दुखद
अलविदा विवेक : तमिल फिल्मों के मशहूर अभिनेता विवेक का निधन, सीने में दर्द के बाद अस्पताल में कराया गया था भर्ती ; जानिए उनकी पूरी बायोग्राफी


चेन्नई : लोकप्रिय तमिल फिल्म अभिनेता विवेक का चेन्नई के एक अस्पताल में शनिवार को निधन हो गया है। अस्पताल की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया है कि तड़के सुबह 4:35 बजे अभिनेता का निधन हो गया। अंतिम संस्कार के लिए उनका पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान पर पहुंचा है। एक दिन पहले शुक्रवार को उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद अचेत होने पर चेन्नई के वडापलानी स्थित एसआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां उन्हें गहन चिकित्सा इकाई ने ईसीएमओ सपोर्ट सिस्टम पर रखा था।
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जानकारी के अनुसार उन्हें शुक्रवार सुबह 11 बजे बेहोशी की हालत में अस्पताल के एमरजेंसी रूम में लाया गया था। बिगड़ती तबीयत को देखकर उनकी पत्नी और बेटी अस्पताल लेकर पहुंची थीं। अस्पताल के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजू शिवसामी ने कहा कि यह अचानक आए तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम के साथ कार्डियोजेनिक शॉक के कारण हुआ। इसका कोरोना वैक्सीन से कोई लेना देना नहीं है। साथ ही रिपोर्ट से पता चला है कि उन्हें कोरोना भी नहीं था। उन्होंने बताया कि यह पहली बार था जब विवेक इस तरह से अस्पताल आए। उन्हें थोड़ा ब्लडप्रेशर था।
बता दें कि स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए अभिनेता को गुरूवार को स्टेट एंबेसडर घोषित किया गया था। 59 वर्षीय कॉमेडियन ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में कोविड 19 कोवैक्सीन लगवाई थी। साथ ही उन्होंने सभी को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया था।
दक्षिण तमिलनाडु के कोविलपट्टी में जन्में विवेक ने वरिष्ठ निर्देशक के बालाचंदर के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर 1980 में करियर की शुरुआत की थी। विवेक की प्रतिभा से खुश होकर बालाचंदर ने उन्हें एक तमिल फिल्म ‘मनादिल उरूदी वेंडुम’ में 1987 में छोटा सा रोल ऑफर कर दिया था।
निर्देशक ने उन्हें अपनी अगली फिल्म ‘पुदु पुदु अर्तंगल’ में भी कास्ट किया था। इस फिल्म में विवेक ने अपनी शानदार कॉमेडी के जरिए सभी को आकर्षित किया। इस फिल्म में उनका डायलॉग ‘इनक्की सेत्ता नालकी पाल’ बड़ा ही फेमस हुआ था। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभिनेता ने बतौर सोलो कॉमेडिन भी अपनी पहचान स्थापित की। 90 के दशक से उन्होंने लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दी थी, जिसका सिलसिला अगले दो दशकों तक जारी रहा।
विवेक को उनकी परफेक्ट कॉमिक टाइमिंग के अलावा तेज दिमाग के लिए भी जाना जाता था। वे बड़ी ही आसानी से किसी की भी मिमिक्री कर लेते थे। उन्होंने सुपरस्टार रजनीकांत के साथ भी कई बार काम किया। फिल्म रन, पेराड़ागन, दूल, अन्नियन, और सिवाजी जैसी फिल्मों में काम किया, जिसने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई और वह लगातार तीन दशकों तक दर्शकों के दिलों पर छाए रहे।
इसके बाद उन्हें एक तमिल फिल्म ‘सुल्ली अडिपेन’ में मुख्य भूमिका निभाने का अवसर मिला। विवेक को बेटी बचाओ और सांप्रदायिक सौहार्द जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी लोगों को जागरूक करते हुए देखा गया। विवेक को लोग ‘चिन्ना कलाइवानर’ भी बुलाते थे। केंद्र सरकार द्वारा 2009 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित विवेक रजनीकांत, थलपति विजय, विक्रम और धनुष जैसे स्टार्स के साथ कई फिल्मों में काम कर चुके थे। वह कुछ फिल्मों में मुख्य कलाकार के तौर पर भी नजर आए और पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने में भी वह सक्रिय रहे थे। वे दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सिद्धांतो से काफी प्रभावित थे। एक बार अब्दुल कलाम ने उन्हें ग्रीन इंडिया का हिस्सा बनने के लिए सुझाव दिया था। इसके बाद विवेक ने एक अरब पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा और इसके लिए छात्रों व अन्य लोगों की सहायता ली।
बता दें कि विवेक ने 15 अप्रैल को कोरोना वैक्सीन लगवाई थी। वे अपने दोस्त के साथ सरकारी अस्पताल पहुंचे थे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया था कि वो सरकारी अस्पताल में क्यों वैक्सीन ले रहे हैं। उन्होंने बताया था कि ‘सरकारी अस्पताल में हर वर्ग के लोग पहुंचते हैं। इसकी पहुंच ज्यादा लोगों तक है। कोविड वैक्सीन सही है। इसको लगवाने के बाद आप बीमार नहीं पड़ेंगे। इसे लगवाने के बाद काफी हद तक खतरा कम हो जायेगा। 15 अप्रैल को विवेक ने वैक्सीन लगवाई और 16 अप्रैल को सीने में दर्द के कारण उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।



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CG Breaking : नान इंटरलॉकिंग कार्य के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से रेल अधिकारी का निधन ; सीएम बघेल ने गहरा शोक व्यक्त किया


रायपुर : बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर अनूपपुर-शहडोल के बीच चल रहे नान इंटरलॉकिंग कार्य के दौरान दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे के बिलासपुर डिविजन में बैकुंठपुर में पदस्थ क्षेत्रीय प्रबंधक योगेंद्र सिंह भाटी के ट्रेन की चपेट में आने से आकस्मिक निधन हो गया।
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अनूपपुर और शहडोल के बीच तीसरी रेल लाइन के लिए नॉन इंटरलॉकिंग का काम चल रहा है। 17 जून से यहां काम चल रहा है और 26 जून तक चलेगा। इसकी वजह से कई गाड़ियों को ब्लॉक दिया गया है और ट्रेनें कैंसिल हैं। गुरुवार को भी यहां काम चल रहा था। घटना शाम करीब 7.30 बजे की है। अमलाई आरआरआई केबिन के करीब काम के दौरान एक पटरी पर मालगाड़ी और दूसरी पटरी पर कटनी-बिलासपुर मेमू पहुंची। ट्रेन का आते देख सभी अफसर, कर्मचारी और मजदूर रेलवे लाइन के किनारे हो गए। कुछ लोग दो लाइन के बीच की खाली जगह पर खड़े थे।
सीएम बघेल ने गहरा शोक व्यक्त किया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2018 बैच के भारतीय रेलवे सेवा के अधिकारी भाटी के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। बघेल ने उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी शोक संवेदना प्रकट की है।
किसी को भनक तक नहीं लगी
इस हादसे के बाद रेलवे के अफसर रात करीब 8.30 बजे उन्हें लेकर सेंट्रल हास्पिटल पहुंचे, जहां जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त वह सभी के साथ काम में जुटे थे। ARM भाटी अचानक कब और कैसे ट्रेन की चपेट में आए, इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। अफसर के सिर में अंदरुनी चोट की वजह से मौत हुई है।
आरआरआई केबिन से लौटते समय हुआ हादसा
प्रारंभिक जांच व पूछताछ में पता चला है कि रेलवे के क्षेत्रीय प्रबंधक योगेंद्र सिंह भाटी काम के दौरान RRI केबिन गए थे। वहां ऑफिशियल काम करने के बाद केबिन से उतरकर रेलवे ट्रैक की तरफ आ रहे थे। हालांकि, काम के दौरान किसी को उनके आने की भनक नहीं लगी। तभी एक साथ दो ट्रैक पर मालगाड़ी और मेमू लोकल आ गई। इसके चलते किसी को हादसे की खबर तक नहीं लगी। ट्रेन गुजरने के बाद ARM भाटी को ट्रैक पर घायल पड़े देखा गया।
DRM पहुंचे, बोले- कैसे हुआ हादसा कमेटी करेगी जांच
अमलाई में बैकुंठपुर के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक की ट्रेन की चपेट में आने की जानकारी मिलते ही बिलासपुर डिवीजन के अफसर भी हैरत में पड़ गए। खबर सुनकर मंडल रेल प्रबंधक आलोक सहाय सहित रेलवे के अधिकारियों की टीम देर रात अस्पताल पहुंच गए। शुक्रवार की सुबह उनकी मौजूदगी में शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। इस दौरान DRM और रेल अफसर घटनास्थल भी गए। उन्होंने हादसा कैसे हुआ इसकी जांच के लिए कमेटी बनाने की बात कही है।


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छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के फेमस कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय का निधन, भूलन द मेज में किया था अभिनय ; सीएम बघेल ने गहरा दुख व्यक्त किया


रायपुर : छत्तीसगढ़ के फेमस कोरियोग्राफर और अभिनेता निशांत उपाध्याय का आज निधन हो गया है। इस खबर से छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री (छॉलीवुड) में शोक की लहर है। मिली जानकारी के अनुसार बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात उन्होंने करीब ढाई बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
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बीमारी के चलते उन्हें रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। निशांत के चाहने वालों का अस्पताल पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। आज उनका अंतिम संस्कार किया जा सकता है।
सीएम बघेल ने गहरा दुख व्यक्त किया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के सुप्रसिद्ध कोरियोग्राफर व कलाकार निशांत उपाध्याय के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। मुख्यमंत्री ने निशांत के निधन को छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के लिए बड़ी क्षति बताया है।
भूलन द मेज से है कनेक्शन
निशांत उपाध्याय ने मशहूर छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘झन भूलो मां-बाप ला’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके साथ ही निशांत ने करीब 2500 गानों के लिए कोरियोग्राफी की। वे फिल्मों में एक्टिंग भी करते थे। छॉलीबुड की हालिया चर्चित फिल्म ‘भूलन द मेज’ के गानों के लिए कोरियोग्राफी के साथ ही उन्होंने इस फिल्म में एक्टिंग भी की थी।
बता दें भूलन द मेज फिल्म में वे कलेक्टोरेट में चपरासी की भूमिका पर्दे पर अदा करते नजर आए। उनके इस किरदार को दर्शकों ने खूब पसंद किया। निशांत की रिलीज हुई ये अंतिम फिल्म है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसी महीने इस फिल्म को सिनेमाघर में जाकर देखा था। मुख्यमंत्री ने फिल्म की स्क्रिप्ट, कलाकारों की खूब तारीफ की थी।


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अफगानिस्तान : भूकंप ने मचाई तबाही, कम से कम 920 मौतें, कई घायल ; राहत-बचाव में भी मुश्किल


काबुल : अफगानिस्तान के पूर्वी पहाड़ी इलाके और पाकिस्तान की सीमा के पास आए जोरदार भूकंप ने तबाही मचा दी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 920 लोगों की जान चली गई है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.1 थी। आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 600 लोगों के घायल होने की खबर है।
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खोस्त और पक्तिका प्रांतों में कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद कई विदेशी रेस्क्यू एजेंसियां देश छोड़कर चली गई थीं। ऐसे में राहत और बचाव के काम में भी काफी मुश्किलें आ रही हैं। पड़ोसी पाकिस्तान के मौसम विभाग का कहना है कि भूकंप का केंद्र खोस्त सिटी से 50 किलोमीटर की दूरी पर बॉर्डर के पास ही था। इस इलाके में ज्यादा लोग नहीं रहते हैं इसलिए नुकसान फिर भी कम हुआ है।
तबाही का मंजर
अफगानिस्तान से कई तस्वीरें सामने आई हैं जो कि तबाही की दास्तां बता रही हैं। एक तस्वीर में हेलिकॉप्टर से लोगों को निकालकर इलाज के लिए ले जाया जा रहा है। दूसरी में घायलों का इलाज जमीन पर ही लिटाकर चल रहा है। किसी को फ्लुइड चढ़ाया जा रहा है। कुछ लोग धराशायी हुए मकान के पास ईंट उठाते नजर आ रहे हैं। तालिबान सरकार में डिप्टी स्पोक्समैन बिलाल करीमी ने कहा कि पक्तिता प्रांत में भूकंप में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा, मैं सभी सहायता एजेंसियों से अपील करता हूं कि मौके पर मदद के लिए पहुंचें।
काबुल में प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने राहत बचाव के लिए आपातकाल बैठक बुलाई। वहीं अफगानिस्तानी सीमा के पास पाकिस्तान के कुछ इलाकों में भी भूकंप का असर हुआ है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बयान मे दुख व्यक्त किया और कहा कि वह अफगान लोगों की मदद करेंगे। यूरोपियन सीस्मोलॉजिकल एजेंसी का कहना है कि लगभग 500 किलोमीटर के इलाके मे भूकंप का असर रहा है और इससे 11.9 करोड़ लोगों पर फर्क पड़ा है।


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