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Shahid Diwas : शहीदों के जीवन चरित्र स्कूली पाठ्यक्रम में हो शामिल- उपराष्ट्रपति एम. नायडू


Shahid Diwas 2021: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अमर शहीद सरदार भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को भावपूर्ण नमन करते हुए कहा है कि शहीदों के जीवन चरित्र और उनकी जीवन गाथाओं को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
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श्री नायडू ने शहीदों की पुण्यतिथि पर मंगलवार को सोशल मीडिया पर जारी संदेशों में कहा कि शहीदों का राष्ट्रप्रेम और निर्भीकता सदियों तक आगामी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लिखे एक लेख में कहा कि इन महान विभूतियों के अनुकरणीय जीवनवृत से अपनी युवा पीढ़ी को परिचित कराना चाहिए। जब हम इन महान शहीदों के अनुकरणीय जीवन को याद करते हैं तो स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए एकजुट प्रयास करने चाहिए।

उप राष्ट्रपति ने कहा, “स्वाधीनता सेनानियों ने तो अपनी भूमिका निभा दी, उनका कृतित्व तो धवल कीर्ति से दैदीप्यमान है। अब यह हमारा दायित्व है कि हम राष्ट्रप्रेम की उनकी इस विरासत का निष्ठापूर्वक निर्वहन करें तथा देश की प्रगति के लिए यथा सामर्थ्य प्रयास करें। उनकी स्मृति में यह हमारी विनम्र श्रद्धांजलि होगी। राज्य सरकारों से मेरा आग्रह होगा कि वे हमारे स्वाधीनता सेनानियों की गाथाएं स्कूली पुस्तकों में शामिल करें।”
इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर कहा, “आज अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की पुण्यतिथि पर देश की इन महान विभूतियों को सादर श्रद्धांजलि देता हूं। हमारी आज़ादी आपके महा बलिदान की पावन विरासत है। राष्ट्र निमार्ण के लिए हमारे यथा सामर्थ्य प्रयास, अमर शहीदों की पावन स्मृति में हमारी विनम्र श्रद्धांजलि होगी।”
श्री नायडू ने कहा कि अंग्रेजों से हमारे देश को मुक्ति दिलाने वाले इन वीर और वीरांगनाओं के महा बलिदान के लिए, राष्ट्र सदैव उनके प्रति कृतज्ञ रहेगा। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए, हमारी मातृभूमि के गौरव को पुन: स्थापित करने के लिए, नि:स्वार्थ भाव से अपने प्राणों तक का उत्सर्ग कर दिया। उनके अथक प्रयासों से कितनों ने ही प्रेरणा प्राप्त की और अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध उठ खड़े हुए। यदि राष्ट्र की स्वतंत्रता के कठिन मार्ग में एक कदम भी आगे बढ़ता, तो उसके लिए भी ये वीर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने में लेश मात्र भी नहीं हिचके।
उन्होंने कहा कि एक बार किसी साथी क्रान्तिकारी ने राजगुरु से पूछा भी था कि क्या उन्हें मृत्यु से भय लगता है। उन्होंने जवाब दिया ‘मैंने जो कुछ हासिल किया है, उस पर तुम्हारी तरह मुझे भी गर्व है। और मैं इस सत्य को तभी जान पाया हूं जब मैंने मौत को ललकारा। अगर अपना बलिदान दे कर हम अपने देशवासियों को आजादी की एक झलक भी दिखा पाएं तो वे स्वयं ही उस मार्ग पर आगे चल पड़ेंगे। और तब ऐसी मौत भी हमारे लिए वरदान ही होगी।’
उप राष्ट्रपति ने कहा कि वीरगति से कुछ दिन पहले, सुखदेव ने महात्मा गांधी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने लिखा था ‘लाहौर षडयंत्र के तहत तीन बंदियों को मौत की सज़ा सुनाई गई है और संयोगवश देशभर में उन्हें जो शोहरत मिली है, वो ही क्रांतिकारी पार्टी में सब कुछ नहीं है। बल्कि इस फैसले को बदलवाने से देश को उतना लाभ नहीं होगा जितना कि उनकी फांसी से होगा।’ वे अपने मिशन के लिए इतने कृत्संकल्प थे कि मातृभूमि के लिए किसी भी कुबार्नी को देने के लिए तैयार थे।



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छत्तीसगढ़ : आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में श्रम विभाग को जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए मिला पुरस्कार


रायपुर : नई दिल्ली में आयोजित आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में श्रम विभाग को श्रमिकों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत समिट में राजभवन के सचिव और श्रम विभाग के सचिव अमृत कुमार खलखो को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। खलखो ने आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में किए जा रहे जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर अपनी बात रखी। साथ ही भविष्य में छत्तीसगढ़ की योजनाओं को लेकर भी अपने अनुभव साझा किए।
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आत्म निर्भर भारत सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में हुआ, जिसमें भारत सरकार के सचिव श्री यू.पी. सिंह, केंद्र सरकार एडिशनल सेक्रेटरी श्री संजय जाजू, ज्वाइंट सेक्रेटरी श्री बी. पुरूषार्थ, सी.ई.ओ. श्री डॉ. अभिषेक सिंह, एन.आई.सी. की डायरेक्टर जनरल श्रीमती नीता वर्मा, इलेट्स समूह के सी.ई.ओ. डॉ रवि गुप्ता समेत देशभर के कई राज्यों से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।

श्री खलखो ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है, जिसमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिक आवश्यक न्यूनतम दस्तावेजों के साथ पोर्टल में स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। इनके लिए एकीकृत श्रम पंजीकरण प्रणाली लागू की गई है। पी.डी.एस. डाटाबेस का उपयोग करके श्रमिक पंजीकरण का कार्य किया गया।
श्रम विभाग की अधिकांश सेवाएं लोक सेवा अधिनियम के अंतर्गत आती हैं और एक निर्धारित समय के भीतर प्रदान की जाती हैं। विभाग द्वारा प्रवासी श्रमिक पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। पहले इसे ऑफलाइन किया जा रहा था लेकिन अब इसे ऑनलाईन भी किया गया है। 148 ब्लॉकों में श्रम संसाधन केंद्र खोले गए हैं। मातृत्व लाभ और सामाजिक योजनाओं और उसके लाभों के बारे में श्रमिकों के बीच जागरूकता लाई जा रही है। महिला प्रवासी कामगारों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में मदद की जा रही है। बच्चों को उचित औपचारिक शिक्षा देने के लिए श्रम मित्र योजना और शैक्षणिक छात्रवृति योजना चालू की गई है। मजदूरों को उनके कानूनी अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए हेल्पलाईन के माध्यम से सहायता दी जा रही है। इलेट्स समूह द्वारा आयोजन कमेटी की ओर से श्री मयंक ठाकुर ने श्रम विभाग के सचिव श्री अमृत खलखो से मुलाकात कर यह प्रशस्ति पत्र आज भेंट किया।


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CG : दुर्ग में रोबोट ने इंदिरा मार्केट के 100 साल पुराने कुएं को किया एकदम साफ, गंदगी से पट चुका था कुंआ, पानी का PH लेवर भी बढ़ा ; कई कुंआ तालाबों की होगी सफाई


दुर्ग : छत्तीसगढ़ के दुर्ग को कुंए का शहर भी कहा जाता है. इसके पीछे की वजह ये है कि दुर्ग शहर में प्राचीन काल में बनाए गए 100 से ज्यादा कुंए आज भी मौजूद है. लेकिन उनकी देखरेख के अभाव में प्राचीन काल में बनाया गया कुंए आज विलुप्ति की कगार में है.
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दुर्ग जिले में गंदगी से पट चुके और मृतप्राय कुंओं व तालाबों की सफाई एक सेमी रोबोटिक मशीन से कराई जाएगी. दुर्ग कलेक्टर ने इसकी मंजूरी दे दी है. कलेक्टर निर्देश पर सबसे पहले इंदिरा मार्केट का पट चुका कुंआ साफ किया गया है.

इस कुंआ को मैनुअल साफ करना बड़ी चुनौती थी. निगम के अधिकारियों और इंजीनियर्स ने कुएं में जहरीली गैस होने की आशंका जताते हुए इसे रोबोटिक्स मशीन से साफ करने की सलाह दी थी.
ऐसे में दुर्ग नगर निगम के महापौर धीरज बाकलीवाल और दुर्ग शहर विधायक अरुण वोरा ने इन कुंओ को फिर से विकसित करने का अभियान चलाया है. इसी के तहत दुर्ग के इंदिरा मार्केट में स्थित प्राचीन कुंआ जो 100 साल से ज्यादा पुराना है उसे साफ किया गया है.
बताया जाता है कि पहले इस कुएं की स्थिति ऐसी थी कि लोग इस कुएं के पास आना भी पसंद नहीं करते थे. पूरे कुएं में कचरा भरा हुआ था. ऐसे में प्रशासन की ओर से इंजीनियरिंग का छात्र आदित्य शराफ ने इस कुएं को फिर से जीवित करने के लिए आधुनिक तरीके से सेमी रोबोट के जरिए इस कुएं की सफाई करवाई.
इस कुंए से कई टन मलबा और कचरा बाहर निकाला और प्राकृतिक तरीके से कुए को विकसित किया. अब मार्केट के लोग इसी कुंए के पानी का यूज करते हैं.
आदित्य बताते हैं कि जब वो कुएं की सफाई कर रहे थे तो उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कुए के सफाई के लिए एक रोबोट भी बनाया और उस रोबोट के जरिए मानव रहित तरीके से कुएं को गहराई तक साफ सफाई किया गया. आज उस कुए की पानी इतना साफ हो गया है कि लोग इस कुएं का पानी पी रहे हैं.
कुंए को साफ करने के बाद उसके सौंदर्यीकरण के लिये आकर्षक लाईट और फव्वारा लगाया गया है. इसके साथ ही कुंए के पानी के प्रतिदिन उपयोग के लिये कॉमप्लेक्स मे 1000 लीटर की टंकी लगाई गई है.
वहीं अब नगर निगम भी भवन निर्माण और पौधो के सिंचाई कार्य हेतु हाइड्रेंट पाइप के माध्यम से इसके पानी का इस्तमाल कर पायेंगे. इंदिरा मार्केट व्यापारी संघ का इस परियोजना में भरपूर सहयोग रहा.
कुए की सफाई के दौरान 50 फीट नीचे एक सुरंग नुमा छेद भी मिला है. इससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि दुर्ग शहर के सभी कुएं इस सुरंग में छेद से आपस में जुड़े हुए हैं. कुए का पानी का लैब में टेस्टिंग भी कराया गया. जिसमें ये पाया गया कि मिनिरल वाटर के मुकाबले इस कुएं का पानी बहुत बेहतर है.
15 कुंआ और 30 तालाबों की होगी सफाई
दुर्ग निगम कमिश्नर ने बताया कि इंदिरा मार्केट का कुंआ पहला है. सेमी रोबोटिक मशीन से सफाई के लिए 15 कुंओं और 30 तालाबों का चिह्नांकन किया गया है. जिसमें साफ सफाई की जाएगी ताकि बेहतरीन वाटर रिचार्ज किया जा सके.
कुंओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास है प्राचीन
कुंओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास है काफी प्राचीन है। भारत में पहले शहर नदियों के किनारे बसते थे ताकि जलस्रोतों की किसी तरह की दिक्कत नहीं हो. ईसा की तीसरी सदी पूर्व जब मौर्य काल में बड़े पैमाने पर नगरों का विकास हुआ तो कुंओं की अधिक जरूरत महसूस हुई. इससे भारत में रिंग वेल कुंओं का विकास हुआ. अभी आरंग के रीवा में जो खुदाई चल रही है उसमें रिंग वेल प्राप्त हुए हैं. इस तरह छत्तीसगढ़ में भी उसी परंपरा को अपनाया गया.


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कौशल्या मातृत्व योजना : द्वितीय संतान बालिका होने पर छत्तीसगढ़ सरकार दे रही 5 हजार रूपए की सहायता ; ऐसे करें आवेदन


रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर सहायता प्रदान करने के लिए कौशल्या मातृत्व योजना चलाई जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित यह नई योजना 1 जनवरी 2022 से प्रभावशील है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राजधानी रायपुर में आयोजित राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन में पांच हितग्राहियों को चेक प्रदान करने कौशल्या मातृत्व योजना का शुभारंभ किया। सुरक्षित मातृत्व और बच्ची के लिए यह योजना एक मजबूत पहल साबित होगी।
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कौशल्या मातृत्व योजना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक आर्थिक जनगणना में पात्र महिला हितग्राही के द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर सहायता राशि प्रदान करना है, ताकि महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद पर्याप्त विश्राम कर सके। योजना के तहत चयनित माता जिसकी द्वितीय संतान बालिका जन्म 01 जनवरी 2022 या इसके बाद हुआ हो, एकमुश्त कुल 5000/- रूपये की राशि का लाभ दिया जा रहा है।
योजना का लाभ मिलने से माताएं स्वयं एवं बालिका के उत्तम स्वास्थ्य के प्रति पर्याप्त ध्यान दे सकेंगी। इससे बालिका भ्रूण हत्या रोकने और बालिकाओं के जन्म के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने में मदद मिलेगी। योजना से गर्भावस्था, सुरक्षित प्रसव और स्तनपान की अवधि के दौरान उपयुक्त पद्धतियों, देखरेख एवं सेवाओं के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।

योजना का लाभ लेने के लिए माता को प्रसव पूर्व कम से कम एक बार जांच करवाना और बच्चे के जन्म का पंजीयन कराना जरूरी है। इसके साथ ही इच्छुक पात्र महिलाओं को आंगनबाड़ी केन्द्र में पंजीयन कराना होगा। पंजीयन के लिए लाभार्थी स्वयं द्वारा हस्ताक्षरित वचन पत्र/सहमति पत्र तथा सुसंगत दस्तावेजों के साथ निर्धारित प्रारूप में आवेदन भरकर आंगनबाड़ी केन्द्र में दे सकते है। इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्र से निर्धारित फार्म निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है। फार्म महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ की वेबसाईट http://cgwcd.gov.in से भी डाउनलोड किये जा सकते हैं।


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