छत्तीसगढ़ के 2 बहादुर बेटियों को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्य वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। दोनों ने अपनी बहनों को मौत के मुंह से खींच लाई थीं। अब राज्यपाल इन्हें सम्मानित करने वाली हैं। इन बच्चियों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर साहस का परिचय देते हुए अपनी सूझबूझ से बहनों की जान बचाई थी। बच्चों को पुरस्कार में नगद राशि, प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जाएगा।
महासमुंद जिले की छाया विश्वकर्मा और कांकेर जिले की जांबवती भुआर्य को सम्मानित किया जाना है। जांबवती को इससे पहले बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक के भानबेड़ा की रहने वाली 8 साल की बच्ची जांबवती भुआर्य ने अपनी 2 साल की बहन को नदी में डूबने से बचाया था। वो नदी की तेज लहर से बच्ची को बचा लाई थी।4 सितंबर 2022 को जांबवती अपनी 2 साल की बहन मोसिका के साथ अपनी अपनी मां धनेश्वरी को ढूंढते-ढूंढते नदी के पास जा पहुंची थी। इनकी मां नदी के दूसरे छोर पर मजदूरी करने के लिए गई हुई थी। मां की तलाश में दोनों बहनें एनीकट से नदी पार करने लगीं, तभी दोनों बच्चों का पैर फिसल गया और वे नदी में जा गिरे। नदी में जमा कचरे और झाड़ियों में दोनों बहनें फंस गईं, लेकिन फिर पानी का बहाव तेज होने के कारण दोनों बहने लगीं।
बड़ी बहन जांबवती ने झाड़ियों को एक हाथ से पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से वो छोटी बहन का हाथ भी थामे रही। आधे घंटे तक दोनों बच्चियां इसी तरह संघर्ष करती रहीं, लेकिन तेज बहाव के बावजूद बड़ी बहन ने छोटी बहन का हाथ नहीं छोड़ा। छोटी बहन के पेट में भी काफी पानी चला गया था। दोनों बच्चों के रोने की आवाज सुनकर उसकी मां और आसपास काम कर रहे लोग मौके पर पहुंच गए और दोनों बच्चियों को बाहर निकाला। इस बीच छोटी बहन बेहोश हो गई थी।
दोनों बच्चियों को अस्पताल ले जाया गया। रास्ते में गांव के सरपंच जागेश्वर सिंह नरेटी भी मिल गए, जिनकी सहायता से उन्हें जल्द इलाज मिला। काफी देर तक छोटी बहन के शरीर में कोई हलचल नहीं थी, लेकिन डॉक्टरों ने उसके शरीर से पानी निकाला। समय पर इलाज मिलने से उसकी जान बच गई। इस घटना के बाद सभी ने जांबवती के साहस की जमकर तारीफ की। 8 साल की उम्र में जब कोई बच्चा पानी के तेज बहाव को देखकर घबरा जाता या खुद को बचाने की कोशिश करता या डरकर सही फैसला नहीं ले पाता, जब छोटी सी जांबवती ने अपनी 2 साल की छोटी बहन का हाथ विपरीत परिस्थिति में भी नहीं छोड़ा, जिसकी वजह से उसकी जान बच गई।
वहीं महासमुंद की रहने वाली छात्रा ने भी अपनी वीरता का परिचय दिया था। शन पारा खल्लारी निवासी संजू विश्वकर्मा (18) पर 14 सितंबर को पागल कुत्ते ने हमला कर दिया। उस दौरान पागल कुत्ता संजू को बुरी तरह से काट रहा था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। जब उसकी छोटी बहन छाया विश्वकर्मा (16) ने देखा तो उसने अपने सूझ बूझ व साहस का परिचय देते हुए बड़ी बहन पर हमला कर रहे पागल कुत्ते पर डंडे व पत्थर और लातों से हमला शुरू कर दिया। छाया के हमले से कुत्ता संजू को छोड़कर भाग खड़ा हुआ। छाया की बहादुरी के लिए स्थानीय लोगों ने भी छाया को सम्मानित किया था।