पहली तस्वीर अंग्रेजी मीडियम की और दूसरी हिंदी मीडियम की, फर्क साफ़ है।
रायपुर : जो दो तस्वीरें आपने ऊपर देखी है ये दोनों स्कूल सरकारी हैं। सरकार अब हिंदी मीडियम स्कूल के साथ अंग्रेजी मीडियम स्कूल भी संचालित कर रही है। फोटो जर्नलिस्ट सुधीर सागर ने दोनों सरकारी स्कूलों का जायजा लिया। दोनों में काफी अंतर देखने को मिला। एक सरकारी स्कूल था भाठागांव का शासकीय प्राथमिक शाला, जो हिंदी मीडियम स्कूल है। वहीं दूसरा स्कूल आरडी तिवारी इंग्लिश मीडियम स्कूल है। ये आमापारा में है। दोनों स्कूलों में कितना अंतर है, इसे ऐसे समझिए।
हिंदी स्कूल में बच्चे टाट-पट्टी पर बैठते हैं या फिर साधारण लकड़ी की बेंच या स्टूल पर, जबकि इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों के लिए कलर्ड और अच्छे फर्नीचर हैं। इंग्लिश मीडियम स्कूल की दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग्स बनी हुई है, जो बच्चों को कुछ सिखाने के उद्देश्य से बनाई गई है, जबकि हिंदी मीडियम स्कूल की दीवारों पर चूने की पोताई तक नहीं है। अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में लाइट्स और पंखे की प्रॉपर व्यवस्था है, जबकि हिंदी मीडियम स्कूल में ऐसा कम है।
अंग्रेजी मीडियम स्कूल में बच्चों को अच्छा वातावरण देने की कोशिश की जा रही है, जबकि हिंदी मीडियम स्कूल के बच्चों का माहौल आप जैसा देखते आ रहे हैं, वैसा ही है। अंग्रेजी मीडियम में बच्चों के खेलने के उपकरण अच्छे प्लास्टिक के कलरफुल हैं, जबकि हिंदी मीडियम में बच्चे आज भी जंग लगे लोहे के पुराने उपकरणों से खेल रहे हैं। अंग्रेजी मीडियम के लिए तीन अलग अलग मैदान बनाए गए हैं, जबकि हिंदी मीडियम के लिए एक कांक्रीट का मैदान है।