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सोमवार विशेष : छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में शिवलिंग से अलग-अलग समय में आती है अलग-अलग खुशबू, जानिए रहस्य


गंधेश्वर महादेव शिवलिंग स्थापित है छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक नगरी महासमुंद जिले के सिरपुर में, जो राजधानी रायपुर से सडक़ मार्ग के रास्ते से 85 किलोमीटर और महासमुंद जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. सिरपुर जिसे पुरातन समय का बौद्ध नगरी कहा जाता है.
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महासमुंद : भगवान शिव के 11 ज्योतिर्लिंग के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या किसी को पता है कि भगवान शिव का एक ऐसा शिवलिंग भी है जो सुगंधों की बौछार करता रहता है. भगवान शिव का यह शिवलिंग स्थापित है छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक नगरी महासमुंद जिले के सिरपुर में, जो राजधानी रायपुर से सडक़ मार्ग के रास्ते से 85 किलोमीटर और महासमुंद जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. सिरपुर जिसे पुरातन समय का बौद्ध नगरी कहा जाता है. जिसे भगवान शिव की महिमा को देखते हुए छत्तीसगढ़ का बाबा धाम भी कहा जाता है और जिसे पुरातात्विक धरोहरों को देखते हुए छत्तीसगढ़ का पुरातात्विक नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है.

इसी सिरपुर में महानदी के तट पर स्थित है भगवान शिव का वो अद्भूत शिवलिंग, जिसे भगवान गंधेश्वर के नाम से जाना जाता है. भगवान गंधेश्वर की महिमा को जानने और शिवलिंग से आने वाली गंध की सच्चाई पता करना न्यूज़18 की टीम महासमुंद जिला मुख्यालय से सडक़ मार्ग के रास्ते 40 किलो मीटर की दूरी तय कर सिरपुर पहुंची. जहां सिरपुर में महानदी के तट के किनारे मनोरम दृश्य के साथ भगवान गंधेश्वर विराजमान हैं. भगवान शिव के इस अद्भूत शिवलिंग से निकलने वाली खुशबू को परखने हम भगवान गंधेश्वर के मंदिर में प्रवेश किये और वहां पहुंचे जहां, गर्भ गृह में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है और जिसे भगवान गंधेश्वर के नाम से पुकारा जाता है. भगवान की इस महिमा का आभास लेने हमने पहले भगवान की पूजा अर्चना की. उसके बाद भगवान के शिवलिंग को स्पर्श किया. यकिन मानिए इसके बाद हमारे हाथों में एक अजीब सी खुशबू थी. जो तुलसी के पौधे की तरह थी. या ये कहें कि तुलसी जैसी खुशबू हाथों से आ रही थी.
आठवीं सदी में हुआ था मंदिर का निर्माण
महानदी के तट पर भगवान शिव की पूजा यहां गंधेश्वर महादेव के रूप में की जाती है. नदी तट से बिल्कुल लगे इस मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में बालार्जुन के समय में बाणासुर ने कराया था. भगवान शिव की शिवलिंग से निकलने वाली सुगंध के बारे में पता लगाने हमने मंदिर के पुजारी नंदाचार्य दूबे से बात की. उन्होंने बताया कि, इसके बारे में एक देव कथा है कि सिरपुर 8वीं शताब्दी में बाणासुर की विरासत थी. वो शिव के उपासक थे .वह हमेशा शिव पूजा के लिए काशी जाया करते थे और वहां से एक शिवलिंग भी साथ में ले आया करते थे. कथा के मुताबिक एक दिन भगवान शंकर प्रगट होकर बाणासुर से बोले कि तुम हमेशा पूजा करने काशी आते हो, अब मैं सिरपुर में ही प्रगट हो रहा हूं. इस पर बाणासुर ने कहा कि भगवान मैं सिरपुर में काफी संख्या में शिवलिंग स्थापित कर चुका हूं. उसने भोलेनाथ से पूछा कि जब वो प्रगट होंगे तो उन्हें पहचाना कैसे जाए. इस पर शम्भू ने कहा कि, जिस शिवलिंग से गंध का अहसास हो, उसे ही स्थापित कर पूजा करो. तब से सिरपुर में शिव जी की पूजा गंधेश्वर महादेव के रूप में की जाती है. मान्यता है कि अभी भी गर्भगृह में शिवलिंग से कभी सुगंध तो कभी दुर्गंध आती है, इसलिए ही यहां भगवान शिव को गंधेश्वर के रूप में पूजते हैं. मंदिर के पुजारी के मुताबिक यहां अलग-अलग समय में अलग-अलग खुश्बुओं का एहसास होता है.
भगवान शिव का यह अद्भुत शिवलिंग क्या वाकई 8वीं शताब्दी से है या फिर खुदाई से निकला है. इस बात पुरातत्व विभाग से जुड़े गाइड सत्यप्रकाश ओझा ने बताया कि भगवान शिव का यह शिवलिंग यहां पुरातत्व विभाग को खुदाई से नहीं बल्कि आदीकाल से स्थित है. उन्होंने बताया कि वैसे तो सिरपुर में अनेक शिवलिंग है, लेकिन पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान अलग से 21 शिवलिंग मिले हैं. खुदाई में प्राप्त शिवलिंगों में भगवान गंधेश्वर की तरह खुशबू नहीं आती. उन्होंने बताया कि महानदी के किनारे होने के कारण मंदिर का काफी हिस्सा सालों पहले पानी और भूकंप के कारण भूमिगत हो गया था. जिसे फिर से रिनोवेट कराया गया है. उन्होंने बताया कि इसे छत्तीसगढ़ का बाबा धाम भी कहा जाता है. जहां हजारों के तादात में कांवरिया दूर-दूर से सावन में जल चढ़ाने आते है. मान्यता है कि यदि कोई सच्चे मन से भगवान गंधेश्वर से कामना करे तो वो उसकी मुरादे जरूर पूरी करते हैं. सिरपुर में वैसे तो कई पुरातात्विक धरोहर है, इसी के चलते लंबे समय से इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की मांग चल रही है.



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वाराणसी : ज्ञानवापी के वजूखाने का पुराना वीडियो वायरल, देखें आपको शिवलिंग लगता है या फव्वारा ?


वाराणसी : ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि वजूखाने में शिवलिंग पाया गया है। इसको लेकर जहां एक तरफ सियासत तेज हो गई है तो दूसरी तरफ एक दोनों पक्ष एक दूसरे को झूठा साबित करने में जुट गया है। इस बीच ज्ञानवापी मस्जिद का कथित वीडियो भी सामने आया है। इस पुराने वीडियो में वह पत्थर भी दिख रहा है, जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है तो मुस्लिम पक्ष फव्वारा साबित करने में जुटा है। हालांकि, सच क्या है यह कोर्ट के फैसले के बाद ही तय हो पाएगा। हिन्दुस्तान इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
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There is a vajukhana inside the #Gyanvapi.
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But more important is, there is a well inside the Vajukhana from where the shivlinga is found.
see they claimed it is fountain not shivlingam. An old video from gyanvapi temple.#ज्ञानवापी_मंदिर#हर_हर_महादेव pic.twitter.com/SUoTZe9oJj
— Political Vaccine💙🇮🇳 (@askvaccine) May 17, 2022
सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कुछ लोग वजूखाने की सफाई करते दिख रहे है। कुछ लोग झाड़ू लगा रहे हैं तो कुछ पाइप से पानी डालते दिख रहे हैं। इस दौरान उस पत्थर को भी मोबाइल में कैद किया जाता है, जिसको लेकर विवाद छिड़ा है।
बताया जा रहा है कि सोमवार को कोर्ट कमिश्नर की अगुआई में टीम जब वजूखाने में पहुंची तो यहां से पानी हटाकर जांच की गई। ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे की जानकारी होते ही काशी विश्वनाथ धाम के आसपास के लोग खुशी में हर-हर महादेव का घोष करने लगे। सर्वे पूरा होने के बाद चौक क्षेत्र में जुटे लोगों ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन बाबा ने साक्षात दर्शन दिया है। लंबी लड़ाई के बाद यह कामयाबी मिली है।
मैदागिन की ओर चौक थाना और गोदौलिया की ओर बांसफाटक के पास पुलिस ने बेरिकेडिंग कर सामान्य लोगों के आवागमन पर रोक लगा दी थी। सुबह करीब 10.30 बजे वादी पक्ष के सोहनलाल आर्य बाहर आए और कहा कि ‘बाबा मिल गए’। इसके बाद हर-हर महादेव का घोष होने लगा।


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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में जिस जगह पर शिवलिंग मिला उसे तुरंत सील करने का कोर्ट ने दिया आदेश ; वजू पर पाबंदी


वाराणसी : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम आज तीसरे दिनपूरा हो गया। सर्वे पूरा होने के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि-‘बाबा मिल गए।’ कहा गया कि सर्वे में ‘काला पत्थर’ मिला जो शिवलिंग है। जितना सोचा था उससे ज्यादा साक्ष्य मिले हैं।
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सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने शिवलिंग के संरक्षण के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिस पर वाराणसी कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उसे तत्काल सील कर दें। किसी भी व्यक्ति को वहां जाने न दें। कोर्ट ने इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सीआरपीएफ को दी है।

कोर्ट ने शिवलिंग की जगह को सील करने के आदेश के साथ ही साथ ही अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय कर दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा- ‘जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेट को आदेशित किया जाता है कि जस स्थान को सील किया गया है, उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की पूर्णत: व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी।’
मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष का दावा नकारा
ज्ञानवापी सर्वे पूरा होते ही हिंदू पक्ष ने वहां शिवलिंग मिलने का दावा किया। हिंदू पक्षकार सोहनलाल आर्य ने कहा कि जितना सोचा था उससे अधिक साक्ष्य मिले हैं। हालांकि मुस्लिम पक्ष इस दावे को पूरी तरह से नकार रहा है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में ऐसा कुछ नहीं मिला है जिसका दावा हिंदु पक्ष कर रहा है। इस दावे और उसके खिलाफ प्रतिदावे के बीच कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए शिवलिंग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। प्रशासन ने भी ऐसे दावे से पल्ला झाड़ते हुए लोगों से अपील की कि वे सिर्फ अधिकारिक बयान पर ही ध्यान दें। प्रशासन की ओर कहा गया कि यदि किसी भी पक्षकार ने अपनी निजी इच्छा से कोई बात बताई है तो यह उसका निजी विचार है।
वजू पर लगी पाबंदी
सर्वे पूरा होने के थोड़ी देर बाद ही शिवलिंग का मामला कोर्ट भी पहुंच गया। कोर्ट ने अपने हिंदू पक्ष के दावे के बाद अपने आदेश में शिवलिंग के आसपास जाने पर रोक लगा दी। वहां वजू पर भी पाबंदी लगाई गई है।
कल होगी सुनवाई
कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब सिर्फ 20 लोग ही नमाज के लिए जा सकते हैं। कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे तीन दिन और कुल 10 घंटे चला। कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र कल सर्वे रिपोर्ट दाखिल करेंगे। इसके बाद अदालत तय करेगी कि ज्ञानवापी का सच क्या है?


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Happy Buddh Purnima 2022 : जीवन में सफलता पाने के लिए अपनाएं बुद्ध की ये बातें, कभी नहीं होगी हार


आज बुद्ध पूर्णिमा है. अगर आप जीवन में पिछड़ रहे हैं या आपके हाथ सफलता नहीं लग रही है तो आप बुद्ध की इन बातों का अनुसरण करें. आपको कभी हार का सामना नहीं करना पड़ेगा.
आस्था डेस्क : आज बुद्ध पूर्णिमा है और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है. यह भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और पुण्यतिथि को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है. भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में शाक्य वंश में राजा शुद्धोधन और माया देवी के पुत्र के रूप में हुआ था. बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था. 29 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़ने के बाद, वह निर्वाण या ज्ञान की तलाश में थे जो उन्हें केवल 49 दिनों में मिला था.
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बता दें कि बुद्ध पूर्णिमा ना केवल भारत और नेपाल में, बल्कि दुनिया भर में मनाए जाने वाले बौद्धों का एक प्रमुख धार्मिक त्योहार है. बुद्ध पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती और पुण्यतिथि दोनों के रूप में मनाया जाता है.

भगवान बुद्ध के जीवन की ऐसी बहुत सी बातें हैं, जिन्हें अगर आप अपने जीवन में उतार लें तो आपको सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता है. नीचे हमने कुछ ऐसी बातों का उल्लेख कर रखा है.
- – हर चीज को संदेह से देखें. अपनी खुद की रोशनी की तलाश करें.
- – भूतकाल में मत जियो, भविष्य के सपने मत देखो, मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो.
- – एक हजार खोखले शब्दों से बेहतर, एक ऐसा शब्द है जो शांति लाता है.
- – शांति अंतर्मन से आती है. इसके बिना कुछ मत खोजो.
- -अंत में, केवल तीन चीजें मायने रखती हैं: आप कितना प्रेम किया, आपने कितना सौम्य जीवन जिया, और आपने कितनी खूबसूरती से उन चीजों को जाने दिया जो आपके लिए नहीं थीं.
- – हर चीज को संदेह से देखें. अपनी खुद की रोशनी की तलाश करें.


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