मध्यप्रदेश 16 जनवरी 2023: मध्यप्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही अभयारण्य में जहां वर्तमान में 12 बाघ अपने परिवार के साथ निवास कर रहे हैं। वहीं अब यहां पक्षियों पर भी अध्यन शुरू किया गया है।बाघों के अलावा भी इस वन्यप्राणी अभयारण्य में हजारों प्रजाति के पशु-पक्षी, वन्यजीव, वनस्पतियां व जलीय प्रजातियां मौजूद हैं। इनका अध्ययन करने के लिए मप्र सहित देश के छह राज्यों से चुनिंदा 22 विशेषज्ञों की टीमें आई हैं। टीमों ने पहले दिन यहां तालाबों के पास पक्षियों पर अध्ययन किया है। इसमें 4 अलग-अलग प्रजाति के नीलकंठ को दर्ज किया गया है।अभयारण्य में में दल को पक्षियों की प्रजातियों के साथ ही जैव विविधता वन्यजीव और वनस्पति का भी अध्ययन करना था जिसके बाद सर्वे रिपोर्ट तैयार होनी है।
जंगल में रवानगी से पहले सीसीएफ, डीएफओ के अलावा ओरिएंटल ट्रेल के पक्षी विशेषज्ञ द्वारा वालंटियर्स को पक्षी गणना, जैव विविधता के अध्ययन संबंधी रिपोर्ट तैयार करने ई-वर्ड एप पर पक्षियों के चित्र, उनकी आवाज, आवास संबंधी जानकारी अपलोड करने का प्रशिक्षण दिया गया है।छात्र और वनकर्मी चार दिन तक नौरादेही अभयारण्य में सर्वे कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस दौरान नौरादेही अभयारण्य की मोहली, जमरासी, जगतराई, बरपानी, नौरादेही, सिलकुही, सर्रा, रमपुरा, उन्हारीखेड़ा और आमापानी बर्ड ट्रेल में पक्षियों की प्रजाति, उनकी संख्या और आवास व व्यवहार का अध्ययन करेंगे।
नौरादेही को अपना शीतकालीन बसेरा बना चुका है।यह हिमालयन क्षेत्र से अफगानिस्तान, तिब्बत और अफगानिस्तान- मंगोलिया तक पाया जाता है। ग्रिफॉन पिछले साल भी नौरादेही पहुंचा था। इस साल फिर दिसंबर में यह अभयारण्य में नजर आया है।लिटिल ग्रेब, ग्रेट इग्रेट, लिटिल इग्रेट, इंडियन कार्मोरेंट, रूडी शेल्डक, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, सारस क्रेन, पेंटेड स्टॉर्क, लिटिल इग्रेट, क्रिस्टेड, सेरपेंट ईगल, इंडियन वल्चर, इज्पिशियन वल्चर, जंगल आउल, स्पॉटेड आउल, यूरेशियन केस्ट्रल, पेंटेड फें्रकोलिन, ओरियेंटल टर्टल डव, यलो फुटेड पीजन, ओरियेंटल मेगपी रॉबिन, ब्राउन शिरिक, रोजी स्टरलिंग, वॉइट-ब्राउड वगटिल, ग्रे वगटिल, ब्राउन हेडेड बारबेट, प्लम हेडेड पेराकिट, ग्रीनिश वारबलर, स्मॉल मिनवेट पक्षी नजर आए हैं। मटमैले-भूरे रंग के इस पक्षी के पंख विशाल होते हैं। करीब 80 सेमी आकार वाले इस पक्षी की गर्दन पर रोंएदार छोटे पंख होते हैं। चोंच पतली और आगे से मुड़ी व नुकीली, पंजे और नाखून पैने होते हैं। यह सर्दियां बढ़ने पर दिसंबर में हिमालय की वादियों से उड़ान भरता है और मैदानी क्षेत्रों में अनुकूलता के आधार पर अपना ठिकाना बनाता है। हिमालयनसीस ऊंचे पहाड़ों पर दरारों के बीच घोंसले बनाता है। अधिकांशत: ये अकेले या छोटे झुंड में उड़ान भरता है।