Parliament Special Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुराने संसद भवन में संबोधित करते हुए देश के 75 सालों के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संसदीय परंपराओं पर प्रकाश डाला. पीएम मोदी ने अपने 50 मिनट की स्पीच में देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद किया. पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के दौर का जिक्र किया.
‘कौन ऐसा सदस्य होगा, जो नेहरू जी के गुणगान के समय ताली बचाने का मन न करे’
पीएम मोदी ने कहा कि “इस सदन में पंडित नेहरू की ‘एट द स्ट्रोक ऑफ द मिडनाइट’ की गूंज हमें प्रेरणा देती रहेगी. इसी सदन में अटल जी ने कहा था. “सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए. इसका लोकतंत्र रहना चाहिए. बहुत सी बातें ऐसी थीं, जो हर किसी की ताली की हकदार थीं, लेकिन राजनीति उनमें भी आड़े आ गई. कौन ऐसा सदस्य होगा, जो नेहरू जी के गुणगान के समय ताली बचाने का मन न करे. मुझे पूरा विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में हम नई संसद में जाएंगे, तो नए विश्वास के साथ जाएंगे”
‘न जाने कितने अनगिनत नाम जिन्होंने हमारे इस सदन को समृद्ध किया’
पीएम मोदी ने आगे अपने बयान में कहा कि “पंडित नेहरू, शास्त्री से लेकर अटल, मनमोहन सिंह तक कई नाम हैं, जिन्होंने इस सदन का नेतृत्व किया. सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है. देश को नए रंग रूप में ढालने के लिए उन्होंने परिश्रम किया है, पुरुषार्थ किया है. आज उन सबका गौरवगान करने का अवसर है. सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोहिया, चंद्रशेखर, आडवाणी न जाने अनगिनत नाम जिन्होंने हमारे इस सदन को समृद्ध करने में, चर्चाओं को समृद्ध करने का काम किया हैं”
PM मोदी ने पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री का किया जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि शास्त्री जी ने इसी सदन से 1965 के पाकिस्तान युद्ध के समय जवानों का हौसला बढ़ाया था. यहां से ही हरित क्रांति के लिए मजबूत नींव दी गई. इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इसी सदन ने बांग्लादेश की मुक्ति के आंदोलन को समर्थन दिया. इसी सदन में इमरजेंसी में लोकतंत्र पर हुए हमले को देखा. इसी सदन ने लोकतंत्र की मजबूत वापसी को भी देखा.
‘PM मोदी ने इंदिरा और नरसिम्हा राव को किया याद’
प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि “इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इसी सदन ने बांग्लादेश की मुक्ति के आंदोलन को समर्थन दिया. इसी सदन में इमरजेंसी में लोकतंत्र पर हुए हमले को देखा. इसी सदन ने लोकतंत्र की मजबूत वापसी को भी देखा” जब भारत एक बड़े आर्थिक संकट में फंसा हुआ था. देश एक वक्त आर्थिक नीतियों के बोझ तले दबा हुआ था. पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार ने पुरानी नीतियों को छोड़कर नई नीतियां बनाईं, जिसका फायदा आज भी हो रहा है. जब तीन प्रधानमंत्री नेहरू जी, शास्त्री जी, इंदिरा जी को खोने की नौबत आई. तब यह सदन उन्हें अश्रुपूरित आंखों से विदाई दे रहा था.
दशकों से लंबित मुद्दों का समाधान हमारी सरकार ने किया. सबका साथ, सबका विकास का मंत्र के साथ मौजूदा सरकार ने अनेक ऐतिहासिक निर्णय, दशकों से लंबित विषय और उनका समाधान भी इसी सदन में हुआ. आर्टिकल 370 ये सदन हमेशा याद रखेगा. आर्टिकल 370, वन नेशन वन टैक्स, जीएसटी का फैसला भी इसी सदन में किया गया.