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नीति आयोग के टॉप 5 आकांक्षी जिलों में छत्तीसगढ़ के 2 जिले, शिक्षा के क्षेत्र में हुए बेहतर कार्य, सीएम बघेल ने दी बधाई


रायपुर : शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यो में पूरे देश के टाॅप 5 आकांक्षी जिलों में छत्तीसगढ़ प्रदेश के दो जिलों ने अपना स्थान बनाया है।
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#AspirationalDistricts are making all efforts in ensuring access to #education for all, which is key to their socio-economic prosperity.
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Congratulations to the 5⃣ most improved districts on #NITIAayog's Delta Ranking for January 2021. pic.twitter.com/4ffQUTau4q
— NITI Aayog (@NITIAayog) March 3, 2021
भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यो के आधार पर देश के आकांक्षी जिलों की जनवरी 2021 की डेल्टा रेकिंग जारी की गई है। जिसमें छत्तीसगढ़ का दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले ने तीसरा स्थान और बस्तर जिले ने चौथा स्थान बनाया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा और बस्तर जिलेवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है और कहा की है कि कभी विकास में पिछड़े माने जाने वाले ये जिले आज दूसरे जिलों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहे है।
नीति आयोग ने देश के आंकाक्षी जिलो में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बेहतर कार्य करने टाॅप 5 जिलों की डेल्टा रेकिंग जारी करते हुए इन्हें बधाई दी है और कहा कि सामाजिक और आर्थिक समृद्धि में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।



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छत्तीसगढ़ : आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में श्रम विभाग को जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए मिला पुरस्कार


रायपुर : नई दिल्ली में आयोजित आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में श्रम विभाग को श्रमिकों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत समिट में राजभवन के सचिव और श्रम विभाग के सचिव अमृत कुमार खलखो को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। खलखो ने आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में किए जा रहे जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर अपनी बात रखी। साथ ही भविष्य में छत्तीसगढ़ की योजनाओं को लेकर भी अपने अनुभव साझा किए।
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आत्म निर्भर भारत सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में हुआ, जिसमें भारत सरकार के सचिव श्री यू.पी. सिंह, केंद्र सरकार एडिशनल सेक्रेटरी श्री संजय जाजू, ज्वाइंट सेक्रेटरी श्री बी. पुरूषार्थ, सी.ई.ओ. श्री डॉ. अभिषेक सिंह, एन.आई.सी. की डायरेक्टर जनरल श्रीमती नीता वर्मा, इलेट्स समूह के सी.ई.ओ. डॉ रवि गुप्ता समेत देशभर के कई राज्यों से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।

श्री खलखो ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है, जिसमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिक आवश्यक न्यूनतम दस्तावेजों के साथ पोर्टल में स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। इनके लिए एकीकृत श्रम पंजीकरण प्रणाली लागू की गई है। पी.डी.एस. डाटाबेस का उपयोग करके श्रमिक पंजीकरण का कार्य किया गया।
श्रम विभाग की अधिकांश सेवाएं लोक सेवा अधिनियम के अंतर्गत आती हैं और एक निर्धारित समय के भीतर प्रदान की जाती हैं। विभाग द्वारा प्रवासी श्रमिक पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। पहले इसे ऑफलाइन किया जा रहा था लेकिन अब इसे ऑनलाईन भी किया गया है। 148 ब्लॉकों में श्रम संसाधन केंद्र खोले गए हैं। मातृत्व लाभ और सामाजिक योजनाओं और उसके लाभों के बारे में श्रमिकों के बीच जागरूकता लाई जा रही है। महिला प्रवासी कामगारों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में मदद की जा रही है। बच्चों को उचित औपचारिक शिक्षा देने के लिए श्रम मित्र योजना और शैक्षणिक छात्रवृति योजना चालू की गई है। मजदूरों को उनके कानूनी अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए हेल्पलाईन के माध्यम से सहायता दी जा रही है। इलेट्स समूह द्वारा आयोजन कमेटी की ओर से श्री मयंक ठाकुर ने श्रम विभाग के सचिव श्री अमृत खलखो से मुलाकात कर यह प्रशस्ति पत्र आज भेंट किया।


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CG : दुर्ग में रोबोट ने इंदिरा मार्केट के 100 साल पुराने कुएं को किया एकदम साफ, गंदगी से पट चुका था कुंआ, पानी का PH लेवर भी बढ़ा ; कई कुंआ तालाबों की होगी सफाई


दुर्ग : छत्तीसगढ़ के दुर्ग को कुंए का शहर भी कहा जाता है. इसके पीछे की वजह ये है कि दुर्ग शहर में प्राचीन काल में बनाए गए 100 से ज्यादा कुंए आज भी मौजूद है. लेकिन उनकी देखरेख के अभाव में प्राचीन काल में बनाया गया कुंए आज विलुप्ति की कगार में है.
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दुर्ग जिले में गंदगी से पट चुके और मृतप्राय कुंओं व तालाबों की सफाई एक सेमी रोबोटिक मशीन से कराई जाएगी. दुर्ग कलेक्टर ने इसकी मंजूरी दे दी है. कलेक्टर निर्देश पर सबसे पहले इंदिरा मार्केट का पट चुका कुंआ साफ किया गया है.

इस कुंआ को मैनुअल साफ करना बड़ी चुनौती थी. निगम के अधिकारियों और इंजीनियर्स ने कुएं में जहरीली गैस होने की आशंका जताते हुए इसे रोबोटिक्स मशीन से साफ करने की सलाह दी थी.
ऐसे में दुर्ग नगर निगम के महापौर धीरज बाकलीवाल और दुर्ग शहर विधायक अरुण वोरा ने इन कुंओ को फिर से विकसित करने का अभियान चलाया है. इसी के तहत दुर्ग के इंदिरा मार्केट में स्थित प्राचीन कुंआ जो 100 साल से ज्यादा पुराना है उसे साफ किया गया है.
बताया जाता है कि पहले इस कुएं की स्थिति ऐसी थी कि लोग इस कुएं के पास आना भी पसंद नहीं करते थे. पूरे कुएं में कचरा भरा हुआ था. ऐसे में प्रशासन की ओर से इंजीनियरिंग का छात्र आदित्य शराफ ने इस कुएं को फिर से जीवित करने के लिए आधुनिक तरीके से सेमी रोबोट के जरिए इस कुएं की सफाई करवाई.
इस कुंए से कई टन मलबा और कचरा बाहर निकाला और प्राकृतिक तरीके से कुए को विकसित किया. अब मार्केट के लोग इसी कुंए के पानी का यूज करते हैं.
आदित्य बताते हैं कि जब वो कुएं की सफाई कर रहे थे तो उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कुए के सफाई के लिए एक रोबोट भी बनाया और उस रोबोट के जरिए मानव रहित तरीके से कुएं को गहराई तक साफ सफाई किया गया. आज उस कुए की पानी इतना साफ हो गया है कि लोग इस कुएं का पानी पी रहे हैं.
कुंए को साफ करने के बाद उसके सौंदर्यीकरण के लिये आकर्षक लाईट और फव्वारा लगाया गया है. इसके साथ ही कुंए के पानी के प्रतिदिन उपयोग के लिये कॉमप्लेक्स मे 1000 लीटर की टंकी लगाई गई है.
वहीं अब नगर निगम भी भवन निर्माण और पौधो के सिंचाई कार्य हेतु हाइड्रेंट पाइप के माध्यम से इसके पानी का इस्तमाल कर पायेंगे. इंदिरा मार्केट व्यापारी संघ का इस परियोजना में भरपूर सहयोग रहा.
कुए की सफाई के दौरान 50 फीट नीचे एक सुरंग नुमा छेद भी मिला है. इससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि दुर्ग शहर के सभी कुएं इस सुरंग में छेद से आपस में जुड़े हुए हैं. कुए का पानी का लैब में टेस्टिंग भी कराया गया. जिसमें ये पाया गया कि मिनिरल वाटर के मुकाबले इस कुएं का पानी बहुत बेहतर है.
15 कुंआ और 30 तालाबों की होगी सफाई
दुर्ग निगम कमिश्नर ने बताया कि इंदिरा मार्केट का कुंआ पहला है. सेमी रोबोटिक मशीन से सफाई के लिए 15 कुंओं और 30 तालाबों का चिह्नांकन किया गया है. जिसमें साफ सफाई की जाएगी ताकि बेहतरीन वाटर रिचार्ज किया जा सके.
कुंओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास है प्राचीन
कुंओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास है काफी प्राचीन है। भारत में पहले शहर नदियों के किनारे बसते थे ताकि जलस्रोतों की किसी तरह की दिक्कत नहीं हो. ईसा की तीसरी सदी पूर्व जब मौर्य काल में बड़े पैमाने पर नगरों का विकास हुआ तो कुंओं की अधिक जरूरत महसूस हुई. इससे भारत में रिंग वेल कुंओं का विकास हुआ. अभी आरंग के रीवा में जो खुदाई चल रही है उसमें रिंग वेल प्राप्त हुए हैं. इस तरह छत्तीसगढ़ में भी उसी परंपरा को अपनाया गया.


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कौशल्या मातृत्व योजना : द्वितीय संतान बालिका होने पर छत्तीसगढ़ सरकार दे रही 5 हजार रूपए की सहायता ; ऐसे करें आवेदन


रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर सहायता प्रदान करने के लिए कौशल्या मातृत्व योजना चलाई जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित यह नई योजना 1 जनवरी 2022 से प्रभावशील है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राजधानी रायपुर में आयोजित राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन में पांच हितग्राहियों को चेक प्रदान करने कौशल्या मातृत्व योजना का शुभारंभ किया। सुरक्षित मातृत्व और बच्ची के लिए यह योजना एक मजबूत पहल साबित होगी।
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कौशल्या मातृत्व योजना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक आर्थिक जनगणना में पात्र महिला हितग्राही के द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर सहायता राशि प्रदान करना है, ताकि महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद पर्याप्त विश्राम कर सके। योजना के तहत चयनित माता जिसकी द्वितीय संतान बालिका जन्म 01 जनवरी 2022 या इसके बाद हुआ हो, एकमुश्त कुल 5000/- रूपये की राशि का लाभ दिया जा रहा है।
योजना का लाभ मिलने से माताएं स्वयं एवं बालिका के उत्तम स्वास्थ्य के प्रति पर्याप्त ध्यान दे सकेंगी। इससे बालिका भ्रूण हत्या रोकने और बालिकाओं के जन्म के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने में मदद मिलेगी। योजना से गर्भावस्था, सुरक्षित प्रसव और स्तनपान की अवधि के दौरान उपयुक्त पद्धतियों, देखरेख एवं सेवाओं के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।

योजना का लाभ लेने के लिए माता को प्रसव पूर्व कम से कम एक बार जांच करवाना और बच्चे के जन्म का पंजीयन कराना जरूरी है। इसके साथ ही इच्छुक पात्र महिलाओं को आंगनबाड़ी केन्द्र में पंजीयन कराना होगा। पंजीयन के लिए लाभार्थी स्वयं द्वारा हस्ताक्षरित वचन पत्र/सहमति पत्र तथा सुसंगत दस्तावेजों के साथ निर्धारित प्रारूप में आवेदन भरकर आंगनबाड़ी केन्द्र में दे सकते है। इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्र से निर्धारित फार्म निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है। फार्म महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ की वेबसाईट http://cgwcd.gov.in से भी डाउनलोड किये जा सकते हैं।


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