नई दिल्ली 12 जनवरी 2023:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।इस दौरान उन्होंने कहा, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपका स्वागत इस समिट में कर रहा हूं। मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आप दुनिया के विभिन्न जगहों से इसमें हिस्सा ले रहे हैं। भारत ने हमेशा ग्लोबल साउथ के अपने भाइयों के साथ अपने विकास संबंधी अनुभव को साझा किया है। बता दें, इस समिट का उद्देश्य एकता की आवाज, एकता का उद्देश्य है। उन्होंने कहा, “दुनिया को फिर से सक्रिय करने के लिए हमें एक साथ प्रतिक्रिया, पहचान, सम्मान, सुधार के वैश्विक एजेंडे का आह्वान करना चाहिए।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने सम्मेलन की शुरुआत करते हुए विभिन्न विकासशील देशों के कई नेताओं की उपस्थिति में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि दुनिया संकट में है।’ उन्होंने कहा कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ‘अस्थिरता की स्थिति’ कब तक रहेगी।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद करना होगा।
भारत दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। यह सम्मेलन यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से संबंधित अपनी आम चिंताओं को साझा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है।’ग्लोबल साउथ’ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों को प्रस्तुत करता है। सम्मेलन में नेताओं के उद्घाटन सत्र का विषय “वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ – फॉर ह्यूमन-सेंट्रिक डेवलपमेंट” है। जबकि नेताओं का समापन सत्र “यूनिटी ऑफ वॉयस-यूनिटी ऑफ परपज” पर होगा।शिखर सम्मेलन में दस सत्र आयोजित किए जाएंगे। जिनमें से चार सत्र गुरुवार को होंगे, जबकि छह सत्र शुक्रवार को होंगे। प्रत्येक सत्र में 10-20 देशों के नेताओं और मंत्रियों के भाग लेने की उम्मीद है।