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फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं, देर हाेगी तो अगले सत्र की पढ़ाई और एडमिशन होगी प्रभावित : छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल


छत्तीसगढ़ : फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं, देर हाेगी तो अगले सत्र की पढ़ाई और एडमिशन होगी प्रभावित : माध्यमिक शिक्षा मंडल
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शिक्षा और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना, फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं, प्रमुख सचिव बाहर इसलिए उनके लौटने के बाद ही फैसला संभव
रायपुर : प्रदेश में कोरोना का असर बढ़ता जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा मंडल की 15 अप्रैल से होने वाली दसवीं की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं, लेकिन 9 मई से शुरू होने वाली 12 वीं की परीक्षाओं पर कोई फैसला नहीं हो सका है। इधर, सीबीएससी ने दसवीं की परीक्षा इंटरनल असेसमेंट के जरिए और 12 वीं की परीक्षा लेने का निर्णय किया है।
प्रदेश में यदि दोनों बोर्ड परीक्षाएं और ज्यादा टलीं या इन्हें लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ तो पूरा शैक्षणिक सत्र गड़बड़ाने की आशंका है। साथ ही इसका पूरा असर काॅलेजों के एडमिशन और एकेडमिक कैलेंडर पर भी पड़ेगा। बताते हैं कि बोर्ड परीक्षाओं को लेकर राज्य में जल्द ही कोई निर्णय होगा। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला प्रदेश से बाहर हैं और वे लॉक डाउन में फंसे हैं। उनके यहां आते ही सीएम भूपेश बघेल व शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम से मिलने की संभावना है। लाक डाउन ज्यादा लंबा खींचा तो वीसी के जरिए शिक्षा विभाग के प्रमुखों से सीएम बात कर सकते हैं। तब उनके बीच परीक्षाएं स्थगित करने या जनरल प्रमोशन को लेकर बात हो सकती है।
इधर, शिक्षा विभाग व मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े जानकारों का मानना है कि प्रदेश में वर्तमान हालात को देखते हुए फिलहाल परीक्षाएं लेना खतरे से खाली नहीं होगी। कोरोना का असर कम भी होता है तो इसका खतरा तो बरकरार रहेगा। स्कूलों में यदि परीक्षाएं ली जाती हैं तो एक कक्ष में कम से कम 20 से 30 स्टूडेंट होंगे। कई परीक्षकों के हाथ से उन्हें कापियां व प्रश्नपत्र मिलेंगे। साथ ही परीक्षक भी उनकी आंसरशीट व अटेंडेंस शीट पर हस्ताक्षर करेंगे। इस वजह से कोरोना स्प्रेड होने की आशंका बनी रहेगी। इसका विकल्प यह हो सकता है कि कोरोना का असर कम भी हो जाए तो परीक्षाएं कम से कम दो महीने टाल दी जाएं।
छात्र परीक्षा नहीं देंगे तो उनके लिए सिर्फ पास का विकल्प
शिक्षा मंडल ने दसवीं -बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं के छात्रों के लिए परीक्षा को लेकर विकल्प दिया है। जो परीक्षाएं देंगे उनका नतीजे जारी होंगे। जो परीक्षाएं नहीं देंगे। उनकी मार्कशीट में -सी अंकित कर दिया जाएगा। यानी वे केवल पास कहलाएंगे। उन्हें कोई श्रेणी नहीं मिलेगी। इसके अलावा परीक्षाओं के दौरान जो विद्यार्थी कोरोना से संक्रमित होंगे। उनके लिए बाद में परीक्षा देने का विकल्प खुला रखा गया है। उनकी विशेष परीक्षा सप्लीमेंट्री के साथ या अलग से ली जाएगी।
फिर उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार अंक मिल सकेंगे। अफसरों का दावा है कि इससे अध्ययनशील विद्यार्थी या जो छात्र परीक्षाएं देना ही चाहते हैं इससे उनकी मेहनत पर पानी नहीं फिरेगा। इससे पहले बोर्ड ने स्कूलों में तालेबंदी के दौरान दसवीं – बारहवीं के परीक्षार्थियों के ऑनलाइन यूनिट टेस्ट लिए हैं। उन्हें असाइनमेंट दिए जाते थे और वे तय वक्त पर इसके आंसर बोर्ड में ऑनलाइन जमा करते थे। बोर्ड ने फाइनल रिजल्ट में इन अंकों का 30 प्रतिशत समावेश होगा। 70 फीसदी अंक परीक्षा के जुड़ेंगे।

देर से परीक्षाएं होंगी तो अगले सत्र की पढ़ाई में मचेगी आपाधापी
यदि परीक्षाएं दो महीने स्थगित होती हैं तो जून अंत तक प्रारंभ होंगी। जुलाई तक परीक्षाएं ली जाती हैं तो कम से कम एक महीना नतीजे आने में लगेगा। यानी परिणाम सितंबर अंत में आने की संभावना होगी। मतलब शैक्षणिक सत्र दो महीने लेट हो जाएगा। इसके बाद एडमिशन होने और पढ़ाई प्रारंभ होने में विलंब की वजह से नए सत्र में कोर्स कंपलीट करने में आपाधापी मची रहेगी। 11 वीं तक के बच्चों को इसमें ज्यादा परेशानी नहीं होगी, लेकिन इसका असर 12 वीं के बच्चों पर ज्यादा पड़ेगा। उनका कालेजों में एडमिशन होना आसान नहीं होगा। बारहवीं के बच्चे बोर्ड परीक्षा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं। वे नर्सिंग, पीईटी, पीएमटी व पीईटी तथा पीएटी आदि में शामिल होना चाहेंगे। इसमें सफल बच्चों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर कालेजों में प्रवेश लेना होगा। नर्सिंग के 7 से 8 हजार छात्रों का एक वर्ष पहले ही प्रभावित हो चुका है।
एक्सपर्ट व्यू; बारहवीं की परीक्षा तो लेनी ही होगी – बीकेएस रे
परीक्षाओं की परिस्थिति को लेकर जब भास्कर ने राज्य के पूर्व एसीएस बीकेएस रे से बात की तो उन्होंने कहा कि दसवीं की परीक्षा लॉक डाउन और कोरोना के बढ़ते प्रभाव की वजह से इमर्जेंसी आपरेशन के कारण स्थगित की गई है। इसे भविष्य में लेना नहीं लेना हालातों व सरकार पर निर्भर करेगा। बारहवीं की परीक्षा की बात करें तो इसे शिक्षा मंडल को लेना ही होगा। इसकी वजह यह कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है। स्कूली परीक्षा का यह अंतिम पड़ाव है। इसके आधार पर ही विद्यार्थी को कालेजों में या प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश मिलता है। इस परीक्षा के कट आफ नंबर बहुत मायने रखते हैं। माशिमं भले ही इसे विलंब से ले, लेकिन उसे ऑनलाइन या ऑफ लाइन परीक्षा लेनी ही होगी।



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छत्तीसगढ़ : वंदे मातरम से गूंजा मीडिया गुरुकुल ; आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर तिरंगा यात्रा का आयोजन


रायपुर : आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को लेकर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के जनसंचार एवं समाजकार्य विभाग द्वारा आज तिरंगा यात्रा व विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. शाहिद अली उपस्थित रहे। उन्होंने अपने आतिथ्य उदबोधन में आजादी के 75 वें वर्ष के सफर को अत्यंत ही रोचक ढंग से विद्यार्थियों को संप्रेषित किया। साथ ही पत्रकारिता विश्वविद्यालय में उपलब्ध अवसरों से, विद्यार्थियों को देशसेवा के मार्ग की संभावनाओं पर चर्चा की।
डॉ. अली ने कहा कि देश में इस 75वें वर्ष की आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। हमारा विभाग भी इस महोत्सव को अकादमी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों से वर्षभर आयोजित करता रहेगा। जिससे विद्यार्थियों में राष्ट्र निर्माण के उद्देश्यों में सक्रिय भागीदारी पैदा हो सके।
इस कार्यक्रम में विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र मोहंती भी उपस्थिति रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य के द्वारा वर्तमान युवा पीढ़ी को राष्ट्र सेवा हेतु नए प्रतिमान से रूबरू करवाया गया।
कार्यक्रम में शोधार्थियों एवं विद्यर्थियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। जिसमें शोधार्थी गायत्री सिंह ने अम्बेडकर की पत्रकारिता एवं रीतुलता तारक ने छत्तीसगढ़ी की पत्रकारिता का भारत की आजादी में योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में बीएजेएमसी के छात्र आलोक कुमार ने, एमएएमसी के पीयूष शर्मा, रेणुका, सौरभ ने देशभक्ति गीतों एवं कविताओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राष्ट्र ज्ञान आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतिस्पर्धा भी आयोजित की गई जिसमें अनेक विद्यर्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में तिरंगा यात्रा निकाली गयी जिसमें “हर घर तिरंगा घर घर तिरंगा” “भारतमाता की जय ” जैसे नारों से सम्पूर्ण विश्विद्यालय गूँज उठा। कार्यक्रम संचालन जनसंचार विभाग के विद्यार्थी बृजेश तिवारी एवं दामिनी साहू ने किया।
इस अवसर काफी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ ही सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, अतिथि प्राध्यापक व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।


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छत्तीसगढ़ के इस नवोदय विद्यालय में हुआ कोरोना विस्फोट, 50 से ज्यादा छात्र और स्टाफ पॉजिटिव, मचा हड़कंप


महासमुंद : छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में सरायपाली केंद्रीय जवाहर नवोदय विद्यालय में एक साथ कोरोना के 56 केस मिलने के बाद हड़कंप मच गया है। जानकारी के अनुसार इन संक्रमितों में 2 स्टाफ के साथ 54 स्टूडेंट्स हैं। सोमवार को जिले में कुल 35 संक्रमितों की पुष्टि हुई थी, जिसमें 20 से अधिक संक्रमित मरीज इसी विद्यालय से मिले थे।
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इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मिलने के स्कूल प्रबंधन में हड़कंप मचा है। सभी संक्रमित बच्चों को स्कूल में ही आईसोलेट किया गया है। वहीं अब प्रशासन ने एतिहात के तौर पर स्कूल को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है।
इधर स्वास्थ्य विभाग ने स्कूल में संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए तीन डॉक्टरों की टीम को तैनात कर दिया है। डॉक्टरों की टीम छात्रों की देखभाल और आवश्यक दवाइयों देकर उपचार कर रही है। वहीं स्थानीय प्रशासन ने अन्य सभी बच्चों को जो कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं, उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनके घर वापस भेजने के निर्देश जारी किया है।
स्कूल परिसर में कोरोना जांच शिविर
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को स्कूल परिसर में कोरोना जांच शिविर का आयोजन किया। जहां एक साथ बड़ी संख्या में संक्रमितों की पुष्टि हुई। स्कूल के प्रिंसिपल प्रशांत रहाटे ने कहा कि कुछ दिन पहले कुछ बच्चे संक्रमित पाए गए, जिसके बाद सोमवार से लगातार सभी की जांच कराई गई, जिसमें 56 संक्रमित मिले हैं। जिनका उपचार चल रहा है और सभी एहतियात बरत रहे हैं।
250 से ज्यादा लोगों का हुआ कोरोना टेस्ट
जवाहर नवोदय विद्यालय महासमुंद में 273 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया, जिसमें 56 संक्रमितों की पुष्टि मंगलवार को 4 बजे तक हो पाई है। स्कूल परिसर में एक साथ कोरोना संक्रमित की पुष्टि होने से स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासन में भी हड़कंप मच गया और सोमवार के बाद मंगलवार को भी स्कूल के सभी स्टूडेंट्स व शिक्षकों व अन्य स्टाफ की कोरोना जांच की गई। अभी तक स्कूल के किचन में कार्य करने वाले और एक वार्डन के संक्रमित होने की जानकारी मिली है और बाकी सभी बच्चे हैं।


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प्रेरणा देने वाली कहानी : दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर दृष्टिहीन छात्रा यवनिका बनी हिदायतुल्ला नेशनल लॉ युनिवर्सिटी की टॉपर ; बेटी की पढ़ाई के लिए मां ने…


रायपुर : मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता , हौंसलों से उड़ान होती है। ये कविता हम हमेशा ही सुनते आए हैं, लेकिन इसे चरितार्थ करके दिखाया है दिल्ली की रहने वाली एक दृष्टिहीन छात्रा यवनिका ने। यवनिका रायपुर के हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से बीएएलएलबी (आनर्स) 2021 बैच की टापर हैं और इन्होंने प्रोफेशनल एथिक्स में गोल्ड मेडल हासिल किया है। यवनिका को ये गोल्ड मेडल यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में चीफ जस्टिस आफ इंडिया की मौजूदगी में प्रदान किया गया।
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यवनिका दृष्टिहीन छात्रा हैं, लेकिन उन्होंने इसे कभी भी अपनी कमजोरी नहीं समझा, बल्कि उनके हौंसले उन्हें उड़ान भरने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे। दिल्ली की रहने वाली यवनिका के पिता भारतीय रेल सेवा में अधिकारी हैं तथा मां स्पेशल एजुकेटर के तौर पर काम कर रही थीं। यवनिका ने फैसला लिया कि वो लॉ की पढ़ाई करेंगी। यवनिका ने रायपुर के हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। यवनिका को कोई परेशानी ना हो इसके लिए उनकी मां ने अपनी नौकरी छोड़ दी और यवनिका के साथ ही रायपुर में पांच वर्ष तक रहीं।
अपने मंजिल को पाने मे यवनिका ने अपनी पूरी जान लगा दी और आखिरकार वो इसमें कामयाब भी हुईं। इतना ही नहीं यवनिका ने खुद के लिए नई मंजिल तय की है और इसे पाने के लिए वो नेशनल ला कालेज बंगलौर में एलएलएम कोर्स में एडमिशन लेकर पढ़ाई भी कर रही हैं। यवनिका का कहना है कि रायपुर की पांच साल की जर्नी में कालेज, फैकल्टी और साथी स्टूडेंट्स ने उसका बहुत सपोर्ट किया जिसके लिए वो हमेशा उनका आभारी रहेगी।
यवनिका का कहना है कि माता पिता धरती पर भगवान का रूप हैं और उनका आशीर्वाद है तो जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाना नामुमकिन नहीं है। यवनिका ने हमेशा ही अपनी मेहनत और काबीलियत पर भरोसा रखा और अपने लक्ष्य को हासिल किया। यवनिका के जुझारू पन के सम्मान में उसे गोल्ड मेडल देते वक्त जीफ जस्टिस श्री एन वी रमणा तथा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल समेत सभी अतिथि अपनी जगह पर खड़े होकर उनका उत्साह बढ़ाया।


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