रायपुर 3 जनवरी 2022: प्रदेश के 89 डॉक्टर्स को सरकार ढूंढ रही है। ये सभी MBBS डॉक्टर्स हैं। सरकार ने इन्हें अलग-अलग कस्बों, गांवों में पोस्टिंग दी थी। कई दिन बीतने के बाद भी इन्होंने जॉइन ही नहीं किया। जबकि कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक इन्हें जॉइनिंग देनी थी। अब सरकार ने इनसे बॉन्ड की राशि वसूलने का आदेश जारी कर दिया है। इन्हें अनुबंध चिकित्सा अधिकारी कहा जाता है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से 9 नवम्बर 2022 को 212 एमबीबीएस. अनुबंधित चिकित्सा अधिकारियों को अपने पदस्थापना स्थल में पांच दिनों के भीतर कार्यभार ग्रहण करने का नोटिस दिया था। 212 में से 123 अनुबंधित चिकित्सा अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दे दी है। 89 अनुबंधित चिकित्सा अधिकारी अभी भी अनुपस्थित हैं।
अब राज्य शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के छत्तीसगढ़ चिकित्सा, दंत चिकित्सा एवं भौतिक चिकित्सा (फिजियोथैरेपी) स्नातक प्रवेश नियम के अनुसार बॉण्ड की शर्तों का पालन नहीं करने वाले अनुपस्थित चिकित्सकों के खिलाफ बॉण्ड की राशि की वसूली की कार्रवाई भू-राजस्व की बकाया राशि के रूप में की जाएगी।
डिग्री अटक सकती है
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, राज्य मेडिकल काउंसिल में एम.बी.बी.एस. स्नातक योग्यता का स्थायी पंजीयन अभ्यर्थी को प्रदान की गई अंतिम डिग्री के आधार पर ही किया जाएगा। डिग्री के लिए अभ्यर्थी को अपने महाविद्यालय के अधिष्ठाता को NOC प्रस्तुत करना होगा, जिनकी अनुशंसा पर विश्वविद्यालय द्वारा अंतिम डिग्री प्रदान की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में कार्रवाई किए जाने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक, मेडिकल कांउसिल के रजिस्ट्रार एवं आयुष यूनिवर्सिटी उपरवारा, नया रायपुर के अधिष्ठाता को पत्र लिखा गया है। बॉण्ड की शर्तों का पालन नहीं करने वाले अनुबंधित चिकित्सा अधिकारियो के खिलाफ वसूली की कार्रवाई होनी है।
2017 से सिस्टम लागू, हर वर्ग के लिए अलग जुर्माना
पिछले पांच साल के आंकड़ों से पता चला कि दो साल का बॉन्ड पूरा नहीं करने वालों में ज्यादातर दूसरे राज्यों के छात्र हैं। ऑल इंडिया कोटे के तहत एडमिशन लेने के बाद वे कोर्स पूरा करते हैं, लेकिन गांवों में प्रैक्टिस करने नहीं जाते। इसके बदले में वो जुर्माना देते हैं। आरक्षित वर्ग के लिए 25 लाख व अनारक्षित के लिए 20 लाख रुपए की पेनाल्टी तय है।
क्या होता है यह बॉन्ड
MBBS और मेडिकल के पाठ्यक्रम में प्रवेश के समय प्रत्येक विद्यार्थी को सरकार के साथ एक बॉन्ड भरना होता है। उसके मुताबिक पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद विद्यार्थी को दो वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में काम करना होगा। यह दो वर्ष की संविदा नियुक्ति होती है। इसके लिए सरकार ने सामान्य क्षेत्रों के लिए 45 हजार और माओवाद प्रभावित और कठिन क्षेत्रों के लिए 55 हजार रुपए का मानदेय तय किया है।