Wednesday, September 27, 2023

Ravi Pradosh March 2023: 19 मार्च को करें रवि प्रदोष व्रत, जानें विधि, शुभ योग, मुहूर्त और रोचक कथा

उज्जैन. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रतों का विधान बनाया गया है। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

इस बार 19 मार्च, रविवार को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 मार्च को होने से इस दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा। रविवार होने से ये रवि प्रदोष (Ravi Pradosh March 2023) कहलाएगा। इस दिन और भी कई शुभ योग बनेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें.

जानें शुभ योग और मुहूर्त (Ravi Pradosh March 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 मार्च, रविवार को सुबह 08.07 से रात अंत तक रहेगी। रविवार को सूर्योदय धनिष्ठा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा द्विपुष्कर, सिद्ध और साध्य नाम के 3 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। रविवार को पूजा का मुहूर्त शाम 06:31 से रात 08:54 तक रहेगा।

इस विधि से करें रवि प्रदोष व्रत-पूजा (Ravi Pradosh Puja Vidhi)
– रवि प्रदोष की सुबह यानी 19 मार्च, रविवार को जल्दी उठकर स्नान आदि करें और इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें।
– व्रत का पालन करते हुए दिन भर सात्विकता का पालन करें। किसी को अपशब्द न बोलें और न ही किसी के बारे में बुरे विचार मन में लाएं।
– शाम को शुभ मुहूर्त में शिवजी की प्रतिमा या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें और सबसे पहले शुद्ध जल, फिर पंचामृत से और अंत में एक बार फिर से शुद्ध जल से अभिषेक करें।
– शिवजी को फूल माला पहनाएं, तिलक लगाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
– पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। सत्तू का भोग लगाएं और 8 दीपक अलग-अलग दिशाओं में लगाएं। सबसे अंत में आरती करें।
– इस तरह प्रदोष व्रत की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है।

ये है रवि प्रदोष व्रत की कथा (Ravi Pradosh Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी शिवजी की भक्त थी और प्रदोष व्रत करती थी। एक दिन उस ब्राह्मण का बेटा किसी काम से गांव से बाहर गया। थक जाने के कारण वह एक बरगद के पेड़ के नीचे सो गया। तभी वहां चोरों को खोजते हुए सिपाही आए और उसे बंदी बनाकर ले गए। राजा ने उसे जेल में डाल दिया। जब बेटा घर नहीं आया तो माता-पिता को चिंता होने लगी। उस दिन प्रदोष व्रत था। उस ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पुत्र के लिए शिवजी से प्रार्थना की। रात में राजा को शिवजी ने दर्शन देकर उस ब्राह्मण बालक को मुक्त करने के लिए कहा। अगली सुबह राजा ने उसे मुक्त कर दिया और उसके माता-पिता को लेकर 5 गांव दान में दे दिए। इस तरह शिवजी की कृपा से वह परिवार खुश-खुशी रहने लगा।

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