Friday, March 31, 2023

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा- क्रिप्टोकरेंसी के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क की जरूरत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन (Finance minister Nirmala Sitharaman) ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक ग्लोबल फ्रेमवर्क की गुरुवार को वकालत की. इसके साथ ही उन्होंने ऋण की वैश्विक कमजोरियों को दूर करने और बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने की भी बात की.

कई बैठकें करेंगी वित्त मंत्री

वित्त मंत्री सीतारामन जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक्स के गवर्नरों की पहली बैठक में हिस्सा लेने के लिए बेंगलुरू में हैं. दो दिनों तक चलने वाली यह बैठक शुक्रवार को शुरू होने वाली है. इससे पहले वित्त मंत्री ने जी-20 के सदस्य देशों ब्रिटेन, जापान, इटली और स्पेन के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें की. इसी दौरान उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी समेत अन्य मुद्दों को उठाया. सीतारामन इस तरह की 10 बैठकें करने वाली हैं.

जी-20 विकसित और विकासशील देशों का एक समूह है. अभी जी-20 देशों के वित्त मंत्री और सभी देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर बैठक के सिलसिले में बेंगलुरू में हैं. भारत की ओर से इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी हिस्सा ले रहे हैं.

इस कदर गंभीर है कर्ज संकट

ऐसी आशंका है कि अगर कर्ज की वैश्विक संकट पर गंभीरता से काम नहीं किया तो इसके परिणाम बुरे साबित हो सकते हैं. भारत महामारी और मौजूदा भू-राजनीतिक संकटों के कारण विकासशील देशों के सामने उपस्थित कर्ज की गंभीर संकट को दूर करने के तरीकों पर काफी समय से जोर दे रहा है. अगर विकासशील देशों की इस समस्या पर काम नहीं किया गया तो इससे वैश्विक आर्थिक मंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और लाखों लोग भयंकर गरीबी की चपेट में जा सकते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने यूएस की ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन के साथ भी बैठक की. इस बैठक के दौरान क्रिप्टो एसेट्स से जुड़े मुद्दे, बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत बनाने के तरीकों और वैश्विक कर्ज संकट को लेकर चर्चा हुई.

इन मुद्दों पर हो सकती है बात

वित्त मंत्री ने पिछले महीने ग्लोबल साउथ समिट के मिनिस्ट्रियल सेशन को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत जी-20 की बैठक के दौरान ग्लोबल साउथ के विकास के मुद्दों को उठाएगा. भारत ने यह भी कहा था कि फर्स्ट वर्ल्ड और थर्ड वर्ल्ड नहीं बल्कि वनली वन वर्ल्ड की जरूरत है, क्योंकि सबका भविष्य साझा है. भारत विभिन्न मंचों के जरिए बहुपक्षीय वित्तपोषण एजेंसियों खासकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) और विश्व बैंक (World Bank) में सुधारों की मांग करता आया है. जी-20 की इस बैठक में इस मुद्दे पर भी बातचीत संभव है.

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