Friday, April 19, 2024

कोरोना से जंग में कौन टीका बनेगा ब्रह्मास्त्र? भारत समेत पूरी दुनिया को इन 10 टीकों से है बड़ी उम्मीद, जानें उनके बारे में सबकुछ

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक युद्धस्तर पर टीके के निर्माण में जुटे हैं। दुनियाभर में 200 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से दस वैक्सीन को या तो कई देशों में इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है या फिर उनका आपात स्थितियों में सीमित प्रयोग किया जा रहा है। भारत में भी 16 जनवरी से टीकाकरण शुरू हो रहा है, जिसके तहत कोवैक्सीन और कोविशील्ड का टीका दिया जाएगा। तो चलिए जानते हैं भारत समेत पूरी दुनिया में कौन सी दस वैक्सीन हैं, जिन्हें अब तक कारगर माना जा रहा है।

1.कोवैक्सीन

-भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से विकसित भारत बायोटेक का स्वदेशी टीका

-सामान्य तापमान पर वैक्सीन का कम से कम एक हफ्ते तक भंडारण मुमकिन, मानव परीक्षण में इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं दिखा

-तीन हफ्ते के अंतराल पर दो खुराक देने पर वैक्सीन में मौजूद वायरल प्रोटीन प्रतिरोधक तंत्र को संक्रमण से लड़ने में सक्षम बना देते हैं

2.कोविशील्ड

-चिंपांजी को संक्रमित करने वाले एडेनोवायरस के प्रारूप पर अध्ययन के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनका ने किया तैयार

-पहला टीका, जिसके तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण पर वैज्ञानिक शोध प्रकाशित हुआ, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, मैक्सिको, भारत में आपात प्रयोग की मिली मंजूरी

-सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया निर्माण में जुटा, दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान कम से कम छह महीने तक रखना संभव, आजमाइश में 60-70 फीसदी प्रभावी मिला

3.मॉडर्ना

-अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना के एम-आरएनए टीके को इजरायल, यूरोपीय संघ (ईयू), कनाडा और अमेरिका में इस्तेमाल की इजाजत दी जा चुकी है, प्रति खुराक 25 से 37 डॉलर मूल्य तय

-वैज्ञानिक परीक्षण में वैक्सीन कोरोना संक्रमण से बचाव में 94.1% कारगर मिली, चार हफ्ते के अंतराल पर दो खुराक देना जरूरी, दो से आठ डिग्री तापमान पर 30 दिन भंडारण संभव

-एम-आरएनए वैक्सीन में मौजूद ‘मैसेंजर आरएनए’ कोरोनावायरस में पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन सुनिश्चित करता है, प्रतिरोधी तंत्र को वायरस से जंग की तैयारी करने में मिलती है मदद

4.फाइजर-बायोएनटेक

-अमेरिका से सहायता प्राप्त फाइजर-बायोएनटेक का कोविड-19 टीका सार्स-कोव-2 वायरस की अनुवांशिक सामग्री पर आधारित है

-क्लीनिकल परीक्षण में प्रतिभागियों को तीन हफ्ते के अंतराल पर दो खुराक देने पर 90% प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद मिली

-हालांकि, भंडारण के लिए -70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत, फिलहाल ब्रिटेन, कनाडा, सऊदी अरब, ईयू ने इस्तेमाल को मंजूरी दी

-अमेरिका, सिंगापुर, अर्जेंटीना और मैक्सिको में आपात परिस्थितियों में हो सकेगा इस्तेमाल, प्रत्येक खुराक की कीमत 37 डॉलर तय की गई

5.स्पूत्निक V

-गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट (रूस) के इस टीके के तीसरे चरण के परीक्षण के संपूर्ण नतीजे आना बाकी, हालांकि, कई देशों ने आपात उपयोग की मंजूरी दी

-दो एडिनोवायरस-एडी-5 और एडी-26 को मिलाकर हुआ निर्माण, प्रारंभिक परीक्षण में तीन हफ्ते के अंतराल पर दो खुराक देने पर 90% प्रभावी मिला

-दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारण संभव, फरवरी 2021 में शुरू होगा उत्पादन, प्रति खुराक 10 डॉलर से कम कीमत होने का निर्माताओं का दावा

6.कोनवीडेसिया

-एडिनोवायरस आधारित इस वैक्सीन का निर्माण चीनी कंपनी कैनसीनो बायोलॉजिक्स कर रही, अगस्त 2020 से रूस, मैक्सिको, पाकिस्तान सहित कई अन्य

देशों में तीसरे दौर का परीक्षण चल रहा, चीनी सेना में सीमित इस्तेमाल को दी गई स्वीकृति

7.कोरोनावैक

-एक अन्य चीनी कंपनी सीनोफार्म ‘कोरोनावैक’ के निर्माण में जुटी, देश में आपात स्थितियों में सीमित इस्तेमाल की मंजूरी मिली, दो हफ्ते के अंतराल पर

दो खुराक देने की पड़ती है जरूरत, हालांकि, इसके प्रभाव के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं उपलब्ध है

8.वेक्टर इंस्टीट्यूट

-रूस के वेक्टर इंस्टीट्यूट ने स्पाइक प्रोटीन के संवर्धित रूप पर आधारित एक कोरोना टीके का विकास किया है, जो तीसरे दौर की आजमाइश से गुजर रहा

है, निर्माताओं का दावा-टीके को दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर दो साल तक सहेजना मुमकिन

9.नोवावैक्स

-कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए स्पाइक प्रोटीन के संवर्धित रूप का इस्तेमाल करती है अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की

वैक्सीन, तीसरे दौर का क्लीनिकल परीक्षण जारी, दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारण संभव

10.जॉनसन एंड जॉनसन

-एडिनोवायरस आधारित जॉनसन एंड जॉनसन के टीके को बंदरों पर परीक्षण के दौरान कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में कारगर पाया गया

है, सिर्फ एक खुराक काफी मिली, दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर तीन महीने भंडारण मुमकिन

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