National Desk : किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी टूलकिट सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में बेंगलुरु की पर्यावरण मुद्दों पर काम करने वाली दिशा रवि की गिरफ्तारी अभी शुरुआत भर है। इस मामले में अभी और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। दिल्ली पुलिस ने बताया है कि टूलकिट केस में फिलहाल दो और संदिग्ध निकिता जैकब और शांतनु की तलाश जारी है। इन दोनों के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट भी जारी कर दिए गए हैं और मुंबई सहित कई अन्य जगहों पर छापेमारी जारी है। निकिता जैकब बॉम्बे हाईकोर्ट में वकील हैं।
खबरों के मुताबिक, निकिता जैकब फरार हैं और दिल्ली पुलिस की अपील के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सूत्रों ने यह बताया है कि उनकी एक टीम 11 फरवरी को निकिता जैकब के घर पहुंची थीं। हालांकि, यह टीम शाम को निकिता के घर पहुंची और उनसे पूछताछ नहीं कर सकी थी। हालांकि, निकिता ने एक दस्तावेज पर साइन किए थे और कहा था कि वह जांच में सहयोग करेंगी लेकिन इसके बाद वह अंडरग्राउंड हो गईं।
पुलिस का कहना है कि दिशा रवि ने ही स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग को टूल किट मुहैया कराई थी और वह इस पूरे मामले में मुख्य साजिशकर्ता है। इसे 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले में हुए हिंसक प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है।
इन पर आरोप है कि इन्होंने किसानों से जुड़ी टूलकिट में बदलाव करते हुए कुछ चीजें जोड़ी और फॉरवर्ड कर दिया। जब ग्रेटा थनबर्ग ने टूलकिट शेयर किया, तब दिशा रवि ने ही ग्रेटा को चेताया था कि टूलकिट सार्वजनिक हो गया है। बाद में ग्रेटा ने इसे डिलीट कर दिया और फिर इसका एडिटेड वर्जन शेयर किया था।
दिशा रवि पर क्या हैं आरोप?
दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि पर देशद्रोह, हिंसा के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश रचने के मामले में केस दर्ज किया है। टूलकिट तैयार करने में सहयोग को लेकर उन पर यह केस दर्ज हुआ है। रविवार को अदालत ने दिशा रवि को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।
क्या है टूल किट?
दरअसल किसान आंदोलन पर ट्वीट करने वालीं ग्रेटा थनबर्ग ने एक गूगल डॉक्युमेंट शेयर किया था, जिसका नाम टूलकिट था। इसमें किसान आंदोलन को लेकर एक एक्शन प्लान का जिक्र किया गया था कि कैसे इसके लिए माहौल बनाया जाएगा और सोशल मीडिया पर परसेप्शन बदलने की कोशिश होगी। इस टूलकिट को लेकर आईटी मिनिस्ट्री ने ट्विटर से कहा था कि इससे पता चलता है कि भारत से बाहर किसान आंदोलन को लेकर भ्रम फैलाने की रणनीति तैयार हुई थी।