Saturday, September 30, 2023

‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’, कांग्रेस नेता बोले- ‘खतरा…खबर तो सच है’

 केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) बुलाया है. कई मायनों में संसद का ये विशेष सत्र खास हो सकता है. हाल के दिनों में भारत के संविधान से ‘इंडिया’ शब्द को हटाने को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. सरकार विशेष सत्र में क्या करने वाली है, प्लान क्या है इसकी किसी को खबर नहीं है. इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश के एक एक्स पोस्ट (पूर्व में ट्विटर) सामने आया है जिसने इस मामले और और हवा दे दी है.

‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि तो ये खबर वाकई में सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को होने वाले G20 डिनर के लिए जो न्योता भेजा है, उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है. अगर संविधान के आर्टिकल 1 को पढ़ें तो उसमें लिखा है कि भारत जोकि इंडिया है एक राज्यों का समूह होगा. कांग्रेस नेता ने लिखा कि अब तो राज्यों के समूह पर भी खतरा है.

 

खुशी और गर्व की बात

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी मंगलवार को एक्स पोस्ट किया और लिखा कि रिपब्लिक ऑफ भारत, ये खुशी और गर्व का विषय है हमारा देश अमृतकाल की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

भारत शब्द का उपयोग करने की मांग

बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत को लेकर दी गई परिभाषा में ‘इंडिया, दैट इज भारत यानी इंडिया अर्थात भारत’ का इस्तेमाल किया गया है. इसी अनुच्छेद में संशोधन की बात कही जा रही है. हाल ही में समाप्त हुए संसद के मानसून सत्र में बीजेपी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भी राज्यसभा में ‘इंडिया’ नाम को औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक बताते हुए इंडिया दैट इज भारत हटा कर केवल भारत शब्द का उपयोग करने की मांग उठाई थी.

मोहन भागवत ने की अपील

हाल ही में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने ‘इंडिया’ की जगह भारत शब्द का ही इस्तेमाल करने की वकालत करते हुए कहा था कि हमारे देश का नाम सदियों से भारत है, इंडिया नहीं. उन्होंने लोगों से ‘इंडिया’ की बजाय देश का पुराना नाम भारत का ही इस्तेमाल करने की अपील भी की थी.

सत्र पर सस्पेंस

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस दौरान अमृत काल से जुड़े विषयों पर चर्चा करने की बात कही गई है. हालांकि, कोई निश्चित एजेंडा अभी सामने नहीं आया है. यही वजह है कि अलग-अलग तरह की बात हो रही है. विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण बिल, इंडिया की जगह भारत जैसे बिल या प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं.

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