हेल्दी लाइफ
गर्मियों में दस्त से बचाव के लिए सावधानी जरूरी, लू और दूषित खानपान मुख्य कारण, डिहाइड्रेशन से हो सकती है मौत! जानिए सब कुछ


रायपुर : गर्मियों में बढ़ते तापमान के साथ बच्चों से लेकर बुजुर्गों में दस्त यानि डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। डायरिया के लिए आमतौर पर लू और दूषित खानपान मुख्य कारण है। दूषित खाद्य या पेय पदार्थों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया या प्रोटोजोआ के कारण ही विभिन्न आयु के लोगों में डायरिया होता है।दस्त का उपचार यदि शुरूआत में नहीं किया जाए तो अनेक आपातकालीन स्थितियां बन सकती है तथा यह जानलेवा भी हो सकता है।
गर्मियों में दस्त से बचाव के लिए सभी आयु वर्ग के लोगों को अपने खान-पान में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। तीव्र डायरिया में दस्त के कारण शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स यानि सोडियम व पोटेशियम की मात्रा बहुत तेजी से कम होने लगती है जिससे शरीर में ऐंठन, बेहोशी जैसे लक्षण मिलते हैं। इन लक्षणों से पीड़ित को त्वरित उपचार नहीं मिलने पर डिहाइड्रेशन के कारण मौत भी हो सकती है ।
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि डायरिया के घातक होने की संभावनाओं के मद्देनजर आम लोगों को अपने खान-पान की गुणवत्ता और आदतों पर सावधानी बरतने की जरूरत है। गर्मियों में भोजन और अन्य खाद्य पदार्थ अत्यधिक तापमान के कारण बड़ी जल्दी खराब हो जाते हैं। इसलिए बासी और खुले भोजन से बचना चाहिए तथा ताजा भोजन ही लेना चाहिए।
इन दिनों बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों और शीतल पेय जैसे लस्सी, गन्ने और अन्य फलों के रस के सेवन में सावधानी बरतना चाहिए क्योंकि इनके संक्रमित या दूषित होने से दस्त सहित पेट से संबंधित अनेक रोगों की होने की संभावना ज्यादा होती है। चूंकि गर्मियों में पाचन तंत्र कमजोर होता है और शारीरिक सक्रियता कम रहती है इसलिए लोगों को तले-भुने, मसालेदार गरिष्ठ भोजन, फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड, मांसाहार और शराब सेवन का परहेज करना चाहिए।
दस्त होने पर भोजन में चावल या खिचड़ी, दही, केला, अनार इत्यादि को शामिल करना चाहिए। शिशुओं को मां का दूध, दाल या चावल का पानी यानि माढ़ आदि तथा चिकित्सक के परामर्श पर जिंक का टेबलेट देना चाहिए।
डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में डायरिया यानि अतिसार का मुख्य कारण त्रिदोष यानि वात, पित्त व कफ का असंतुलन और पाचक अग्नि यानि जठराग्नि का मंद होना है। इसलिए इस पद्धति में अतिसार से बचने के लिए गर्मियों में भरपेट भोजन के बजाय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अनेक बार ताजा और सुपाच्य भोजन ग्रहण करने का निर्देश है।
इस मौसम में बाजार में मिलने वाले कोल्ड ड्रिंक्स की जगह जीरा मिलाकर मठा यानि छाछ, नारियल पानी, नींबू पानी, बेल का शरबत, आम का पना आदि का सेवन करना चाहिए। गर्मियों में पेयजल की शुद्धता पर भी ध्यान देना आवश्यक है। घर में कटे फल और भोज्य पदार्थों को ढंक कर रखना चाहिए। इसके अलावा लोगों को व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान देना चाहिए। शौच के बाद और भोजन के पहले साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। उपयोग से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से पानी से धो लेना चाहिए ताकि संक्रमण की संभावना न हो।
डायरिया से पीड़ित रोगियों के उपचार में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अत्यधिक दस्त के कारण डिहाइड्रेशन की संभावना रहती है, इसलिए शुरूआत में ही रोगी को जीवन रक्षक घोल यानि ओआरएस या घर में बने नमक-शक्कर का घोल, दाल या चावल का पानी इत्यादि पिलाते रहना चाहिए। रोगी को प्राथमिक उपचार देने के बाद अतिशीघ्र नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं या चिकित्सा विशेषज्ञ का परामर्श लें, ताकि आपातकालीन स्थिति न बने।



राज्य एवं शहर
CG : जन्म से लेकर 16 वर्ष तक के आयु के बच्चों के लिए हर टीका है जरुरी ; शासकीय अस्पतालों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में मुफ्त होता है टीकाकरण


रायपुर : बच्चे के जन्म के साथ समय-समय पर उनका टीकाकरण करवाना आवश्यक होता है। नियमित टीकाकरण न करवाने वाले बच्चे जानलेवा बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। जन्म से लेकर 16 साल तक की उम्र तक बच्चे के लिए हर टीका बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह टीके उन्हें कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। स्वास्थ्य विभाग के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ वी आर भगत बताते है कि सम्पूर्ण टीकाकरण शिशुओं के जीवन और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। अपने शिशुओं का टीकाकरण करके हम अपने समुदाय के सबसे अधिक जोखिम ग्रस्त सदस्य जैसे नवजात शिशु की सुरक्षा करते हैं । उन्होंने बताया कि एक समय हजारों बच्चों की जान लेने वाली बीमारियां जैसे पोलियो, स्मॉल पॉक्स आदि का उन्मूलन टीकाकरण के कारण किया जा सका है |आज टीकाकरण के कारण ही बच्चों में होने वाली अन्य बीमारियां भी उन्मूलन के कगार पर हैं।
टीकाकरण की सूची
डॉ भगत ने बताया की शिशुओं को जन्म पर बीसीजी, ओपीवी-0, हेपटाइटिस-बी-0 का टीका लगाया जाता है ,
6 हफ्ते या 1 1/2 महीने पर शिशुओं को ओपीवी-1, रोटा-1, एफआईपीवी-1, पेंटावेलेंट-1 और पीसीवी-1 का टीका लगाया जाता है , वहीँ 10 हफ्ते या 2 1/2 महीने में ओपीवी-2, रोटा-2, पेंटावेलेंट-2 का टीका, 14 हफ्ते या 3/12 महीने में ओपीवी-3, रोटा-3, एफआईपीवी-2, पेंटावेलेंट-3 और पीसीवी-2 का टीका , 9वें महीने में एम आर-1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन-A का प्रथम खुराक, 16-24 महीने में डीपीटी बूस्टर -1, ओपीवी-बूस्टर, एम आर-2, विटामिन-A का द्वितीय खुराक एवं 5-6 साल में डीपीटी-बूस्टर-2, 10 साल एवं 16 साल की उम्र पर टीडी का टीका लगाया जाता है।
इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी टीडी के दो टीके- पहला गर्भ धारण के तुरंत बाद एवं दूसरा इसके एक महीने बाद लगाया जाता है | सम्पूर्ण टीकाकरण सभी शासकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क लगाया जाता है |
डॉ भगत ने बताया कि टीकाकरण शिशुओं को टीबी, पोलियो, रोटावायरस दस्त, काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी, खसरा, हिब-निमोनिया और मेनिनजाइटिस जैसे गंभीर बीमारियों से बचाता है । उन्होंने बताया कि टीके लगने के बाद शिशुओं को स्तनपान कराया जा सकता है। टीके लगे स्थान पर यदि सूजन हो तो उस पर ठंडे पानी की पट्टी रख सकते हैं। बीसीजी के टीके लगे स्थान पर डेढ़ से दो माह में छोटा सा फफोला होता है, इससे घबराएं नहीं। टीका लगाने के बाद किसी भी प्रकार की एलर्जी हो या बुखार आए तो स्वास्थ्य कार्यकर्ता या डॉक्टर के परामर्श से दवाइयां ले सकते हैं।


राज्य एवं शहर
छत्तीसगढ़ : दाई दीदी क्लीनिकों में करीब 97 हजार महिलाओं का हुआ इलाज ; विभिन्न बीमारियों का निःशुल्क हो रहा इलाज


रायपुर : छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री दाई दीदी क्लीनिक योजना के तहत अब तक 96 हजार 887 से ज्यादा महिलाओं का इलाज किया गया है। दाई दीदी क्लीनिक में महिला स्टाफ के साथ एम. एम. यू के डॉक्टर गरीब तंग बस्तियों में पहुंचकर बीमार महिलाओं का इलाज स्लम इलाके में रहने वाली महिलाओं की विभिन्न बीमारियों का निःशुल्क इलाज कर रहे हैं।
महिला चिकित्सा स्टाफ महिला श्रमिकों एवं उनकी बच्चियों का भी निःशुल्क इलाज कर रहे हैं। मरीजों का पैथोलॉजी संबंधित विभिन्न जांच किये जाते हैं और महिला मरीजों का परामर्श एवं निःशुल्क दवा उपलब्ध करायी जा रही है। दाई दीदी क्लीनिक योजना के तहत विभिन्न स्लम बस्तियों में 1282 शिविर लगाये गये जिसमें 96 हजार 887 से अधिक महिलाओं मरीजों का इलाज किया गया है। दाई दीदी क्लीनिकों में 17 हजार 472 महिलाओं के विभिन्न पैथोलॉजी लेब टेस्ट किया गया और 92 हजार 419 महिलाओं को निःशुल्क दवा वितरण की गई है।


राज्य एवं शहर
CG : CM बघेल ने राज्य स्तरीय योगासन प्रतियोगिता सह योग सम्मेलन का किया शुभारंभ ; कहा- स्वस्थ और निरोग रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका


योग के नियमित अभ्यास के लिए ग्राम फुण्डहर में भवन उपलब्ध कराने की घोषणा
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार को राज्य स्तरीय योगासन प्रतियोगिता सह योग सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा- स्वस्थ और निरोग रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका ने कहा है कि लोगों को स्वस्थ और निरोग रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान समय में भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इसकी प्रसंगिकता और भी बढ़ जाती है। योग तन और मन दोनों को स्वस्थ रखता है। योग के नियमित अभ्यास से स्वास्थ सुरक्षा मिलती है। श्री बघेल आज राजधानी रायपुर के शहीद स्मारक में छत्तीसगढ़ योग आयोग के पंचम स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय राज्य स्तरीय योगासन प्रतियोगिता सह सम्मेलन के शुभारंभ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना। यह साधक को अपने आप से जोड़ता है। योग हमंे अनुशासित करता है और अनुशासन से जिम्मेदार नागरिक बनते हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने राजधानीवासियों को योग के नियमित अभ्यास के लिए ग्राम फुण्डहर में भवन उपलब्ध कराने की घोषणा की। उन्होंने योगासन प्रतियोगिता के प्रतिभागियों द्वारा किए गए योग प्रदर्शन की सराहना करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आगे कहा कि योग सामूहिक नहीं, व्यक्तिगत है। हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग होती है। योग प्रशिक्षक के सानिध्य में यम, नियम का पालन करते हुए अपने शरीर के लिए उपयुक्त आसन का ही अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अष्टांग योग के नियमों का पालन करते हुए आसन-प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इससे स्नायु, मसल्स, हड्डी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग के नियमित अभ्यास करने वाले के चेहरे की चमक और उसका आत्मबल अलग से दिखता है।
छत्तीसगढ़ राज्य योग आयोग के अध्यक्ष श्री ज्ञानेश शर्मा ने कहा कि आयोग के पंचम स्थापना दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय योगासन प्रतियोगिता में एक हजार से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे है। मंगलवार 26 अप्रैल को पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के परिसर में 1000 योग साधको द्वारा सूर्य नमस्कार व विशेष योगाभ्यास का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत डॉ. रामसुंदर दास, छत्तीसगढ़ राज्य गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, संसदीय सचिव श्री विकास उपाध्याय, विधायक श्री बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ योग आयोग के सदस्य सर्वश्री रविन्द्र सिंह, राजेश नारा, सतनाम पनाग, विभिन्न योग संस्थाओं के पदाधिकारी, प्रशिक्षक व योग साधक भी उपस्थित थे।


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