Friday, March 29, 2024

Chhattisgarh : अब गांव में ही हो सकेगी सिकल सेल की पहचान, इन 5 जिलों में हुई पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत

रायपुर : छत्तीसगढ़ में सिकलसेल की पहचान अब जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर स्वयं करेंगे। ग्रामीणों को अब दूर के अस्पताल में जाकर जांच नहीं करानी पड़ेगी। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस संबंध में राज्य में लागू किए जा रहे पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। प्रदेश के पांच जिलों दुर्ग,सरगुजा , दंतेवाड़ा, कोरबा एवं महासमुंद जिलों में शुरू किए जा रहे इस प्रोजक्ट के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आई सी एम आर के मुंबई स्थित संस्थान इंस्टीट्यूट आफ इॅम्यूनो हिमेटोलाॅजी के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। इस जांच के लिए किया जाने वाला पांइट आफ टेस्ट तकनीक अंतर्राष्टीय एवं राष्टीय वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा प्रमाणित है।

इस नई तकनीक का उपयोग कर सिकलसेल रोग की पुष्टि ग्राम स्तर पर और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी की जा सकेगी। इससे सिकलसेल बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी। गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच हो जाने से मातृ एवं नवजात मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिलेगी। वर्तमान में सिकल सेल के लिए आधुनिकतम दवाएं उपलब्ध हैं जिससे रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।

ज्ञात हो कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत दो वर्षाें में सिकलसेल के संदेहात्मक प्रकरणों की पहचान के लिए बडे़ पैमाने पर स्क्रीनिंग की गई है। स्क्रीनिंग में 1.03 लाख लोगों को चिंहांकिंत किया गया और उनका इलाज किया जा रहा है।

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