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Happy World Earth Day 2021 : जानें कब और कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत और इस बार के थीम के बारे में


World Earth Day 2021 🌍 : वर्ल्ड अर्थ डे के मौके पर अब हमें ही तय करना होगा कि हम किस युग में जीना चाहते हैं? एक ऐसे युग में जहां पॉल्यूटेड हवा और ढेर सारी खतरनाक बीमारियों होगी या फिर ऐसे युग में जहां खुलकर शुद्घ हवा का आनंद लेकर एक हल्दी लाइफ जी सकें।
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तमाम तरह की सुख-सुविधाएं और संसाधन जुटाने के लिए किए जाने वाले मानवीय क्रियाकलापों के कारण आज पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग की भयावह समस्या से त्रस्त है। इसलिए पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने और पृथ्वी को बचाने के संकल्प के साथ हर साल 22 अप्रैल को दुनियाभर में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
वर्ल्ड अर्थ डे का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को हर साल मार्च एक्विनोक्स (वर्ष का वह समय, जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है और यह दिन प्रायः 21 मार्च ही होता है। इस परंपरा की स्थापना शांति कार्यकर्ता जॉन मक्कोनेल द्वारा की गई थी। वैश्विक स्तर पर लोगों को पर्यावरण के प्रति संवदेनशील बनाने के लिए 22 अप्रैल 1970 को पहली बार पृथ्वी दिवस वृहद स्तर पर मनाया गया था। तभी से हर साल 22 अप्रैल को यह दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
पहले दो बार मनाया जाता था यह दिन
पृथ्वी दिवस पहले हर साल दो बार 21 मार्च तथा 22 अप्रैल को मनाया जाता था लेकिन साल 1970 से यह दिवस 22 अप्रैल को ही मनाया जाना तय किया गया। 21 मार्च को पृथ्वी दिवस केवल उत्तरी गोलार्द्घ के वसंत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध के पतझड़ के प्रतीक स्वरूप ही मनाया जाता रहा है। 21 मार्च को मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस को हालांकि संयुक्त राष्ट्र का समर्थन प्राप्त है, लेकिन केवल वैज्ञानिक व पर्यावरणीय महत्व ही है जबकि 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस का पूरी दुनिया में सामाजिक एवं राजनैतिक महत्व है।
वर्ल्ड अर्थ डे की थीम
इस बार कोरोना काल में अर्थ डे की थीम है ‘पृथ्वी को फिर से अच्छी अवस्था में बहाल करना’। जिसके लिए उन नेचुरल रिसोर्सेज और उभरती हुई तकनीकों पर ध्यान देना होगा जो दुनिया के पारिस्थिकी तंत्र को फिर से कायम करने में मददगार साबित होंगे।
पृथ्वी दिवस को मनाए जाने का वास्तविक लाभ तभी है, जब हम आयोजन को केवल रस्म अदायगी तक ही सीमित न रखें, बल्कि धरती की सुरक्षा के लिए इस अवसर पर लिए जाने वाले संकल्पों को पूरा करने हेतु हरसंभव प्रयास भी करें।



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777 Charlie Review : कलयुग के ‘धर्मराज’ की रुला देने वाली कहानी ; श्वान और इंसान के बीच अनोखा रिश्ता समझाएगा ये फिल्म ; देखिए ट्रेलर


Entertainment Desk : जानवरों और इंसानों के रिश्तों पर फिल्में बनाने में दक्षिण भारतीय फिल्म कंपनी देवर फिल्म्स का बोलबाला रहा है। एम एम ए चिनप्पा देवर की इस कंपनी ने तमिल में ढेरों फिल्में बनाने के बाद ‘हाथी मेरे साथी’, ‘जानवर और इंसान’, ‘गाय और गौरी’ और ‘मेरा रक्षक’ जैसी हिंदी फिल्में भी बनाई। के सी बोकाडिया की फिल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ इंसान और कुत्ते के रिश्ते पर बनी अपने जमाने की सुपरहिट फिल्म रही है। अब कन्नड़ सिनेमा के मशहूर फिल्ममेकर रक्षित शेट्टी ऐसी ही एक फिल्म लेकर आए हैं, ‘777 चार्ली’। रक्षित शेट्टी का नाम हाल के दिनों में उनकी फिल्म ‘किरिक पार्टी’ को लेकर काफी चर्चा में रहा है। ये फिल्म पहले कार्तिक आर्यन और जैकलीन फर्नांडीज के साथ हिंदी में बनने की बात चली। फिर इसके लिए विकी कौशल और रश्मिका मंदाना का नाम भी चर्चा में रहा। रक्षित शेट्टी फिल्मकारों की उस जमात से है जो इंजीनियरिंग पढ़कर सिनेमा में आई है। जाहिर है ऐसे लोगों का सिनेमा समावेशी होता है और फिल्म ‘777 चार्ली’ भी कुत्तों से जुड़े एक ऐसे बड़े मुद्दे को उठाती है, जिसपर आम तौर पर इंसानों का ध्यान नहीं जाता।
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देखिए ट्रेलर :
पालतू से प्यार की भावुक कहानी
फिल्म ‘777 चार्ली’ एक इमोशनल कहानी है। ये यात्रा है एक इंसान की अपने पालतू को उसकी खुशियां दिलाने की। कहानी का नायक कुछ कुछ ‘कबीर सिंह’ जैसा है। फैक्ट्री, घर, बीयर, इडली, सिगरेट…बस यही उसकी जिंदगी है। चेहरे पर कोई भाव नहीं। गली से निकल जाए तो बच्चे भी डरते हैं। किसी के घर से निकल भागा एक कुत्ता उसकी देहरी पर आकर ठिठक जाता है। भगाने पर भी नहीं भागता और फिर परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि दोनों को साथ रहना होता है। शुरुआती इंतजाम ये कुछ दिनों का ही है लेकिन फिर दोनों में प्यार हो जाता है। अपने मालिक की आदतें बदल देने वाले इस कुत्ते को नाम मिलता है ‘777 चार्ली’। वह अपने मालिक को बचाता है। और, बदले में उसे मिलता है..! बाकी कहानी यहां बता देने से आपका फिल्म देखने का मजा किरकिरा हो सकता है।
महाभारत के धर्मराज : जब एक कुत्ते के लिए युधिष्ठिर ने छोड़ दिया स्वर्गलोक का सुख
महाभारत युद्ध के उपरांत लगभग 36 साल बाद यदुवंशियों का नाश हुआ। जब अर्जुन ने ये समाचार युधिष्ठिर को दिया तो उन्हें बहुत दुख हुआ। महर्षि वेदव्यास के कहने पर पांचों पांडवों ने राज-पाट का सुख छोड़कर सशरीर स्वर्ग जाने का फैसला किया। युधिष्ठिर ने जाने से पहले धृतराष्ट्र के पुत्र और दुर्योधन के भाई युयुत्सु का राज्याभिषेक किया और उसे हस्तिनापुर का राजा बनाया। फिर वे अपने चारों भाईयों को साथ लेकर हिमालय की ओर चल पड़े। सबसे पहले द्रौपदी ने बद्रीनाथ से आगे हिमालय की बर्फ में प्राण त्याग दिए। आगे बढ़ते-बढ़ते नकुल, सहदेव, भीम और अर्जुन भी ब्रह्मलोक प्रयाण कर गए।
धर्मराज युधिष्ठिर एक कुत्ते के साथ स्वर्गलोक की ओर बढ़े जा रहे थे। आखिर चलते-चलते वह स्वर्ग के द्वार तक जा पहुंचे। द्वारपाल ने धर्मराज युधिष्ठिर के लिए दरवाजा खोल दिया। धर्मराज ने कुत्ते को आदेश दिया, पहले तुम अंदर जाओ।’’
‘‘नीच कुत्ता स्वर्गलोक में कैसे जा सकता है। पहरेदारों ने उसे यह कह कर अंदर जाने से रोक दिया।’’
धर्मराज ने कहा, ‘‘इस निरीह प्राणी ने पृथ्वी लोक से यहां तक मेरा साथ दिया है। मैं इसे अकेला छोड़कर स्वर्गलोक नहीं जाऊंगा।’’
स्वर्गलोक के प्रमुख पहरेदार ने कहा, ‘‘यदि आप अपने तमाम पुण्यों के फल इस कुत्ते को दे दें तो यह स्वर्गलोक जा सकता है।’’
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, ‘‘मैं अपने सारे पुण्यों के फल अपना साथ देने वाले इस निरीह प्राणी को देने में अपना जीवन सार्थक मानता हूं।’’
यह सुनते ही स्वर्गलोक के देवता धर्मराज युधिष्ठिर की जय-जयकार कर उठे। उन्हें सशरीर स्वर्गलोक में प्रवेश मिला।
रक्षित शेट्टी का समावेशी सिनेमा
रक्षित शेट्टी की बनाई फिल्म ‘777 चार्ली’ उन सभी लोगों को देखनी चाहिए जो इन दिनों देश के शहरों मे तेजी से बढ़ रही कुत्तों की तादाद से परेशान है। प्रशासनिक विभागों से निकलकर ये मामले अब अदालतों तक जा रहे हैं। फिल्म उन लोगों की आंखें खासकर खोलती है जो कुत्तों से नफरत करते हैं। ख़ैर, बात फिल्म ‘777 चार्ली’ की करते हैं। फिल्म के हीरो हैं रक्षित शेट्टी की। वह फिल्म के निर्माता भी हैं। कभी रश्मिका मंदाना से दिल लगाने वाले रक्षित ने ये फिल्म बहुत दिल से बनाई है। उनकी अदाकारी और कैमरे का पहली बार सामना कर रहे कुत्ते चार्ली की जुगलबंदी कमाल की है। फिल्म के बाकी कलाकारों में संगीता श्रृंगेरी ने कमाल का काम किया है। हिंदी सिनेमा बनाने वालों की नजर उन पर पड़ी तो जल्द ही वह किसी हिंदी फिल्म में दिख सकती हैं।
फिल्म ‘777 चार्ली’ की चाल फिल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ से काफी अलग है। फिल्म का संगीत इसकी कमजोरी है क्योंकि जिस भावनात्मक रिश्ते की बात फिल्म करती है, वैसे भावुक गीत रच पाने में फिल्म की म्यूजिक टीम विफल रही है। फिल्म थोड़ी लंबी भी है लेकिन फिल्म के निर्देशक ने जो कुछ भी फिल्म में रखा है, वह बोर नहीं करता, हां आपको बीच बीच में फोन चेक कर लेने का मौका जरूर देता है। सिनेमा में परदे से नजर हटाने का मौका देना बड़ी चूक मानी जाती है। फिल्म की तकनीकी टीम में काबिले तारीफ काम है इसके सिनेमैटोग्राफर अरविंद एस कश्यप का। अरविंद ने पूरी फिल्म को कैनवस पर बदलती पेटिंग सरीखा लुक दिया है। वह किरदारों के साथ साथ आसपास के वातावरण को भी खूबसूरती से कैमरे में कैद करते हैं। खासतौर से फिल्म के मुख्य किरदार जब सफर पर निकलते हैं और जब हिमालय पर पहुंचते हैं तो अरविंद के कैमरे का कमाल देखते ही बनता है।
और, फिल्म की कमान जिन हाथों में है उन किरनराज के का करियर ये फिल्म पूरी तरह बदल देने वाली है। फिल्म ‘किरिक पार्टी’ में किरनराज फिल्म की निर्देशन टीम का हिस्सा थे। वहीं उनकी रक्षित शेट्टी से दोस्ती हुई और रक्षित ने उन्हें फिल्म ‘777 चार्ली’ के निर्देशन का जिम्मा सौंपा। फिल्म देखकर लगता नहीं है कि ये किरनराज की बतौर निर्देशक सिर्फ दूसरी फिल्म है। उनका शॉट डिवीजन, कैमरा प्लेसिंग और मूवमेंट कमाल का है। कलाकारों को उन्होंने अपने भाव लाने की पूऱी छूट भी दी है। हां, इस चक्कर में फिल्म शुरू में थोड़ा सुस्त रहती है लेकिन पटरी पर आने के बाद फिर फिल्म आखिर तक रुकती नहीं है।
अगर आपने अरसे से पूरे परिवार के साथ कोई फिल्म नहीं देखी है तो फिल्म ‘777 चार्ली’ इस वीकएंड पर संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन का वादा करती है। फिल्म को देखने के लिए थोड़ा धैर्य शुरू में चाहिए। बस एक बार आपका कहानी से, इसके किरदारों से तारतम्य बन गया तो ये फिल्म आपको रुलाएगी भी खूब और चेहरे पर मुस्कान भी कई बार लाएगी।
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छत्तीसगढ़ : दुर्ग में DIAL 112 में गूंजी किलकारी ; वाहन में महिला ने बच्चे को दिया जन्म ; जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ


दुर्ग : छत्तीसगढ़ पुलिस की DIAL 112 सेवा ने फिर एक बार पीड़ित की जान बचाई हैं। जामुल निवासी महिला को तीव्र लेबर पेन की सूचना पर जामुल DIAL 112 में तैनात आर. चेतमान और चालक उत्तम साहू द्वारा तत्काल मौके पर पीड़ित एवं परिवार को साथ लेकर जिला अस्पताल ले जाया गया जहां अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही महिला ने वाहन में बच्चे को जन्म दिया।
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परिजनों के समक्ष पीड़िता ने स्वस्थ बच्चे को डायल 112 के वाहन में जन्म दिया और उनके सहयोग से हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। नवजात शिशु और माता दोनों स्वस्थ हैं। दुर्ग पुलिस ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।


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CG : स्वस्थ हुआ राहुल, जांजगीर-चांपा के कलेक्टर और SP खुद लेने पहुंचे बिलासपुर ; 100 घंटे से ज्यादा 60 फीट गहरे बोरवेल में फंसा था बच्चा


बिलासपुर, जांजगीर-चांपा : छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में 100 घंटे से ज्यादा 60 फीट गहरे बोरवेल के लिए किए गए गड्ढे में फंस कर घायल हुआ राहुल साहू अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है। उसे शनिवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया।
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घर लौटने की खुशी में उसके गांव में जश्न की तैयारी है। वहीं राहुल को विदा करने बड़ी संख्या में अस्पताल स्टाफ पहुंचा था। अस्पताल की तरफ से उसे गिफ्ट भी दिया गया है। जांजगीर कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और एसपी विजय अग्रवाल खुद जांजगीर से बिलासपुर राहुल को लेने पहुंचे थे। इस दौरान बिलासपुर प्रशासन और स्थानीय नेता भी मौजूद थे। बिलासपुर प्रशासन की तरफ से भी राहुल को गिफ्ट दिया गया है।
राहुल पिछले कुछ 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती था। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उसने ठीक होने के बाद डॉक्टरों के साथ खूब मस्ती भी की है। उसका नया वीडियो भी सामने आया था। नए वीडियो में वह बॉल के ऊपर बैठकर कूदता नजर आ रहा था। 10 वर्षीय राहुल साहू अब बिना सहारे के चलने भी लगा है।
अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ ही फीजियोथैरेपिस्ट लगातार राहुल के इलाज में जुटे थे। फीजियोथेरैपी का ही नतीजा है कि वह अब एकदम ठीक हो गया है और पहले की तरह मस्ती करने लगा है। राहुल 10 जून को उसके घर के पीछे बने बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। इसके बाद से वह लगभग 4 दिनों तक अंदर ही फंसा रह गया था। करीब 106 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला जा सका था।
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