रायपुर : राजधानी अस्पताल में 5 लोगों की मौत मामले में प्रबंधक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। लापरवाही बरतने के आरोप में ये कार्रवाई की गई है। मृतक सभी कोरोना मरीज थे।
बता दें राजधानी राहुल गांधी ने ट्वीट कर इस घटना पर दुख जताया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा है कि अस्पताल के ICU में आग लगने की खबर दुखद है। अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों को मेरी संवेदनाएं हैं। राहुल गांधी ने राज्य सरकार से अपील शोकग्रस्त परिवारों को सहायता देने की अपील की है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस घटना को बेहद दुर्भाग्यजनक बताया है । उन्होंने शोक संतप्त परिवार के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की है
मुख्यमंत्री ने इस हादसे में मृत सभी 4 लोगों के परिजनों को 4- 4 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा भी की है। दुर्घटना की सूचना मिलते ही जिला कलेक्टर डॉ एस भारतीदासन और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव घटनास्थल पर पहुंच गए हैं, वे यहां सहायता और मदद की कार्यों का व्यक्तिगत रूप से अवलोकन कर रहे हैं। इस दुर्घटना में एक मरीज की मृत्यु आग से जलने से हुई है तथा 3 की मृत्यु दम घुटने से हुई है।
बता दें राजधानी रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थित राजधानी कोविड अस्पताल में आज आगजनी हो गई। इस घटना में मृतकों का आंकड़ा पांच तक पहुंच गया है। बता दें कि अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी, लेकिन अभी ताजा जानकारी के अनुसार एक ओर मरीज की मौत हो गई। बताया गया कि 4 की दम घुटने से और एक की 1 की जलने से मौत हुई है। मामले को लेकर अस्पताल संचालकों के खिलाफ टिकरापारा थाने में मामला दर्ज किया गया है।
अस्पताल कर्मियों ने बताया की पहले और दूसरे माले के आईसीयू में लगभग 50 लोग थे, आग आईसीयू में लगे पंखे से शुरु हुई और फैलती गई। इसके बाद दोनों मंजिलों में धुआं भर गया। इस घटना में 1 मरीज की जलकर और 4 मरीजों की दम घूटने से मौत हो गई।
इस पुरी घटना में अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। आग लगने के बाद अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन ने किसी प्रकार की एंबुलेंस या ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी सुविधा नहीं दी।
आग लगने पर मरीजों को सुरक्षा के लिए बाहर कर दिया गया, लेकिन मरीज के परिजन खुद आटो, कार और एंबुलेंस के माध्यम से मरीजों को लेकर घर या दूसरे अस्पताल में बिस्तर खोजने निकल गए। मजबूरी में परिजन को पाजिटिव मरीज के साथ कार में सवार होकर जाना पड़ा, इनमें ज्यादातर मरीजों को बिस्तर नहीं मिलने से घर ही जाना पड़ा।