रायपुर : हेल्थ विभाग के कोरोना डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष और मीडिया इंचार्ज ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. सुभाष पांडेय का बुधवार को कोरोना की बीमारी से निधन हो गया। वो शनिवार से इलाज के लिए एम्स अस्पताल में भर्ती थे। प्रदेश में होम आइसोलेशन की सुविधा आम लोगों के लिए शुरू करने से पहले रायपुर और दुर्ग में 6 डॉक्टरों पर जो शुरूआती प्रयोग हुआ, उसमें डॉक्टर सुभाष पांडेय भी बतौर मरीज शामिल हुए थे।
कोरोना की बीमारी के दौरान भी वो पहली लहर के दौर में वर्क फ्रॉम होम करते रहे, हर दिन उस दौरान कोरोना का मीडिया बुलेटिन वो जारी करते रहे। स्टेट कोरोना कंट्रोल और कमांड सेंटर में उनके साथ काम करने वाली टीम के सदस्यों ने बताया कि सोमवार को भी अस्पताल में भर्ती रहते हुए उन्होंने आखिरी बार मीडिया बुलेटिन को देखा था। उनके ओके करने के बाद ही सोमवार का मीडिया बुलेटिन जारी किया गया था।
कंट्री न्यूज टुडे का सवाल है अगर डॉक्टर सुभाष पांडे को दो बार कोरोना टीका लगा तो उनकी मौत कैसे हुई ? टीका क्या मौत को आमंत्रित करने के लिए लगाया जा रहा है?
नया राज्य बनने के बाद 2000 से 2010 के दौरान उन्होंने प्रदेश के पहले राज्य टीकाकरण अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी संभाली भी थी। उस वक्त पोलियो वैक्सीनेशन के साथ प्रदेश के सभी जिलों और विकासखंड स्तर पर कोल्डचेन सेटअप को बनाने में उनकी खासी भूमिका रही। सुभाष पांडे के पिता जयनारायण पांडेय प्रदेश के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी रहे, उनके नाम पर राजधानी में स्कूल और एक स्ट्रीट का नाम भी है। उनके परिवार में सभी सदस्य डॉक्टर हैं। उनकी पत्नी डॉ. चंद्रमणि पांडेय 2019 में हेल्थ विभाग से रिटायर हुई है। उनके बेटे और पुत्री भी डॉक्टर हैं।
निजी न्यूज से आखिरी बातचीत – डेथ के बढ़ते मामलों पर जताई चिंता
हर हफ्ते प्रदेश में कोरोना डेथ के ऑडिट और विश्लेष डॉ. सुभाष पांडेय अपनी टीम के साथ किया करते थे। पिछले हफ्ते जब संक्रमण की दूसरी लहर में अचानक प्रदेश में मौत के आंकड़े बढ़े तो उन्होंने इसके पीछे मुख्य वजह मरीजों का इलाज के लिए देरी से भर्ती होना बताया था। कोमॉर्बिडिटी और कोरोना मौत के अनुपात में आ रहे अंतर को लेकर भी उन्होंने भास्कर से बातचीत में बताया था कि प्रदेश में अब केवल कोरोना के कारण मरीजों की मौत की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसमें भी युवा और बुजुर्ग वर्ग दोनों ही आयु समूह में मौत के आंकड़े सामने आ रहे हैं।