Sunday, December 3, 2023

छत्तीसगढ़ में अभी नहीं टूटी हैं संक्रमण की चेन : 6 दिनाें में 896 की माैत ; रायपुर में घर वालों को कोई साधन न मिला तो स्ट्रेचर पर ले गए शव, बाद में एंबुलेंस तो आई पर स्ट्रेचर वापस लेने

रायपुर : बदइंतजामी और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा देखनी हो तो रायपुर की यह तस्वीर देख लीजिए। यहां मौत के बाद पॉजिटिव और निगेटिव के झगड़े में पहले तो अस्पताल और परिजनों के बीच शव की सुपुर्दगी को लेकर झगड़ा हुआ। जब अस्पताल ने एंबुलेंस नहीं दी तो परिजन खुद ही स्ट्रेचर पर शव लेकर निकल पड़े। बाद में अस्पताल ने एंबुलेंस भेजी भी तो अपना स्ट्रेचर वापस लाने के लिए। यह मामला रायपुर के अंबेडकर अस्पताल का है।

रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में 55 साल की एक महिला की मौत के बाद शव ले जाने के लिए काफी देर तक कोई साधन नहीं मिला। परेशान परिजन स्ट्रेचर पर ही शव को लेकर निकल पड़े। अंबेडकर अस्पताल से शास्त्री चौक तक ये शव इसी तरह स्ट्रेचर के चक्कों की गड़गड़ाहट भरी आवाज के साथ ले जाया जाता रहा। शाम का वक्त था, लॉकडाउन झेल रहे रायपुर की खाली सड़क पर कुछ लोग दवा और अस्पताल की आपा-धापी में बाहर निकले हुए थे। जिसने भी स्ट्रेचर धकेलती औरतों को देखा, हैरान रह गया। इस तरह शव को ले जाते देखने वालों के चेहरों पर कोई भाव ही नहीं बचा, हर कोई स्तब्ध था।

लाश रखने को लेकर हुआ था विवाद

ये पूरा वाकया सोमवार का है। सोशल मीडिया पर मंगलवार को इसका वीडियो सामने आया है। मृत महिला का नाम नर्मदा बहाहुद था। पिछले कुछ दिनों से ये कोविड आइसोलेशन वार्ड में इलाज करवा रहीं थी। पहले हुए एंटीजन टेस्ट निगेटिव आने के बाद एक दिन पहले घर वालों ने RTPCR टेस्ट करवाया था। रिपोर्ट नहीं आई और इधर नर्मदा की मौत हो गई। अब अस्पताल के लोग कहने लगे कि शव हमारी कस्टडी में रहेगा, कोविड प्रोटोकॉल के तहत। घर वालों ने बोला कि जब रिपोर्ट निगेटिव आई है और दूसरी रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं तो वहां शव रखने के लिए क्यों दबाव बनाया जा रहा है।

हंगामा बढ़ा तो मौके पर मौदहापारा थाने की पुलिस भी पहुंची। काफी देर परिजन शव ले जाने के लिए परेशान होते रहे। जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो स्ट्रेचर पर पार्थिव देह लेकर निकल गए। आखिरकार शास्त्री चौक पर एक कार की मदद से अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाया गया। घर वालों ने स्ट्रेचर वहीं छोड़ दिया। कुछ देर बाद स्ट्रेचर की चिंता अस्पताल को हुई, इसलिए एंबुलेंस भेजकर उसे हटवाया गया।

6 दिनों में 896 मरीजों की मौत

कोरोना की भयावहता इसी से पता चलता है कि प्रदेश में पिछले 6 दिनों में 896 मरीजों की मौत हो चुकी हैं। इसमें 530 यानी 59 फीसदी लोगों की मौत केवल कोरोना (को-मार्बिडिटी नहीं) से हुई है। इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि 68 यानी 8 फीसदी लोगों ने घर में दम तोड़ दिया। यानी अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

विशेषज्ञों का कहना है कि बुखार, सर्दी, खांसी के लक्षण दिखते ही कोरोना जांच कराएं। तत्काल अस्पताल भी जाएं। इससे 90 फीसदी से ज्यादा मौत रूक सकती है।कोरोना से लगातार हो रही मौत पर भास्कर ने पड़ताल की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। स्वास्थ्य विभाग के मीडिया बुलेटिन का बारीकी से अध्ययन करने पर ये पता चला कि लोग घर में गंभीर हो रहे हैं और अस्पताल पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में 35 फीसदी से ज्यादा लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने के 24 घंटे के भीतर हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी, मौत की एक बड़ी वजह हो सकती है, लेकिन ऐसी मौतों का क्या, जिसमें लोगों को घर से ही मृतावस्था में लाया जा रहा है। ये तो गंभीर लापरवाही है। लक्षण दिखने के बाद अगर जांच करवा लें व अस्पताल में जाएं तो ऐसी मौतों को रोका जा सकता है। लक्षण दिखते ही इलाज कराने से मरीज लगातार स्वस्थ भी हो रहे हैं।

केस-1. रायपुर के 40 वर्षीय व्यक्ति को बुखार हुआ। एक-दो मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर खा ली। फिर तबियत बिगड़ने लगी। परिजन युवक को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। तभी डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
केस-2. बीरगांव के 35 वर्षीय व्यक्ति युवक को हल्की खांसी हुई। फिर बुखार भी हुआ। सांस लेने में तकलीफ होने पर परिजन मेडिकल कॉलेज पहुंचे। युवक ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। परिजन अवाक रह गए।

35 हजार ने दी कोरोना को मात

3 दिनों में 35 हजार मरीजों ने कोरोना को मात दी है। 18 अप्रैल को 14075 मरीज स्वस्थ हुए। विभिन्न अस्पतालों, 16 अप्रैल को 11807 मरीज व 17 अप्रैल को 9079 मरीज स्वस्थ हुए। 34 हजार 447 ने होम आइसोलेशन में इलाज करवाया है। वहीं 514 मरीजों को विभिन्न अस्पतालों व सेंटरों से डिस्चार्ज किया गया है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की शुरूआत के बाद से अब तक पॉजिटिव पाए गए 5 लाख 44 हजार 840 मरीजों में से 4 लाख 10 हजार 913 लोग ठीक हो चुके हैं। इनमें से एक लाख 12 हजार 595 संक्रमितों का अस्पतालों व केयर सेंटरों में इलाज किया गया है। वहीं 2 लाख 98 हजार 318 मरीजों ने होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना को मात दी है।

एक्स्पर्ट व्यू
लक्षण दिखते ही मरीज इलाज व जांच कराएं तो कोरोना से हो रही मौतों को रोका जा सकता है। नए वेरिएंट में जरा सी लापरवाही भारी पड़ रही है। इसलिए गंभीर हैं तो घर में न रहें, अस्पताल जाएं।
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी

जो भी मरीज आ रहे हैं, गंभीर हैं। ज्यादातर को सांस लेने में तकलीफ है। जिन्हें दूसरी बीमारी नहीं है, वे भी गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं। इसलिए सर्दी, खांसी या बुखार होते ही काेरोना जांच करवाएं।
-डॉ. युसूफ मेमन, डायरेक्टर निजी अस्पताल

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