26 मार्च को वर्ल्ड पर्पल डे मनाया जाता है। इस दिन मनाने का पीछे एक ही मकसद है मिर्गी यानी एपिलेप्सी के प्रति दुनियाभर के अवेयरनेस को फैलाना लेसेन्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ,दुनिया भर में लगभग 5 करोड लोग मिर्गी से जूझ रहे हैं।
इनमें से लगभग एक से 1.2 करोड़ लोग भारतीय हैं।बच्चों के जन्म के समय मस्तिक में पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन सप्लाई ना होने की वजह से ही बचपन में ही मिर्गी की शिकायत होती है। मिर्गी दिमाग से जुड़ी एक तरह की बीमारी है। मेडिकल साइंस में इसकी दौरे को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर कहते हैं।
हम आप को मिर्गी के यहां पर कुछ लक्षण बताते हैं।
जैसे कि अचानक गुस्सा आना।
कंफ्यूज फील होना।
डर एंग्जाइटी।
अचानक खड़े-खड़े गिर जाना।
कुछ समय के लिए कुछ भी याद ना रखना।
लगातार ताली बजाना या हाथ रगड़ना।
चेहरे गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटका आना।
मिर्गी को जन्मजात बीमारी कहना गलत होगा जैसा कि बताया गया है कि एक न्यूरोजिकल डिसऑर्डर है जब ब्रेन में नर्व सेल या कोशिका की एक्टिविटी डिस्टर्ब हो जाती है तभी मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। जन्म जन्म साथ होने के साथ-साथ यह ब्रेन इंजरी ,स्ट्रोक और ट्रॉमा की वजह से कभी भी किसी को भी हो सकती है। अगर 3 साल तक लगातार इसका इलाज करवाए जाए तो 70 से 75% तक बच्चों में इसकी ट्रीटमेंट का असर दिखता है। अगर बड़ों को समय पर भी इलाज मिल जाए तो काबू पाना मुश्किल काम नहीं है। जिन लोगों का इलाज पूरी तरह से नहीं होता है उनको भी बीमारी कंट्रोल में रहती है। अगर वह प्रिकॉशन रखते हैं अभी से 30 परसेंट लोगों को इसकी दवाई पूरी उम्र खानी पड़ती है ।
कुछ लोग भी मिर्गी को छुआछूत से जोड़कर देखते हैं टोने टोटके से ठीक करने की कोशिश करते हैं इससे भी वह ठीक होती है।
यानी मेडिकल साइंस छुआछूत और टोने-टोटके को बिल्कुल भी नहीं मानता इससे मरीज की हालत ठीक होने की बजाय बिगड़ भी सकते हैं। इसलिए झाड़-फूंक या टोना टोटका के चक्कर में ना पड़ें। दिमाग के डॉक्टर से कांटेक्ट करें सही इलाज करवाएं। दरअसल बहुत सारे लोगों में मिर्गी होने की वजह से ब्रेन में कीड़ा होना भी है जिसे न्यूरोसिस्टिसरकोसिस के नाम से जानते हैं यह खुले में शौच करने के कारण आता है। खुले में शौच करने सेपेट में मौजूद टेप वॉर्म यानी कृमि बाहर आ जाता है। यह खेतों में मौजूद सब्जियां पानी में मिल जाता है जब यह सब्जी आपके घर में आती है तो इसे अच्छी तरह से धोये बगैर ही पकाते हैं। या फिर बिना बाजार से बिना धोये मोमोज और बर्गर जैसी चीजों में इसको यूज़ करते हैं तो इसका टेपवर्म पेट से होकर ब्रेन में पहुंचता है जो कि मिर्गी की वजह बनता है। यह इतने छोटे होते हैं कि खुली आंखों से देख पाना संभव नहीं है।
वहीं अगर किसी को आसपास दौरा पड़े तो हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
गले के कॉलर को ढीला कर मरीज को बाएं करवट में लिटा दें।
जबरदस्ती मरीज के शरीर को पकड़ने या फिर दबाने से बचें।
मरीज को कुछ भी खिलाएं-पिलाएं नहीं।
दौरा शुरू होने का और खत्म होने का समय नोट कर लें।
रिस्की चीजों जैसे आग, फर्नीचर के नुकीले कोनों से दूर रखें।
सिर के नीचे मुलायम चीजे रखें, जिससे सिर फर्श से टकराए नहीं।
मुंह या नाक से आने वाले पानी या झाग को साफ करते रहें।
जूता सुंघाना या फिर हाथ में लोहा पकड़वाने से बचें।