Tuesday, March 19, 2024

Vidur Niti: ऐसे समय पर होती है व्यक्ति और अपनों की परख, बनाएं रखें धैर्य

Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत के सबसे लोकप्रिय पात्रों में से एक हैं. इन्होंने हमेशा न्याय और धर्म का पक्ष लिया. इसलिए महात्मा विदुर को धर्मराज का अवतार माना जाता है. इनकी बुद्धिमत्ता और धर्मशीलता के कारण इन्हें महाराजा धृतराष्ट्र के महामंत्री और सलाहकार का नियुक्त किया गया. महात्मा विदुर की स्पष्टवादिता और दूरदर्शिता के कारण महाराजा धृतराष्ट्र समय –समय पर इनसे सलाह लिया करते थे.

एक बार महाराजा धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध के परिमाणों के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की तो विदुर जी ने ही सबसे पहले महाराजा धृतराष्ट्र को यह बता दिया था कि महाभारत का युद्ध निश्चित रूप से सर्वनाश कर देगा. इसलिए हे राजन तुम इस युद्ध को रोक लो. महात्मा विदुर ने अपनी नीति में यह बताया है कि व्यक्ति को संकट के समय अपने धैर्य को खोना नहीं चाहिए. ऐसे समय पर ही अपने लोगों या हितैषियों की पहचान होती है.

संकट के समय होती है व्यक्ति की पहचान

विदुर नीति के अनुसार, एक बार महाराजा धृतराष्ट्र ने विदुर से पूंछा कि हे विदुर जरा यह बताओ कि व्यक्ति और अपनों की पहचान कब होती है. महाराजा धृतराष्ट्र के इस प्रश्न पर महात्मा विदुर ने लंबी सांस लेते हुए बोले कि हे राजन व्यक्ति की पहचान उसके अच्छे समय में नहीं होती है. व्यक्ति की असली पहचान तो तब होती है जब संकटों से घिरा होता है. संकटों से घिरे होने पर ही उसकी कुशलता और उसके प्रतिभा की पहचान होती है. ऐसे समय पर ही उसके गुणों का आकलन किया जा सकता है.

जब व्यक्ति संकट से घिरा होता है तो वह अपना धैर्य खो देता है. वह परेशान और निराश हो जाता है. ऐसे लोग किसी भी दशा में प्रतिभावान और धैर्यवान नहीं हो सकते हैं. इस लिए संकट के समय व्यक्ति को अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए. उसे संकटों से निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए. अपना आपा नहीं खोना चाहिए. जो व्यक्ति संकट के समय अपना आत्मविश्वास नहीं खोते. ऐसे व्यक्ति ही असली इंसान कहलाते हैं.

विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति संकट के समय सहारा दे और हर तरह से मदद करे तथा कंधे से कंधा मिलकर चले, वही आपका सच्चा मित्र हो सकता है.

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