Friday, March 29, 2024

राजद्रोह के कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया रोक ; केस में बंद हैं 13 हजार लोग, फैसले से कैसे होगी राहत ; पढ़ें 5 बड़ी बातें


नई दिल्ली : राजद्रोह कानून पर जारी चर्चा के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फिलहाल कानून पर रोक लगा दी है। खास बात है कि केंद्र सरकार ने कानून की समीक्षा की बात कही है। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि वह कुछ जनहित याचिकाओं के चलते कानून को खत्म नहीं कर सकते, लेकिन समीक्षा पूरी होने तक इसपर रोक लगा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून को लेकर कही ये पांच बड़ी बातें…
– शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में देशद्रोह के सभी लंबित मामलों पर रोक लगा दी है। साथ ही पुलिस और प्रशासन को सलाह दी है कि केंद्र की समीक्षा पूरी होने तक कानून की इस धारा का इस्तेमाल नहीं करें। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने कहा, ‘अगर नया मामला दर्ज किया जाता है, तो संबंधित पार्टियां इसे जल्दी खत्म करने के लिए कोर्ट का रुख कर सकती हैं।’

– सीजेआई ने कहा कि कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के लिए निर्देश जारी करने की आजादी है। उन्होंने कहा, ‘दोबारा जांच पूरी होने तक कानून के इस प्रावधान का दोबारा इस्तेमाल नहीं करना ठीक होगा। हम उम्मीद करते हैं कि जांच पूरी होने तक केंद्र और राज्य 124A के तहत कोई भी FIR दर्ज करने या कार्रवाई शुरू करने से बचेंगे।’

– CJI ने कहा, ‘भारत संघ कानून पर दोबारा विचार करेगा।’ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एटॉर्नी जनरल ने भी हनुमान चालीसा मामले में देशद्रोह के आरोप का जिक्र किया। साथ ही जांच पूरी होने तके दोबारा इसका इस्तेमाल नहीं करने की बात की।

– केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि भविष्य में धारा 124A के तहत FIR केवल पुलिस अधीक्षक या इससे ऊपर के अधिकारियों की जांच के बाद दर्ज की जा सकेंगी। सरकार ने कहा कि लंबित मामलों में कोर्ट जमानत पर जल्दी विचार करने के निर्देश दे सकता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘देशभर में देशद्रोह के 800 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। 13 हजार लोग जेल में हैं।’

– देशद्रोह कानून के पक्ष में खड़ी सरकार लगातार इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने की मांग कर रही है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि उसने कानून की समीक्षा करने का फैसला किया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद यह फैसला किया है।

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