Tuesday, March 19, 2024

त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी क्यों BJP में हो सकता है विप्लव, पढ़ें इनसाइड स्टोरी


अगरतला : भाजपा ने त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पहले आंतरिक कलह को थामने की बात करते हुए सीएम बिप्लब कुमार देब को पद से हटा दिया है। हालांकि इसके बाद भी पार्टी में कलह थमने की बजाय बढ़ ही सकती है। शनिवार को बिप्लब कुमार देब ने अचानक ही इस्तीफा दिया था और उसके कुछ देर बाद ही विधायकों की मीटिंग में माणिक साहा का नाम फाइनल हो गया। इस पर सहकारिता मंत्री रामप्रसाद पॉल भड़क गए थे और भाजपा दफ्तर में सीनियर नेताओं पर कुर्सी फेंकते नजर आए थे। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने यह भी कहा था कि अब वह पार्टी के लिए काम नहीं कर पाएंगे।

हालांकि अगले ही रामप्रसाद पॉल अपने रुख से पलट गए और कहा कि वह उनकी भावनाओं का क्षणिक उबाल था। उन्होंने कहा, ‘भाजपा एक लोकतांत्रिक दल है। यहां हर चीज अनुशासन के दायरे में रहकर ही होती है। मैं यहां पार्टी का काम करने के लिए हूं।’ इसके बाद भी वह माणिक साहा के शपथ समारोह में देरी से पहुंचे। वह और राज्य के डिप्टी सीएम जिष्णु देव वर्मा देरी से पहुंचे और इस बारे में पूछने पर कहा कि उनका लेट होना मायने नहीं रखता है। पार्टी के एक वर्ग का कहना है कि बिप्लब देब को हटाए जाने की स्थिति में जिष्णु देव वर्मा और पॉल खुद को सीएम के तौर पर देख रहे थे।

विधायक बोले- बिप्लब के साथ थे, पर मानेंगे पार्टी का फैसला

भाजपा के ही सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कुछ माणिक साहा को सीएम बनाए जाने से खुश नहीं हैं। इन लोगों का कहना है कि माणिक साहा राज्यसभा के सांसद हैं और उनके स्थान पर किसी विधायक को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहे रामप्रसाद पॉल को बीते साल अगस्त में ही कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया था। उनके साथ ही भगबान दास और सुशांत चौधरी भी मंत्री बने थे। भाजपा की चीफ व्हिप कल्याणी रॉय ने कहा, ‘हम बिप्लब देब जी से जुड़े हुए हैं, लेकिन पार्टी फैसले से भी बंधे हैं। एक विधायक के तौर पर हम लोग काम करते रहेंगे और 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेंगे।’

भाजपा ने माणिक साहा के जरिए भी बनाया है बैलेंस

वहीं त्रिपुरा से ही आने वालीं केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने इस मसले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। हालांकि कहा जा रहा है कि माणिक साहा को कमान देकर भाजपा ने एक तरह से बैलेंस ही बनाया है। इसकी वजह यह है कि माणिक साहा को बिप्लब देब का ही करीबी माना जाता है। वह 2015 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे और फिर 2020 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। इस साल वह त्रिपुरा से भाजपा के पहले राज्यसभा सांसद के तौर पर चुने गए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में वह शहरी इलाकों में पन्ना प्रमुख इंचार्ज के तौर पर काम कर रहे थे।

(प्रियंका देब बर्मन की लेख से प्रकाशित)

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