्राहकों की संख्या में वृद्धि करने के लिए प्रदेश भर में संजीवनी आउटलेट्स का नवीनीकरण किया गया और इससे ग्राहक आकर्षित भी हुए हैं। छत्तीसगढ़ हर्बल्स को व्यापक बनाने के लिए इसके अंतर्गत अनाज, मसाले, कुकीज, पर्सनल केयर आइटम आदि जैसी नई उत्पादों की श्रृंखला जोड़ी गयी है जिससे ग्राहकों को खरीदारी करने के लिए व्यापक रेंज की उपलब्धता सुनिश्चित हुयी है। इतना ही नहीं उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए गिफ्ट हैंपर्स की प्रीमियम श्रंखला बनायी गयी है और इसकी उपलभ्धता सुनिश्चित कराई गयी है जिससे हर्बल उत्पादों का व्यवस्थित तरीके से प्रचार प्रसार हुआ है तथा ग्राहकों ने इन गिफ्ट हैंपर्स को हाथो हाथ अपनाया है।
छत्तीसगढ़ के वन प्राकृतिक संसाधनों से भरे हुए हैं, लेकिन यहां तक पहुंच न होने की वजह से इनका उपयोग भी सीमित था। छत्तीसगढ़ में श्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में इन प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को परखा गया और समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 कर दी गयी। छत्तीसगढ़ सरकार के वनवासियों के हित में काम करने के लिए भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भारत सरकार नई दिल्ली (ट्रायफेड) की ओर से छत्तीसगढ़ को लघु वनोपजों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत साल 2020-21 में अधिकतम वनोपजों को योजना में शामिल करने, भारत शासन की राशि से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपजों के क्रय, भारत शासन एवं राज्य शासन की राशि से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपजों के क्रय, उपलब्ध कराई गई राशि की वर्ष 2020-21 तक अधिकतम उपयोगिता, वन धन योजना के अंतर्गत अधिकतम सर्वेक्षण पूर्ण करने, वन विकास केन्द्र कलस्टरों हेतु अधिकतम प्रशिक्षण देने, मूल्य संवर्धन से अधिकतम उत्पादों के निर्माण, मूल्य संवर्धन कर उत्पादों के अधिकतम विक्रय के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया था।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वनक्षेत्र है। इन वनक्षेत्रों में तथा इसके आसपास रहने वाले वनवासियों के जीवन एवं आजीविका का मुख्य स्त्रोत वनोपज संग्रहण है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा 7 वनोपजों के स्थान पर 52 वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी की सुदृढ व्यवस्था की है। इस योजना से प्रदेश के 6 लाख से अधिक वनोपज संग्राहक लाभान्वित हो रहे हैं और छत्तीसगढ़ पिछले दो वर्षों से देश में वनोपज खरीदी में प्रथम स्थान पर है।



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छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि और आजीविका मॉडल को मिली सराहना ; श्रीनगर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में कृषि उत्पादन आयुक्त ने दिया प्रस्तुतीकरण


रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने तथा कृषि आधारित गतिविधियों के माध्यम से गांवों में रोजगार और लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए किए जा रहे कार्यों को देश के अन्य राज्यों ने जाना, समझा और सराहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि और आजीविका मॉडल को जानने और समझने के लिए ‘‘प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से नागरिकों और सरकार को करीब लाने’’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में छत्तीसगढ़ को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।
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श्रीनगर में आयोजित इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह ने छत्तीसगढ़ में सतत कृषि और आजीविका विकास के मॉडल के बारे में विस्तार से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुति दी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य बीते साढ़े 3 सालों में कृषि के क्षेत्र में मॉडल राज्य के रूप में उभरा है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों के चलते राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता एवं किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता और फसल विविधीकरण कोबढ़ावा देने के लिए संचालित राजीव गांधी किसान योजना से कृषि को प्रोत्साहन मिला है। सुराजी गांव योजना के नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम और गोधन न्याय योजना से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। गौठान और गोधन न्याय योजना से राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा मिला है। ग्रामीण पशुपालक किसानों को पशुधन के देखरेख, उनके चारे- पानी के प्रबंध की चिंता दूर हो गई है।
गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से पशुपालक किसानों को अतिरिक्त लाभ होने लगा है। पशुपालन राज्य में अब आय का जरिया बन गया है। राज्य के 8397 गांव में निर्मित एवं संचालित गौठानों में अब तक 69.28 लाख क्विंटल गोबर का क्रय किया गया है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता पशुपालकों और ग्रामीणों को 138 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। क्रय गोबर से 19 लाख क्विंटल से अधिक कंपोस्ट खाद का निर्माण कर महिला समूह ने 33 करोड़ 40 लाख की आय अर्जित की है। कंपोस्ट खाद का खेती में उपयोग होने से खाद्यान्न की गुणवत्ता और उत्पादकता बेहतर हुई है। कृषि की लागत में कमी आई है।
छत्तीसगढ़ में पशुओं की खुली चढ़ाई प्रथा पर रोक लगी है। इससे पशुओं से फसल हानि रुकी है। कृषि उत्पादकता और दोहरी फसल का रकबा बढ़ा है। गौठान में पशुधन के चारे के प्रबंध के लिए राज्य में पैरादान अभियान से खेतों में पराली जलाने की समस्या से छुटकारा मिला है, जिसके चलते पर्यावरण को होने वाले नुकसान और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। राज्य के किसानों ने गौठानों को 20 लाख क्विंटल पैरा दान किया है, जिसका मूल्य लगभग 40 करोड़ रुपए है।
राज्य के गांवों में स्थापित गौठानों से 12,013 महिला स्व- सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82725 है। महिला समूह गौठनों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट प्लस के उत्पादन के साथ ही कई तरह के अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं। विभिन्न आय मूलक गतिविधियां जिसमें सब्जी उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, बटेर पालन, मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन, मसाला निर्माण, साबुन ,डिटर्जेंट, अगरबत्ती का निर्माण चौन फेंसिंग तार, फेंसिंग पोल बनाने के साथ ही दाल मिल, तेल मिल, मिनी राइस मिल सहित वनोपज प्रसंस्करण यूनिट आदि का संचालन कर रही हैं।
इससे महिला समूह को अब तक 65 करोड़ 45 लाख रुपए की आय हुई है। गौठानों में गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत हो चुकी है। गोबर से नेचुरल पेंट बनाने के लिए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं, इससे गावों में रोजगार और ग्रामीणों के आय में वृद्धि होगी।


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छत्तीसगढ़ : Dial 112 की टीम ने बचाई एक और जान : बिलासपुर में पंखे से फंदा लगाकर सुसाइड का प्रयास कर रहे युवक को पुलिस ने बचाया


बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में डायल 112 की टीम ने एक युवक की जान बचाई। सोमवार को फांसी लगाकर सुसाइड करने जा रहे एक युवक को पुलिस ने बचा लिया। युवक पंखे से फंदा लगाकर जैसे ही लटका, पुलिस दरवाजा तोड़ अंदर घुसी और उसे नीचे उतारा। युवक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। मामला तखतपुर थाना क्षेत्र का है।
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जानकारी के अनुसार, पुलिस को सूचना मिली कि चूलघाट रोड वार्ड-1 निवासी दिनेश यादव अपने घर में फांसी लगा रहा है। इस पर डायल-112 की टीम पहुंची तो घर के अंदर जाने के दोनों दरवाजे बंद थे। इस पर पुलिसकर्मियों ने खिड़की से झांका। अंदर दिनेश तार से फंदा बनाकर पंखे से लटक रहा था।

यह देख पुलिसकर्मियों ने दरवाजा तोड़ दिया और अंदर दाखिल हुए। जब तक दिनेश को उतारा गया, वह लगभग बेहोश हो चुका था। इस पर पुलिसकर्मी उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। वहां उसकी हालत ठीक है। हालांकि यह नहीं पता चल सका है कि युवक ने खुदकुशी करने का प्रयास क्यों किया।


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छत्तीसगढ़ : आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में श्रम विभाग को जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए मिला पुरस्कार


रायपुर : नई दिल्ली में आयोजित आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में श्रम विभाग को श्रमिकों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत समिट में राजभवन के सचिव और श्रम विभाग के सचिव अमृत कुमार खलखो को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। खलखो ने आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में किए जा रहे जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर अपनी बात रखी। साथ ही भविष्य में छत्तीसगढ़ की योजनाओं को लेकर भी अपने अनुभव साझा किए।
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आत्म निर्भर भारत सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में हुआ, जिसमें भारत सरकार के सचिव श्री यू.पी. सिंह, केंद्र सरकार एडिशनल सेक्रेटरी श्री संजय जाजू, ज्वाइंट सेक्रेटरी श्री बी. पुरूषार्थ, सी.ई.ओ. श्री डॉ. अभिषेक सिंह, एन.आई.सी. की डायरेक्टर जनरल श्रीमती नीता वर्मा, इलेट्स समूह के सी.ई.ओ. डॉ रवि गुप्ता समेत देशभर के कई राज्यों से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।

श्री खलखो ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है, जिसमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिक आवश्यक न्यूनतम दस्तावेजों के साथ पोर्टल में स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। इनके लिए एकीकृत श्रम पंजीकरण प्रणाली लागू की गई है। पी.डी.एस. डाटाबेस का उपयोग करके श्रमिक पंजीकरण का कार्य किया गया।
श्रम विभाग की अधिकांश सेवाएं लोक सेवा अधिनियम के अंतर्गत आती हैं और एक निर्धारित समय के भीतर प्रदान की जाती हैं। विभाग द्वारा प्रवासी श्रमिक पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। पहले इसे ऑफलाइन किया जा रहा था लेकिन अब इसे ऑनलाईन भी किया गया है। 148 ब्लॉकों में श्रम संसाधन केंद्र खोले गए हैं। मातृत्व लाभ और सामाजिक योजनाओं और उसके लाभों के बारे में श्रमिकों के बीच जागरूकता लाई जा रही है। महिला प्रवासी कामगारों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में मदद की जा रही है। बच्चों को उचित औपचारिक शिक्षा देने के लिए श्रम मित्र योजना और शैक्षणिक छात्रवृति योजना चालू की गई है। मजदूरों को उनके कानूनी अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए हेल्पलाईन के माध्यम से सहायता दी जा रही है। इलेट्स समूह द्वारा आयोजन कमेटी की ओर से श्री मयंक ठाकुर ने श्रम विभाग के सचिव श्री अमृत खलखो से मुलाकात कर यह प्रशस्ति पत्र आज भेंट किया।


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