Thursday, March 28, 2024

दिल्ली में हॉस्पिटल के सर्जन का कोरोना से निधन, वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बावजूद नहीं बची जान

सरोज हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर पीके भारद्वाज ने बताया कि उन्हें मार्च की शुरुआत में कोविशील्ड (Covishield Vaccine) का दूसरा टीका लगा था.

नई दिल्ली : दिल्ली में कोरोना टीके की दोनों खुराक लेने के बावजूद यहां संक्रमण से एक सर्जन का निधन हो गया. उनका शहर के सरोज हॉस्पिटल (Delhi’s Saroj Hospital) में इलाज चल रहा था और हालत ज्यादा बिगड़ने पर वेंटिलेटर (Ventilator) पर रखा गया था. मगर आज शनिवार सुबह 58 वर्षीय सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार रावत (Dr Anil Kumar Rawat) ने कोरोना से जूझते हुए दम तोड़ दिया.

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक वेंटिलेटर पर ले जाने से पहले उन्होंने अपने सहयोगी से कहा कि था कि वो ठीक होकर लौटेंगे, क्योंकि संक्रमण रोधी टीका लगवा चुके हैं. डॉक्टर रावत साल 1996 में हॉस्पिटल की स्थापना के बाद वहां अपनी सेवाएं देते रहे. उनके साथ करने वाले लोगों ने बताया कि वो बेहद सज्जन और मिलनसार थे.

सरोज हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर पीके भारद्वाज ने बताया कि उन्हें मार्च की शुरुआत में कोविशील्ड (Covishield Vaccine) का दूसरा टीका लगा था. उन्होंने कहा- ‘वो मेरे बड़े बेटे की तरह थे. उन्होंने दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से एमएस सर्जरी की. और साल 1994 में आरबी जैन हॉस्पिटल से मेरी यूनिट से अपना करियर शुरू किया. वो आखिरी सांस तक मेरे साथ रहे.’

मालूम हो कि करीब 10-12 दिन पहले कोरोना संक्रमण के लक्षण (COVID Symptoms) नजर के बाद डॉक्टर रावत ने खुद को घर में क्वारंटाइन कर लिया था. इसके कुछ दिन बाद उनका ऑक्सीजन स्तर घटने लगा और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा. डॉक्टर भारद्वाज कहते हैं कि हमारी टीम ने उन्हें बचाने की खूब कोशिश की. फेफड़े ट्रांसप्लांट पर भी विचार किया गया.

बकौल डॉक्टर भारद्वाज- हमने वो सबकुछ किया जिसकी इलाज के दौरान जरुरत थी. हमने हर मुमकिन कोशिश की. हमारे लिए ये बहुत बड़ा नुकसान है. टीका लगवाने के बावजूद भी यहां डॉक्टर और हेल्थकेयर स्टाफ के लोग संक्रमित हो रहे थे. मगर हल्के लक्षण होने पर ठीक भी हो रहे थे. ऐसा पहली बार जब टीका लगने के बावजूद एक डॉक्टर की मौत हो गई.

डॉक्टर रावत के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक बेटी है. पत्नी सरोज हॉस्पिटल में ही स्त्री रोग विभाग में डॉक्टर हैं. डॉक्टर रावत के साथ करीब 16 साथ हॉस्पिटल में सहयोगी रहे डॉक्टर आकाश जैन कहते हैं- उन्हें दो दिन पहले वेंटिलेटर पर रखा गया मगर बचाया नहीं जा सका. वो मेरे बड़े भाई की तरह थे. उनका जाना बहुत बड़ी क्षति है. मैं आखिरी सांस तक उनके साथ था. वो एक योद्धा थे. वेंटिलेटर पर ले जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि ‘मैं ठीक हो जाऊंगा. मैं टीका लगवा चुका हूं. मैं ठीक होकर लौटूंगा’

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