Saturday, April 20, 2024

स्वेदशी मेले में दिखी संस्कृति की झलक,बच्चों ने फैंसी ड्रेस और नृत्य की दी शानदार प्रस्तुति

रायपुर. राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में चल रहे सात दिवसीय स्वेदशी मेला में रविवार का दिन बच्चों से लेकर युवाओं तक के लिए क्रिएटिविटी और इंटरनेटमेंट से भरपूर रहा. सुबह से देर रात तक चले कार्यक्रम का लोगों ने आनंद उठाया. पेंटिंग, फैंसी ड्रेस और सोलो डांस की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर खूब तालियां बटोरी और दर्शकों को भी झूमने पर मजबूर कर दिया.

कार्यक्रम में बेहतरकलाकृतियाें और कलाकारों को विजेता घोषित किया गया. 23 से 29 दिसंबर तक सीबीएमडी की ओर से आयोजित सात दिवसीय स्वदेशी मेले में रविवार का दिन लोगों की रचनात्मकता के नाम रहा. दोपहर 12 बजे से रंगभरो और चित्रकला प्रतियोगिता दो वर्गों में हुई, जिसमें 250 लोगों ने भाग लिया. रंग भरो प्रतियोगिता में कक्षा 1 से कक्षा 4 तक के बच्चों को मुर्गा के चित्र पर रंग भरने दिया गया. वहीं चित्रकला प्रतियोगिता में ‘प्लास्टिक हटाओ – धरती बचाओ‘ विषय रखा गया, जिसमें वर्ग अ में कक्षा 5 से कक्षा 8 एवं वर्ग ब में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया.

प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए लोग कतार लगाकर आवेदन करते नजर आए. कैनवास पर रंगों की कारीगरी से पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न मुद्दों को उकेरकर शानदार चित्रकारी की. वहीं फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता के दो वर्गों में 1 से 4 वर्ष तक एवं 5 से 8 वर्ष के बच्चे शामिल हुए. छत्रपति शिवाजी, झांसी की रानी, बजरंग बली, सौर मंडल, सैनिक, परी जैसी मनमोहक पोशाकों में आए बच्चों ने सबका मनमोह लिया. इस कार्यक्रम के निर्णायक मंडल में वीरेंद ठाकुर, इंद्राणी चौधरी और दिव्या दुबे शामिल थीं.

शाम को एकल नृत्य की प्रतियोगिता हुई, जिसमें कक्षा 9 से 12 तक के युवाओं ने दो वर्गों में भाग लिया. देशभक्ति और भारतीय संस्कृति की झलक दिखाते हुए खूबसूरत पोशाकों के साथ युवाओं ने अपनी प्रतिभा दिखाई. एकल नृत्य की प्रतियोगिता में कक्षा 9 से 12 तक के 60 युवाओं ने दो वर्गों में भाग लिया. कथक, छत्तसगढ़ी लोकनृत्य, लावणी, गिद्दा, राजस्थानी नृत्य की पांरपरिक छटा से रचे-बसे नृत्यों की मनोहारी पेशकश से समां बांध दिया जिसका दर्शकों ने तालियों से सराहा. इस कार्यक्रम के जज मंडल में छत्तीसगढ़ी फिल्मी कलाकार राज साहू, खैरागढ़ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त प्रसिद्ध नृत्य कलाकार जुगराज बाघ थे.

वहीं सामाजिक समागम के तहत बंगाली समाज की प्रस्तुति हुई, जिसमें स्वदेशी भावना और मातृपूजन, देशभक्ति गीत, माता दुर्गा की पूजा अर्चना से संबंधित भक्ति नृत्य आदि बंगाली संस्कृति की छाप छोड़ते हुए अविस्मरणीय प्रस्तुतियां दी गई, जिसकी प्रभारी महुआ मजुमदार थीं. चित्रकला के गु्रप अ में काव्या मित्तल प्रथम, आरनव पी चोपकर द्वितीय एवं चार्मी जैन तृतीय स्थान पर रहीं. वर्ग ब में प्रथम सजल साहू, द्वितीय संध्या कोसले व तृतीय संजना सिंह रहीं. रंगभरो प्रतियोगिता में गु्रप अ में प्रथम राजकुमार, द्वितीय एकवीरा यादव, तृतीय अनीशका बावनकर तथा गु्रप ब में प्रथम अवनीश सिंह, द्वितीय पार्थ सारथी दुबे व तृतीय तेजश्री दा विनर रहे.

रंगभरो व चित्रकला प्रतियोगिता के प्रभारी दिव्येंदु मित्रा, सुचित्रा बर्धन, अर्चना भाकरे, सीमा मित्रा, सतीश जिल्हरे, वर्षा मिश्रा, कपिल दांडेकर, शशि सोनी, अजय पाठक थे. शिशु वेशभूषा प्रतियोगिता के प्रभारी रेखा शर्मा, संगीता चौबे, हेमलता देवांगन, दुलारी शांडिल्य, जयश्री ढेकने, मोहनी माणिकपुरी, सुमन मुथा, निशा सुंदरकर, इंदिरा कामडे, कमल रंधावा, गौरी राव, सुनीता पाठक थीं. एकल नृत्य प्रतियोगिता के प्रभारी सुनीता चंसोरिया, अमरजीत सिंह छाबड़ा, तृष्णा साहू, चितरंजन ठाकुर, नेहा ठाकुर, बिट्टू शर्मा, कामाख्या मिसार थीं. मेले में मेला संयोजक अमर बंसल, गोपाल कृष्ण अग्रवाल, मोहन पवार, शीला शर्मा, अमरजीत सिंह छाबड़ा, शताब्दी पांडेय, सुब्रत चाकी, जगदीश पटेल, उमेश पटेल, सुचित्रा चित्तावार, सुलोचना बंका, सुनीता पाठक, सीमा कंधार, नैना चौबे, लक्ष्मी जिल्हारे, हर्षिता लांजेवार, अंकिता वर्धन, सीमा शर्मा, अर्चना वोरा सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता दिन रात जुटे हुए हैं.

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