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CG : CM भूपेश बघेल ने डीआरजी पुलिस बल से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई की, नक्सल समस्या खत्म करने पर की चर्चा


रायपुर ,: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने दो दिवसीय नारायणपुर प्रवास के दौरान शनिवार को डीआरजी पुलिस बल के जवानों से मुलाकात कर उन्हें नववर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उनका कुशलक्षेम पूछा तथा अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उनकी हौसला अफजाई की। सीएम बघेल ने पुलिस बल को नक्सल समस्या खत्म करने, नवयुवकों को मुख्यधारा में लाने, शिविर लगाकर ग्रामीणों को समझाइश देने, सहित अन्य विषयों पर चर्चा की।
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जिले के पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने पुलिस बल द्वारा किए जा रहे कार्यो, उपलब्धियों एवं नक्सल उन्मूलन अभियान के संबंधित संक्षिप्त उद्बोधन भी दिया गया।

इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, राज्य सभा सांसद फूलोदेवी नेताम, बस्तर सांसद दीपक बैज, विधायक नारायणपुर एवं छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चन्दन कश्यप, अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, कमिश्नर बस्तर संभाग जी.आर. चुरेन्द्र, आईजी (इंटेलीजेंस) आनंद छाबड़ा, बस्तर आईजी पी सुंदरराजन, कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत राहुल देव, जिला पुलिस बल, जिला महिला पलिस बल, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, आईटीबीपी, बीएसएफ सहित जिले के अन्य सुरक्षा बल भी उपस्थित थे।



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छत्तीसगढ़ : जब मंटूराम ने मुख्यमंत्री को बताया कि पत्नी संग रातभर करता हूं गोबर की चौकीदारी


- मैं और मेरी पत्नी रातभर दो शिफ्ट में टॉर्च लेकर रखते हैं गोबर पर नजर : मंटूराम
- गोधन न्याय योजना में गोबर बेचकर मिले 28 हजार रुपये तो मकान कराया रिपेयर, अब नहीं टपकती छत
रायपुर : गोबर की चौकीदारी। जी हां, सुनने में अटपटा जरूर लगेगा लेकिन ये सच है । छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कुटरू में रहने वाले किसान मंटू राम कश्यप गोबर की चौकीदारी करते हैं , और ये बात मंटूराम ने स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बतायी । मौका था बीजापुर जिले के कुटरू में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम का।
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मुख्यमंत्री को मंटूराम ने बताया कि मैं रात में टॉर्च लगा कर गोबर की चौकीदारी करता हूं , और इस काम मे मेरी पत्नी भी मेरा साथ देती हैं । उन्होंने बताया कि वे छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत गोबर बेचते हैं।

"गोबर की चौकीदारी"
ये मज़ाक नहीं,बल्कि सच्चाई है। @DistrictBijapur के कुटरू के किसान मंटू राम ने बड़े भोलेपन से मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel को गोबर की चौकीदारी की बात बताई,जिस गोबर की कल तक कोई कीमत नहीं थी।आज उसी #गोधन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूती हो रही है। #BhetMulakat pic.twitter.com/JEnGJmQieO— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) May 19, 2022
मंटूराम ने बताया कि अब तक उन्होंने लगभग 14 हजार किलो गोबर करीब 28 हजार रु में बेचा है । बकौल मंटूराम पहले गोबर को कोई नहीं पूछता था लेकिन अब हर किसी की नजर गोबर पर लगी रहती है । कुछ दिन पहले उनके इकठ्ठे किये गोबर को गांव के कुछ लोग उठा ले गए थे । इसके बाद उन्होंने तय किया कि पत्नी के साथ रात में गोबर की निगरानी करेंगे।
पत्नी के साथ शिफ्ट में चौकीदारी – मंटूराम गोबर की चौकीदारी रातभर करते हैं । उनके इस काम मे उनकी पत्नी भी साथ देती हैं । वे कहते हैं कि रातभर जागना संभव नहीं है । इसलिए वे और उनकी पत्नी दो शिफ्ट में गोबर की देखरेख करते हैं । रात में कुछ देर मैं फिर मेरी पत्नी टॉर्च लेकर गोबर की निगरानी करते हैं ।
आखिर क्यों पड़ी चौकीदारी की जरूरत- मंटूराम बताते हैं कि रात में टॉर्च लेकर वे कई बार देखने जाते हैं कि गोबर कोई ले तो नहीं गया । वे कहते हैं कि जब से गोबर की कीमत मिलने लगी है, तब से गोबर सहेजकर रखना पड़ता है । एक दिन इकठ्टा किया हुआ गोबर कुछ लोग चुपचाप उठा ले गए । इसके बाद से गोबर की निगरानी करने लगा।
गोधन न्याय योजना से मिले रुपयों से रिपेयर कराया मकान – मंटुराम कश्यप ने बताया कि उनके पास 15 गाय- भैंसे हैं । अब तक गोधन न्याय योजना से गोबर बेचकर करीब 28 हजार रुपये मिले हैं । उन्होंने बताया कि उनके मकान से पानी टपकता था । जिसे बहुत दिन से रिपेयर कराना चाहते थे । गोबर बेचकर मिले पैसे से उन्होंने मकान रिपेयर करा लिया है । मकान में प्लास्टर भी करा लिया है । अब छत से पानी टपकने की समस्या भी खत्म हो गयी है ।


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CG : कभी नक्सली कमांडर रहे मड़कम मुदराज ने CM को सुनाई आपबीती…कहा आत्मग्लानि में किया सरेंडर, आज हूं इंस्पेक्टर : देखिए वीडियो


- मेरे बच्चे पढ़ रहे इंग्लिश मीडियम स्कूल में और जी रहे अच्छी लाइफ स्टाइल
- मड़कम के हाथों में हथियार अब भी, लोगों की जान लेने नहीं बल्कि बचाने के लिए
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंस्पेक्टर मड़कम को अपने पास बुलाकर कंधे पर हाथ रखा और बजवायी ताली
सुकमा : कभी नक्सली संगठन में कमांडर रहे मड़कम मुदराज ने कोंटा में आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आप बीती सुनाई और कहा कि मैं आपसे हाथ मिलाना चाहता हूं। इस पर मुख्यमंत्री ने बड़ी आत्मीयता से मड़कम के कंधे पर हाथ रखा और हाथ भी मिलाया।
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मड़कम ने कहा- “मुख्यमंत्री जी आपने सड़क, कैम्प और स्कूलों को सुधारकर नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर बदल दी है। अब यहाँ लोगों में नक्सलियों का खौफ नहीं बल्कि आगे बढ़ने की चाहत है। यहां के लोग सरकार की योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं।” मुख्यमंत्री ने मड़कम के मुख्यधारा में लौटने पर सराहना की और उनके लिए ताली भी बजवायी। देखिए विडियो :

इंस्पेक्टर मड़कम मुदराज बदलते छत्तीसगढ़ का एक नायाब उदाहरण हैं।कभी माओवादी रहे मड़कम के बच्चे आज अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ रहे हैं।आत्मसमर्पण के बाद एसपीओ से अब वह इंस्पेक्टर बन गए हैं।उन्होंने मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel को धन्यवाद दिया और क्या कहा,सुनिए-#BhetMulakat pic.twitter.com/RRxXc0YlOR
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) May 18, 2022
मड़कम के हाथों में बंदूक पहले भी थी और आज भी है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले खौफ ग्रामीणों में था और आज नक्सली इनके नाम से कांपते हैं। मड़कम ने बताया कि वे राह भटककर नक्सली संगठन में शामिल हो गए थे। लेकिन अपने ही भाई बन्धुओं का खून बहाने से आत्मग्लानि के चलते नींद नहीं आती थी। फिर एक दिन आत्मसमर्पण करने की ठान ली। आत्मसमर्पण के बाद एसपीओ बने। इसके बाद सिपाही, एएसआई, एसआई और अब डीआरजी में इन्स्पेक्टर हैं।
पत्नी को भी दी थी नक्सली ट्रेनिंग- मड़कम बताते हैं कि कभी उनकी पत्नी भी उनके साथ संगठन में थीं। मैं ही उसे ट्रेनिंग देता था लेकिन हम दोनों ने तय किया कि अब खून-खराबे की जिंदगी नहीं जीना है। जिनके खिलाफ हमने बन्दूक उठाई है वे हमारे ही भाई-बहन हैं। मुख्यधारा में लौटकर अच्छा जीवन जीना है।
आज बच्चे जी रहे अच्छी लाईफ स्टाइल-
मड़कम कहते हैं कि आज वे उच्च पद पर पहुँच गए हैं। सैलरी भी अच्छी है। इस कारण बच्चों को अच्छे से पढ़ा पा रहे हैं। मेरे तीनों बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहे हैं और अच्छी लाइफ स्टाइल जी रहे हैं। अगर आज नक्सली संगठन में होता तो इन सब चीजों की कल्पना भी नहीं कर सकता था।


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छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि और आजीविका मॉडल को मिली सराहना ; श्रीनगर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में कृषि उत्पादन आयुक्त ने दिया प्रस्तुतीकरण


रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने तथा कृषि आधारित गतिविधियों के माध्यम से गांवों में रोजगार और लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए किए जा रहे कार्यों को देश के अन्य राज्यों ने जाना, समझा और सराहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि और आजीविका मॉडल को जानने और समझने के लिए ‘‘प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से नागरिकों और सरकार को करीब लाने’’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में छत्तीसगढ़ को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।
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श्रीनगर में आयोजित इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह ने छत्तीसगढ़ में सतत कृषि और आजीविका विकास के मॉडल के बारे में विस्तार से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुति दी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य बीते साढ़े 3 सालों में कृषि के क्षेत्र में मॉडल राज्य के रूप में उभरा है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों के चलते राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता एवं किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता और फसल विविधीकरण कोबढ़ावा देने के लिए संचालित राजीव गांधी किसान योजना से कृषि को प्रोत्साहन मिला है। सुराजी गांव योजना के नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम और गोधन न्याय योजना से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। गौठान और गोधन न्याय योजना से राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा मिला है। ग्रामीण पशुपालक किसानों को पशुधन के देखरेख, उनके चारे- पानी के प्रबंध की चिंता दूर हो गई है।
गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से पशुपालक किसानों को अतिरिक्त लाभ होने लगा है। पशुपालन राज्य में अब आय का जरिया बन गया है। राज्य के 8397 गांव में निर्मित एवं संचालित गौठानों में अब तक 69.28 लाख क्विंटल गोबर का क्रय किया गया है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता पशुपालकों और ग्रामीणों को 138 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। क्रय गोबर से 19 लाख क्विंटल से अधिक कंपोस्ट खाद का निर्माण कर महिला समूह ने 33 करोड़ 40 लाख की आय अर्जित की है। कंपोस्ट खाद का खेती में उपयोग होने से खाद्यान्न की गुणवत्ता और उत्पादकता बेहतर हुई है। कृषि की लागत में कमी आई है।
छत्तीसगढ़ में पशुओं की खुली चढ़ाई प्रथा पर रोक लगी है। इससे पशुओं से फसल हानि रुकी है। कृषि उत्पादकता और दोहरी फसल का रकबा बढ़ा है। गौठान में पशुधन के चारे के प्रबंध के लिए राज्य में पैरादान अभियान से खेतों में पराली जलाने की समस्या से छुटकारा मिला है, जिसके चलते पर्यावरण को होने वाले नुकसान और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। राज्य के किसानों ने गौठानों को 20 लाख क्विंटल पैरा दान किया है, जिसका मूल्य लगभग 40 करोड़ रुपए है।
राज्य के गांवों में स्थापित गौठानों से 12,013 महिला स्व- सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82725 है। महिला समूह गौठनों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट प्लस के उत्पादन के साथ ही कई तरह के अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं। विभिन्न आय मूलक गतिविधियां जिसमें सब्जी उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, बटेर पालन, मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन, मसाला निर्माण, साबुन ,डिटर्जेंट, अगरबत्ती का निर्माण चौन फेंसिंग तार, फेंसिंग पोल बनाने के साथ ही दाल मिल, तेल मिल, मिनी राइस मिल सहित वनोपज प्रसंस्करण यूनिट आदि का संचालन कर रही हैं।
इससे महिला समूह को अब तक 65 करोड़ 45 लाख रुपए की आय हुई है। गौठानों में गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत हो चुकी है। गोबर से नेचुरल पेंट बनाने के लिए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं, इससे गावों में रोजगार और ग्रामीणों के आय में वृद्धि होगी।


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