21 मार्च। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी भगवान राम को समर्पित है। चैत्र नवरात्रि पर्व 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च तक चलेगा। इस पर्व के आखिरी दिन यानी 30 मार्च को रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन श्री राम का जन्म हुआ था। यही कारण है कि इस दिन को पूरे भारत में भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि इस पर्व को मनाने के पीछे मुख्य कारण क्या है और इसका महत्व क्या है।
राम नवमी क्यों मनाते हैं?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम और उनके भाइयों के जन्म के बारे में एक पौराणिक कथा है। राजा दशरथ के अनुसार जब तीनों रानियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तो राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ से निकली खीर तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खिलाई गई, फिर कुछ समय बाद राजा दशरथ के घर में यह खुशखबरी सुनी गई कि तीनों रानियां गर्भवती हो गई हैं।
चैत्र शुक्ल नवमी को कौशल्या ने राम को, कैकेयी ने भरत को और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। राजा दशरथ के पास अब उनका उत्तराधिकारी था। तभी से इस तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान राम के जन्म के समय सूर्य और पंच ग्रहों की शुभ दृष्टि थी और इसी विशेष युग के बीच राजा दशरथ के पुत्र और माता कौशल्या का जन्म हुआ था।
आपको बता दें कि इस शुभ अवसर पर गोस्वामी तुलसीदास ने महाकाव्य रामचरितमानस की शुरुआत की थी। इसी कारण अयोध्या नगरी के निवासियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है और वे इस दिन को बहुत ही शुभ मानते हैं।
क्या है इस दिन का महत्व?
हिंदू धर्म में रामनवमी का बहुत अधिक महत्व है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और अनुशासन के साथ मर्या पुरुषोत्तम श्री राम की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। आपको बता दें कि इस दिन कई जगहों पर भव्य कार्यक्रमों और मेलों का आयोजन किया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त रामनवमी के दिन पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा और श्री राम की पूजा करते हैं, उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही उनके जीवन से संकटों से भी मुक्ति मिलती है। नवरात्रि का समापन भी रामनवमी के साथ होता है। यही वजह है कि कई लोग इस दिन माता रानी की पूजा कर कन्या पूजन करते हैं।