राज्य एवं शहर
नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सीएम भूपेश ने दिए सुझाव, प्रदेश के लिए रखी ये मांग.. जानिए


रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठवीं बैठक में प्रदेश में उद्योगों, कृषि क्षेत्र के विकास, अधोसंरचना विकास, बस्तर अंचल में सिंचाई सुविधा बढ़ाने, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास जैसे राज्य हित के अनेक विषयों पर राज्य सरकार की योजनाओं एवं नीतियों की जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ को अतिरिक्त आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराने का आग्रह प्रधानमंत्री से किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिलों द्वारा विकास के सभी मापदण्डों पर किए गए उत्कृष्ट प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए सुझाव दिया कि आकांक्षी जिलों की अवधारणा में सांस्कृतिक उत्थान के बिन्दु को भी यथोचित महत्व एवं स्थान दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने वर्मी कम्पोस्ट खाद में भी रासायनिक उर्वरकों की भांति सबसिडी दिए जाने का सुझाव रखा। उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने डेल्टा रैंकिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिलों में हुए नवाचारों की सराहना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ वनाच्छादित, आदिवासी बहुल और खनिज धारित प्रदेश है यहां औद्योगिक विकास के लिए विशेष पैकेज की अपेक्षा है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खनिज कोयले के वृहद भण्डार होने के बावजूद छत्तीसगढ़ कोल ब्लॉक से वंचित है। अतः छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक उपक्रम इकाई के लिए कोल ब्लॉक आबंटित किया जाए। वर्ष 2014 के बाद खनिजों की रॉयल्टी दरों में वृद्धि नहीं होने के कारण राज्य शासन को अपूरणीय क्षति हो रही है। अतः शीघ्र रॉयल्टी दरों में संशोधन किया जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र का विनिवेश नहीं करने का भी आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस संबंध में शासकीय संकल्प भी पारित किया गया है।

कार्गाें हब और निर्यात के लिए पोर्ट की सुविधा की मंजूरी का आग्रह
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में उद्योगों के विकास और निर्यात का बढ़ावा देने के लिए रायपुर में कार्गाें हब स्थापित करने की मंजूरी देने और निर्यात के लिए पोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ लैण्डलॉक्ड राज्यों में शामिल है, इसलिए छत्तीसगढ़ को परिवहन लागत की सुगमता हेतु औद्योगिक गतिविधियों के लिए अंतरदेशीय परिवहन अनुदान दिया जाए, ताकि छत्तीसगढ़ से निर्यातक एवं कृषि आधारित उद्योगों के विकास को गति मिल सके। बघेल ने बैठक में बताया कि राज्य सरकार द्वारा कोदो-कुटकी को समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया गया है। कोदो-कुटकी की विदेशों में भी बड़ी मांग है। इनके निर्यात की सुविधा उपलब्ध होने से इसका फायदा प्रदेश के आदिवासी किसानों को होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ इज आफ डूईंग बिजनेस के मापदण्डों में देश के अग्रणी छह राज्यों में शामिल है।
राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति में खनिज संसाधनों एवं कृषि तथा वनोपजों में वेल्यूएडिशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में लाख उत्पादन और मछली पालन को खेती का दर्जा दिया गया है। इस्पात उद्योग को कोरोना काल में रियायती दर पर बिजली उपलब्ध कराई गई। जिससे छत्तीसगढ़ इस्पात उत्पादन में अग्रणी रहा। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षाें में 56 हजार करोड़ रूपए के पूंजी निवेश के लिए 154 एमओयू किए गए।
अतिशेष धान से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति देने की मांग
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि राज्य को अतिशेष धान से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी जाए। इससे देश की विदेशी मुद्रा में बचत होगी, किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिलेगा और रोजगार के अवसर बढेंगे। उन्होंने कहा कि चावल के स्थान पर धान से एथेनॉल की अनुमति मिलने पर परिवहन और मिलिंग पर होने वाला खर्च बचेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पहली बार केन्द्र सरकार द्वारा एथेनॉल की दर 54.89 रूपए प्रति लीटर तय की गई है जिसे और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए। प्रदेश में गन्ने से एथेनॉल उत्पादन के लिए एमओयू हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय पूल में छत्तीसगढ़ से 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने का किया आग्रह
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में 20 लाख 58 हजार किसानों से 92 लाख मीट्रिक टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई है। किसानों को इसके लिए 17 हजार 322 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र द्वारा पूर्व में केन्द्रीय पूल में छत्तीसगढ़ से 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की घोषणा की गई थी। लेकिन इसमें 16 लाख टन की कटौती कर दी गई। एफसीआई ने चावल देने की अनुमति अक्टूबर, नवम्बर में ही मिल जाती थी। इस सीजन में जनवरी माह में 24 लाख मीट्रिक टन की अनुमति ही मिल पाई। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय पूल में शेष 16 लाख मीट्रिक टन चावल लेने का अनुरोध किया है।
बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के लिए मांगा केन्द्र से सहयोग
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इंद्रावती बस्तर अंचल की जीवनदायनी नदी है, लेकिन उस पर एक भी बांध नहीं होने से बस्तर अंचल के अनेक जिलों में सिंचाई का प्रतिशत शून्य से सात प्रतिशत तक है। राज्य सरकार द्वारा इंद्रावती पर बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना प्रस्तावित की गई है, इससे बस्तर अंचल में सिंचाई सुविधा का विस्तार होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिए भी प्रधानमंत्री से सहायता देने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि नरवा योजना के अंतर्गत पिछले दो सालों में 5 हजार नालों की रिचार्जिंग का काम प्रारंभ किया गया है। अब तक 2500 नालों में 80 लाख इस्ट्रक्चर बनाए गए हैं।
वर्मी कम्पोस्ट उत्पादों को भी रासायनिक उर्वरकों की भांति मिले सबसिडी का लाभ
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के वर्मी कम्पोस्ट उत्पादक किसानों को रासायनिक उर्वरकों की भांति मिलने वाली सबसिडी देने का आग्रह प्रधानमंत्री से किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर से वर्मी कम्पोस्ट महिला स्व सहायता समूहों द्वारा तैयार की जा रही है। प्रदेश में दस हजार गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 60 हजार वर्मी टांके बनाए गए हैं। इनसे निकट भविष्य में 9 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन संभावित है। छत्तीसगढ़ वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग को बढ़ावा देकर जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास के कार्याें हेतु शर्ताें को शिथिल किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आरपीएलडब्ल्यूई योजना के फेस तीन में सडक और पुलिया के निर्माण हेतु 392 करोड़ रूपए के कार्याें की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है। परंतु ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह शर्त लगाई है कि पूर्व के 50 प्रतिशत स्वीकृत कार्याें के पूर्ण होने पर ही इनकी स्वीकृति दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस शर्ताें का शिथिल करने का आग्रह करते हुए कहा कि नक्सली क्षेत्रों में सुरक्षागत कारणों से कार्य करना काफी कठिन होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन है। इस वजह से वनांचलों के कुछ गांवों में बिजली पहुंचाने में दिक्क्त आती है। वन अधिनियम में छूट देकर इन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए सोलर पैनल स्थापित करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा बढ़ने से लोग बन्दूक छोड़कर हल पकडं़ेगे और खेती की ओर बढ़ेंगे। इससे नक्सल गतिविधियां कम होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रांसफार्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम के मॉनीटरिंग इंडीकेटर में स्थानीय बोली में शिक्षा, मलेरिया व एनीमिया में कमी, वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, लोक-कला, लोक-नृत्य तथा पुरातत्व का संरक्षण-संवर्धन, जैविक खेती, वनाधिकार पट्टे आदि को शामिल किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने डिजिटल अधोसंरचना के विकास के संबंध में बताया कि भारतनेट परियोजना के द्वितीय चरण में 85 विकासखण्डों में से 75 विकासखण्डों में कार्य प्रगति पर है। इन पंचायतों में सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक में प्रधानमंत्री से जीएसटी क्षतिपूर्ति, कोयले पर एडिशनल लेवी की राशि, पीडीएस के अंतर्गत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में चावल की शेष राशि समेत राज्य के हक की कुल 13 हजार 440 करोड़ रूपए की राशि जल्द से जल्द उपलब्ध कराने और राज्य को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी की राशि पूर्ववत रखे जाने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2020-21 में राज्य को जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में केन्द्र सरकार से 3700 करोड़ रूपए की राशि प्राप्त होना शेष है। इसी तरह वर्ष 2014 के पूर्व प्रदेश मे संचालित निजी कोयला खदानों से कोयले पर ली गई 4140 करोड़ रूपए की एडिशनल लेवी राशि प्राप्त होनी है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में चावल की 5600 करोड़ रूपए की राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2020-21 के केन्द्रीय बजट में कृषि अधोसंरचना विकास सेस अरोपित करने से राज्य को आगामी वित्तीय वर्ष में 900 से एक हजार करोड़ रूपए तक की अतिरिक्त क्षति होना संभावित है। उन्होंने कहा कि कृषि अधोसंरचना विकास कोष की स्थापना का निर्णय तो स्वागत योग्य है, लेकिन राज्य को एक्साइज ड्यूटी के रूप में मिलने वाली राशि में कमी से राज्य को अभूतपूर्व वित्तीय क्षति का सामना करना पड़ेगा। अतः एक्साइज ड्यूटी के रूप में मिलने वाली राशि पूर्ववत रखे जाने का अनुरोध है।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी और मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, उप सचिव सौम्या चौरसिया उपस्थित थीं।



CORONA VIRUS
छत्तीसगढ़ में आज कोरोना के 3 नए मामले मिले, 1 रिकवर ; एक्टिव केस 36 ; 16 जिले कोरोना फ्री ; 26 जिलों में कोई नया केस नहीं


रायपुर : छत्तीसगढ़ मे आज कोरोना के 3 नए मरीज़ मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार बीते 24 घंटे में 1 मरीज स्वस्थ हुए हैं।
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प्रदेश में आज पॉजिटिविटी दर 0.11% प्रतिशत है। आज प्रदेश भर में हुए 2 हजार 617 सैंपलों की जांच में से 3 मरीज कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।

प्रदेश के 02 जिला से 03 कोरोना संक्रमित पाए गए तथा शेष 26 जिलों में आज कोरोना का कोई नया मामला नहीं आया प्रदेश के 16 जिले में आज कोराना के सक्रिय मरीज नहीं तथा 12 जिलों में 01 से 13 के मध्य कोरोना सक्रिय मरीजों की संख्या रही।
गौरतलब है की प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 11 लाख 52 हजार 370 है। छत्तीसगढ़ में अब तक 11 लाख 38 हजार 300 मरीज स्वस्थ हुए हैं। नए मरीज मिलने और डिस्चार्ज होने के बाद अब सक्रिय मरीजों की संख्या 36 हो गई है।
देखिए जिलेवार आंकड़ा :
3 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों की आज पहचान हुई वहीं 1 मरीज़ स्वस्थ होने के उपरांत डिस्चार्ज/रिकवर्ड हुए। #ChhattisgarhFightsCorona@TS_SinghDeo @ChhattisgarhCMO @VinodSevanLal pic.twitter.com/p73nT87nfH
— Health Department CG (@HealthCgGov) May 21, 2022


राज्य एवं शहर
छत्तीसगढ़ : परसा कोल ब्लॉक के विरोध में सड़क पर उतरे ग्रामीण, NH 6 घंटे जाम, रेलवे ट्रैक पर बैठने से कोयला परिवहन भी ठप


रायपुर : छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में राजस्थान को परसा कोल ब्लॉक आबंटन का विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर प्रदेशभर के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं के साथ प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण सड़क पर उतर आए। आक्रोशित लोगों ने करीब 6 घंटे तक अंबिकापुर-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। सालही के समीप कोयला परिवहन के लिए बिछाए गए रेलवे ट्रैक में बैठ गए, जिससे कोल परिवहन ठप हो गया।
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आंदोलन में पहुंचे पूर्व सांसद और छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई ने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में रुढ़ि प्रथा प्रभावशील होता है, लेकिन भूपेश सरकार ने ग्रामीणों की भावनाओं के विपरीत फर्जी ग्रामसभा कर परसा कोल ब्लॉक आवंटन को मंजूरी दी है। 1,250 हेक्टेयर जमीन इसके दायरे में आ रही हैं। इससे कई गांव के लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ेगा। लाखों पेड़ काटे जाएंगे। जल, जंगल, जमीन को बचाने ग्रामीण 2 मार्च से प्रभावित क्षेत्र के ग्राम हरिहरपुर में शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। परसा साइडिंग से रोज करीब 7 रैक कोल परिवहन होता है। शुक्रवार को आंदोलन के कारण 3 रैक कोल परिवहन नहीं हो सका।

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रेलवे ट्रैक और सड़क पर बैठे ग्रामीण
शासन द्वारा मांगों पर सुनवाई नहीं करने से आक्रोशित ग्रामीणों ने आम छत्तीसगढ़वासियों से एकजुट होकर आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि शुक्रवार का आंदोलन सांकेतिक है। यदि इसके बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा परसा कोल ब्लॉक के आवंटन को रद्द नहीं किया गया तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं की भी सहभागिता रही। हजारों की संख्या में लोग राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक पर उतर आए हैं। इससे 6 घंटे आवागमन पूरी तरीके से बाधित रहा। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात रहा।
राहुल गांधी ने नहीं निभाया वादा
आंदोलन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी थी, तब नजदीक के गांव मदनपुर में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आए थे। उन्होंने वादा किया था कि वे हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल ब्लॉक आवंटन नहीं होने देंगे। यदि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी तो किसी भी कीमत पर जंगल उजड़ने नहीं दिया जाएगा। आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी कोयला खनन के लिए फर्जी तरीके से अनुमति दे दी गई है। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक कोल ब्लॉक आवंटन को रद्द नहीं किया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। (रिपोर्ट :मनोज कुमार)


राज्य एवं शहर
छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री भूपेश आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर गोधन न्याय योजना के तहत जारी करेंगे 13 करोड़ 31 लाख रूपए


- गोधन न्याय योजना के तहत हो चुका है 237 करोड़ 11 लाख रूपए का भुगतान
- स्वावलंबी गौठान समितियों ने स्वयं की राशि से खरीदा 14.63 करोड़ रूपए का गोबर
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई को रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेता पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 13 करोड़ 31 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन जारी करेंगे, जिसमें 01 मई से से 15 मई तक राज्य के गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए गए गोबर के एवज में 2.17 करोड़ रूपए भुगतान तथा गौठान समितियों को 4.35 करोड़ और महिला समूहों को 6.79 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल हैं।
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यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत 30 अप्रैल तक गौठानों में क्रय किए गए गोबर की भुगतान राशि, गौठान समितियों एवं महिला समूहों को लाभांश के रूप में 237 करोड़ 11 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 21 मई को 13.31 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद राशि यह आंकड़ा बढ़कर 250 करोड़ 40 लाख रूपए हो जाएगा।

गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना देश-दुनिया की इकलौती ऐसी योजना है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। गौठानों में 30 अप्रैल तक खरीदे गए गोबर के एवज में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों को 138 करोड़ 56 लाख रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 21 मई को गोबर विक्रेताओं को 2.17 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 140.71 करोड़ रूपए हो जाएगा। गौठान समितियों को भी अब तक 59.57 करोड़ रूपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों 38.98 करोड़ रूपए राशि लाभांश की भुगतान किया जा चुका है। 21 मई को गौठान समितियों को 4.35 करोड़ तथा स्व-सहायता समूह को 6.79 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा बढ़कर क्रमशः 63.92 करोड़ एवं 45.77 करोड़ रूपए हो जाएगा।
गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 14 लाख 46 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5 लाख एक हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 19 हजार 357 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं।
गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 65 करोड़ 40 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 12,013 महिला स्व सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82725 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए एमओयू हो चुका है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गौठानों को रूरल इण्डस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कृषि एवं वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की जा रही हैं। प्रथम चरण में राज्य के 161 गौठानों में तेल मिल तथा 197 गौठानों में दाल मिल स्थापित किए जाने की कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया गया है। अब तक 41 गौठानों में तेल मिल एवं 100 गौठानों में दाल मिल की स्थापना की जा चुकी है।
राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,622 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8397 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं, जिसमें से 3 हजार 89 गौठान आज की स्थिति में स्वावलंबी हो चुके हैं। स्वावलंबी गौठानों में अब तक स्वयं की राशि से 14 करोड़ 63 लाख रूपए का गोबर क्रय किया है। गोधन न्याय योजना से 2 लाख 11 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.27 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से एक लाख 20 हजार से अधिक भूमिहीन परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।


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