सुकमा 28 दिसंबर 2022: सुकमा छ्त्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के सुकमा जिले में ग्रामीणों ने माओवादियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। नक्सलगढ़ गांव के ग्रामीणों ने नारेबाजी करते कहा कि, माओवादियों को बस्तर से मार भगाया जाए। साथ ही सड़क काटना, हत्या, आगजनी जैसे वारदातों को बंद करने कहा है। इसकी वजह है कि गांव के ग्रामीण क्षेत्र में विकास चाहते हैं। लेकिन नक्सली सड़क, पुल-पुलिया, स्कूल भवन बनने नहीं दे रहे हैं। इसीलिए ग्रामीणों का नक्सलियों पर गुस्सा फूटा है।
दरअसल, मामला सुकमा जिले के गोलमपल्ली का है। एक दिन पहले यहां इलाके के करीब 40 से 50 ग्रामीण इकट्ठा हुए थे। उन्होंने सड़क, पुल-पुलिया बनाने के लिए शासन-प्रशासन से गुहार लगाई। हालांकि, अफसरों ने भी आश्वासन दिया है कि गोलमपल्ली समेत उसके आस-पास के इलाके में विकास होगा। लेकिन यहां विकास पहुंचाने की चुनौती भी है। इलाका नक्सलियों का गढ़ है। बताया जा रहा है कि, ग्रामीणों ने आपस में बैठक रखी और विकास के लिए नक्सलियों का विरोध शुरू कर दिया है।
वीडियो हुआ वायरल
अमूमन बस्तर जैसे इलाके में ग्रामीण पुलिस कैंप, सड़क और पुल-पुलिया का विरोध करते हैं। लेकिन, ऐसा बहुत कम होता है कि अंदरूनी इलाके के ग्रामीण विकास के लिए नक्सलियों का खुलकर विरोध कर रहे हों। वायरल वीडियो में ग्रामीण विकास के लिए नक्सलियों का बस्तर से मार भगाने की बात तक कह रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, माओवादी विकास होने नहीं देते हैं, हमें विकास चाहिए। गांव के लोग अच्छी जिंदगी जीना चाहते हैं। लेकिन, यह तभी संभव होगा जब नक्सलियों का खात्मा होगा।
विकास के लिए जिसने आवाज उठाई, उसे मारा गया
बस्तर संभाग के कई नक्सलगढ़ गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण विकास चाहते हैं। कइयों ने विकास के लिए आवाज उठाई तो माओवादियों ने उन्हें जनअदालत लगाकर मार डाला। या फिर जब मौका मिला तब अपहरण कर गला रेत दिया। ऐसा ही एक मामला दंतेवाड़ा जिले के पाहुरनार गांव का है। इस गांव के सरपंच ने इंद्रावती नदी में पुल बनाने की मांग की थी। नक्सलियों ने सरपंच की हत्या कर दी। परिवार को गांव से बेदखल कर दिया। हालांकि अब यहां पुल बन चुका है और विकास का द्वार खुल चुका है। कई गांव ऐसे हैं जहां सड़क तो बन रही है। लेकिन नक्सलियों के दबाव के चलते गांव के लोगों को विरोध करना पड़ रहा है।