National Desk : अमेजोनिया-1 समेत 19 उपग्रहों को एक साथ भेजकर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरों ने साल 2021 का अपने तरीके से आगाज किया है। ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों को लेकर भारत के पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 ने रविवार को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। इसरो का इस साल का यह पहला मिशन था। इस मिशन की खास बात यह थी कि उपग्रहों के साथ मोदी की तस्वीर भी अंतरिक्ष में गई है।
करीब 26 घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद पीएसएलवी-सी51 ने चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्च पैड से सुबह करीब 10 बजकर 24 मिनट पर उड़ान भरी। इसरो पीएसएलवी-सी51 ने 18 अन्य उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। प्रक्षेपण के करीब 18 मिनट बाद प्राथमिक उपग्रह अमेजोनिया-1 के कक्षा में स्थापित किए जाने की संभावना थी, जबकि अन्य 18 उपग्रह को कक्षाओं में पहुंचने में दो घंटे का समय लगा।
इन उपग्रहों में चेन्नई की स्पेस किड्ज़ इंडिया (एसकेआई) का उपग्रह भी शामिल है। इस अंतरिक्ष यान के शीर्ष पैनल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर उकेरी गई है। इसे लेकर एसकेआई ने कहा कि यह प्रधानमंत्री की आत्मानिर्भर पहल और अंतरिक्ष निजीकरण के लिए एकजुटता और आभार व्यक्त करने के लिए है। इतना ही नहीं, इन उपग्रहों के जरिए अंतरिक्ष में एसकेआई एसडी (सुरक्षित डिजिटल) कार्ड में भगवद गीता भी भेज रहा है।
लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख के सिवन ने मिशन को सफल बताया। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि PSLV C51 ने अमेजन -1 को आज अपनी सटीक कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। इस मिशन में ब्राजील द्वारा डिजाइन और संचालित पहला उपग्रह लॉन्च करने पर भारत और इसरो को गर्व, सम्मानित और खुशी महसूस हो रही है। इस उपलब्धि के लिए मेरी हार्दिक बधाई।’
दरअसल, 637 किलोग्राम वजनी अमेजोनिया-1 ब्राजील का पहला उपग्रह है जिसे भारत से प्रक्षेपित किया गया । यह राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (आईएनपीआई) का ऑप्टिकल पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है। अमेजोनिया-1 के बारे में इसरो ने बताया था कि यह उपग्रह अमेजन क्षेत्र में वनों की कटाई की निगरानी और ब्राजील के क्षेत्र में विविध कृषि के विश्लेषण के लिए उपयोगकर्ताओं को दूरस्थ संवेदी आंकड़े मुहैया कराएगा तथा मौजूदा ढांचे को और मजबूत बनाएगा। प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर चैनलों पर देखा जा सकेगा।