Friday, April 19, 2024

फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं, देर हाेगी तो अगले सत्र की पढ़ाई और एडमिशन होगी प्रभावित : छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल

छत्तीसगढ़ : फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं, देर हाेगी तो अगले सत्र की पढ़ाई और एडमिशन होगी प्रभावित : माध्यमिक शिक्षा मंडल

शिक्षा और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना, फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं, प्रमुख सचिव बाहर इसलिए उनके लौटने के बाद ही फैसला संभव

रायपुर : प्रदेश में कोरोना का असर बढ़ता जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा मंडल की 15 अप्रैल से होने वाली दसवीं की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं, लेकिन 9 मई से शुरू होने वाली 12 वीं की परीक्षाओं पर कोई फैसला नहीं हो सका है। इधर, सीबीएससी ने दसवीं की परीक्षा इंटरनल असेसमेंट के जरिए और 12 वीं की परीक्षा लेने का निर्णय किया है।

प्रदेश में यदि दोनों बोर्ड परीक्षाएं और ज्यादा टलीं या इन्हें लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ तो पूरा शैक्षणिक सत्र गड़बड़ाने की आशंका है। साथ ही इसका पूरा असर काॅलेजों के एडमिशन और एकेडमिक कैलेंडर पर भी पड़ेगा। बताते हैं कि बोर्ड परीक्षाओं को लेकर राज्य में जल्द ही कोई निर्णय होगा। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला प्रदेश से बाहर हैं और वे लॉक डाउन में फंसे हैं। उनके यहां आते ही सीएम भूपेश बघेल व शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम से मिलने की संभावना है। लाक डाउन ज्यादा लंबा खींचा तो वीसी के जरिए शिक्षा विभाग के प्रमुखों से सीएम बात कर सकते हैं। तब उनके बीच परीक्षाएं स्थगित करने या जनरल प्रमोशन को लेकर बात हो सकती है।

इधर, शिक्षा विभाग व मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े जानकारों का मानना है कि प्रदेश में वर्तमान हालात को देखते हुए फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं होगी। कोरोना का असर कम भी होता है तो इसका खतरा तो बरकरार रहेगा। स्कूलों में यदि परीक्षाएं ली जाती हैं तो एक कक्ष में कम से कम 20 से 30 स्टूडेंट होंगे। कई परीक्षकों के हाथ से उन्हें कापियां व प्रश्नपत्र मिलेंगे। साथ ही परीक्षक भी उनकी आंसरशीट व अटेंडेंस शीट पर हस्ताक्षर करेंगे। इस वजह से कोरोना स्प्रेड होने की आशंका बनी रहेगी। इसका विकल्प यह हो सकता है कि कोरोना का असर कम भी हो जाए तो परीक्षाएं कम से कम दो महीने टाल दी जाएं।

छात्र परीक्षा नहीं देंगे तो उनके लिए सिर्फ पास का विकल्प
शिक्षा मंडल ने दसवीं -बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं के छात्रों के लिए परीक्षा को लेकर विकल्प दिया है। जो परीक्षाएं देंगे उनका नतीजे जारी होंगे। जो परीक्षाएं नहीं देंगे। उनकी मार्कशीट में -सी अंकित कर दिया जाएगा। यानी वे केवल पास कहलाएंगे। उन्हें कोई श्रेणी नहीं मिलेगी। इसके अलावा परीक्षाओं के दौरान जो विद्यार्थी कोरोना से संक्रमित होंगे। उनके लिए बाद में परीक्षा देने का विकल्प खुला रखा गया है। उनकी विशेष परीक्षा सप्लीमेंट्री के साथ या अलग से ली जाएगी।

फिर उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार अंक मिल सकेंगे। अफसरों का दावा है कि इससे अध्ययनशील विद्यार्थी या जो छात्र परीक्षाएं देना ही चाहते हैं इससे उनकी मेहनत पर पानी नहीं फिरेगा। इससे पहले बोर्ड ने स्कूलों में तालेबंदी के दौरान दसवीं – बारहवीं के परीक्षार्थियों के ऑनलाइन यूनिट टेस्ट लिए हैं। उन्हें असाइनमेंट दिए जाते थे और वे तय वक्त पर इसके आंसर बोर्ड में ऑनलाइन जमा करते थे। बोर्ड ने फाइनल रिजल्ट में इन अंकों का 30 प्रतिशत समावेश होगा। 70 फीसदी अंक परीक्षा के जुड़ेंगे।

देर से परीक्षाएं होंगी तो अगले सत्र की पढ़ाई में मचेगी आपाधापी
यदि परीक्षाएं दो महीने स्थगित होती हैं तो जून अंत तक प्रारंभ होंगी। जुलाई तक परीक्षाएं ली जाती हैं तो कम से कम एक महीना नतीजे आने में लगेगा। यानी परिणाम सितंबर अंत में आने की संभावना होगी। मतलब शैक्षणिक सत्र दो महीने लेट हो जाएगा। इसके बाद एडमिशन होने और पढ़ाई प्रारंभ होने में विलंब की वजह से नए सत्र में कोर्स कंपलीट करने में आपाधापी मची रहेगी। 11 वीं तक के बच्चों को इसमें ज्यादा परेशानी नहीं होगी, लेकिन इसका असर 12 वीं के बच्चों पर ज्यादा पड़ेगा। उनका कालेजों में एडमिशन होना आसान नहीं होगा। बारहवीं के बच्चे बोर्ड परीक्षा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं। वे नर्सिंग, पीईटी, पीएमटी व पीईटी तथा पीएटी आदि में शामिल होना चाहेंगे। इसमें सफल बच्चों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर कालेजों में प्रवेश लेना होगा। नर्सिंग के 7 से 8 हजार छात्रों का एक वर्ष पहले ही प्रभावित हो चुका है।

एक्सपर्ट व्यू; बारहवीं की परीक्षा तो लेनी ही होगी – बीकेएस रे
परीक्षाओं की परिस्थिति को लेकर जब भास्कर ने राज्य के पूर्व एसीएस बीकेएस रे से बात की तो उन्होंने कहा कि दसवीं की परीक्षा लॉक डाउन और कोरोना के बढ़ते प्रभाव की वजह से इमर्जेंसी आपरेशन के कारण स्थगित की गई है। इसे भविष्य में लेना नहीं लेना हालातों व सरकार पर निर्भर करेगा। बारहवीं की परीक्षा की बात करें तो इसे शिक्षा मंडल को लेना ही होगा। इसकी वजह यह कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है। स्कूली परीक्षा का यह अंतिम पड़ाव है। इसके आधार पर ही विद्यार्थी को कालेजों में या प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश मिलता है। इस परीक्षा के कट आफ नंबर बहुत मायने रखते हैं। माशिमं भले ही इसे विलंब से ले, लेकिन उसे ऑनलाइन या ऑफ लाइन परीक्षा लेनी ही होगी।

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